About this blog
अपभ्रंश भाषा का ऑनलाइन पाठ्यक्रम -
जय जिनेन्द्र
मैं सारांश जैन, मुनि श्री प्रणम्य सागर जी से प्राकृत सीख, अपभ्रंश भाषा में अध्ययन रत हूँ। थोडा सा अपभ्रंश साहित्य पढने के बाद मुझे उस में बहुत रूचि हुई और एक भावना मन में आयी कि क्यों न अपभ्रंश सब पढ़ें और अपने जीवन को उन्नत बनाएं | इसमें मुझे मार्गदर्शन प्राप्त है श्री मति स्नेह लता जैन का जो अपभ्रंश साहित्यकला अकादमी में कार्यरत हैं और लेखिका हैं - अपभ्रंश अनुवाद कला जैसी अनेक पठनीय पुस्तकों की |
अतः हम कर रहे हैं 1 प्रयोग, जिसमे आवश्यक है, आप सब का सहयोग ।
यह एक मुहिम है, अपभ्रंश जैसी समृद्ध भाषा को घर - घर पहुंचाने की
समयावधि अनुमानित- १ माह