99. बंभहँ भुवणि वसंताहँ जे णवि भेउ करंति।
ते परमप्प-पयासयर जोइय विमलु मुणंति।।
अर्थ - 99. जो लोक में रहती हुई आत्माओं का भेद नहीं करते हैं, वे परम आत्मा को व्यक्त करनेवाले योगी (ही) (अपनी) निर्मल आत्मा का अनुभव करते हैं।
शब्दार्थ -बंभहँ - आत्माओं का, भुवणि-लोक में, वसंताहँ -रहती हुई, जे - जो, णवि-नहीं, भेउ -भेद, करंति-करते हैं, ते - वे, परमप्प-पयासयर -परम आत्मा का प्रकाश करनेवाले, जोइय-योगी, विमलु -निर्मल का, मुणंति-अनुभव करते हैं।
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