पाठ – 6 – वर्तमान – विधि एवं आज्ञा काल – भविष्यत्काल – द्वितीया – तृतीया विभक्ति
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क्रिया
क्रिया के दो भेद होते हैं – सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया = वह क्रिया जिसमे कर्म नहीं होता, व क्रिया का प्रभाव कर्ता पर पड़ता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – वह सोता है , मैं जाग रहा हूँ। इत्यादि।
- सकर्मक क्रिया = वह क्रिया जिसमे कर्म होता है , व क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। यथा- मैंने भोजन किया , राम पुस्तक पढ़ता है, श्याम गाँव जाता है ।
अस् धातु से बनी क्रिया – अस् धातु से बनी क्रिया का प्रयोग ‘है’ के लिए होता है। यह धातु 'अत्थि' के रूप में चलती है । जैसे= पुस्तक है= गंथ अत्थि।
पुल्लिंग
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
देव, देवा, देवु |
देव, देवा |
करण |
देवेण, देवें, देवेणं |
देवहिं, देवाहिं, देवेहिं |
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
हरी, हरि |
हरी, हरि |
करण |
हरिएं, हरीएं, हरीं, हरिं, हरिण, हरीण, हरीणं, हरिणं |
हरिहिं, हरीहिं |
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
साहू, साहु |
साहू, साहु |
करण |
साहूएं, साहुएं, साहुं, साहूं, साहुण, साहूण, साहूणं, साहुणं |
साहूहिं, साहुहिं |
स्त्रीलिंग
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
कहा, कह |
कहा, कह, कहाउ, कहउ, कहाओ, कहओ |
करण |
कहाए, कहए |
कहाहिं, कहहिं |
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
मई, मइ |
मई,मइ, मईउ, मइउ, मईओ, मइओ |
करण |
मईए, मइए |
मईहिं, मइहिं |
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
धेणु, धेणू |
धेणु, धेणू, धेणुउ, धेणूउ, धेणुओ, धेणूओ |
करण |
धेणुए, धेणूए |
धेणूहिं, धेणुहिं |
नपुंसकलिंग
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
कमल, कमला,कमलु |
कमल, कमला, कमलाइं, कमलइं |
करण |
कमलें, कमलेण, कमलेणं |
कमलहिं, कमलाहिं, कमलेहिं |
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
वारी, वारि |
वारि, वारी, वारिइं, वारीइं |
करण |
वारीं, वारि, वारीण,, वारीएं, वारिएं, वारिण, वारीणं, वारिणं |
वारिहिं, वारीहिं |
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एकवचन |
बहुवचन |
कर्म |
महू, महु |
महू, महु, महुइं, महूइं |
करण |
महुं, महूं, महुएं, महूएं, महूण, महुण, महूणं, महुणं |
महुहिं, महूहिं |
द्वितीया विभक्ति = कर्म कारक
1. सकर्मक क्रिया में कर्तृवाच्य में कर्म के साथ द्वितीया विभक्ति होती है। जैसे= राम पुस्तक पढ़ता है – रामु गंथु पढइ।
तृतीया विभक्ति = करण कारक
कर्ता के लिए अपने कार्य में जो अत्यंत सहायक होता है उसे- करण कारक कहते हैं। जैसे = बीज से वृक्ष उगता है = बीएण रुक्ख उग्गइ।
- तुम पुस्तक पढ़ो।
- तुम भोजन (भोयण) खाओ (खा)।
- वह आँखों (अच्छि) से देखता (अवलोय) है।
- कृष्ण(किण्ह) हाथी (हत्थि) से नगर(णयर) को जाएँ।
- आत्मा सिद्धालय (सिद्धालअ) जाता है।
- महावीर केवलज्ञान(केवलणाण) से जानेंगे।
- मैं पुस्तक से पाठ पढ़ूँ।
- हम गुरु जी को नमस्कार(पणम) करें।
- वे सब यशोधर चरित( जसहर चरिउ) पढ़ें।
- तुम सब उद्यान(उज्जाण) जाओ।
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