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JainSamaj.World
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सभी जीव मूल रूप में समान हैं


Sneh Jain

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आचार्य योगीन्दु कहते हैं कि सभी जीव ज्ञानमय हैं, जन्म और मरण के बंधन से रहित हैं, जीव के प्रदेशों में समान हैं तथा सभी अपने-अपने गुणों में स्थित हैं। यदि इनमें भेद हुआ है तो मात्र अपने ही कर्म के कारण। वैसे सभी जीव मूल रूप में समान हैं। देखिये इससे सम्बन्धित आगे का दोहा -

97.    जीवा सयलु वि णाण-मय जम्मण-मरण-विमुक्क।

       जीव-पएसहिँ सयल सम सयल वि सगुणहिँ एक्क।।

अर्थ - सभी जीव ही ज्ञानमय, जन्म-मरण के बन्धन से रहित (अपने- अपने) जीव के प्रदेशों में समान तथा सभी अपने गुणों में एक हैं।

शब्दार्थ - जीवा - जीव, सयलु -सभी, वि-ही, णाण-मय-ज्ञानमय, जम्मण-मरण-विमुक्क  -जन्म और मरण के बंधन से रहित, जीव-पएसहिँ - जीवों के प्रदेशों में, सयल-सभी, सम-समान, सयल-सभी, वि-तथा, सगुणहिँ-अपने गुणों में, एक्क-एक।

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