पाठ - 12 - कृदंत
अकर्मक क्रिया से बने भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग कर्तृवाच्य व भाववाच्य के अन्तर्गत होता है तथा सकर्मक क्रिया से बने भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग कर्मवाच्य के अन्तर्गत होता है। गत्यार्थक अनियमित भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग कर्तृवाच्य व कर्मवाच्य दोनों में किया जाता है।
अपभ्रंश साहित्य से प्राप्त अनियमित भूतकालिक कृदन्त
(क) अकर्मक क्रिया से बने अनियमित भूतकालिक कृदन्त -
मुअ |
मरा |
थिअ |
ठहरा |
संतुट्ठ |
प्रसन्न हुआ |
नट्ठ |
नष्ट हुआ |
संपत्त |
प्राप्त हुआ |
रुण्ण |
रोया |
सुत्त |
सोया |
बद्ध |
बंधा |
भीय |
डरा |
विउद्ध |
जा |
(ख) गत्यार्थक क्रिया से बने अनियमित भूतकालिक कृदन्त -
गअ/गय |
गया |
पत्त |
पहुँचा |
(ग) सकर्मक क्रिया से बने अनियमित भूतकालिक कृदन्त -
दिट्ट |
देखा गया |
खद्ध |
खा लिया गया |
णिहिय |
रक्खा गया |
छुद्ध |
डाल दिया गया |
वुत्त |
कहा गया |
किय |
किया गया |
हय |
मारा गया |
उक्खित्तु |
क्षेपण किया गया |
संपुण्ण |
पूर्ण कर दिया गया |
दिण्ण |
दिया गया |
पवन्न |
प्राप्त किया गया |
दड्ढ |
जलाया गया |
दुम्मिय |
कष्ट पहुँचाया गया |
लुअ |
काट दिया गया |
णीय |
ले जाया गया |
विण्णत्तु |
निवेदन किया गया |
सित्तु |
सींचा गया |
|
|
1. वाक्य रचना : कर्तृवाच्य -
इसी प्रकार अन्य भूतकालिक कृदन्त के साथ कर्तृवाच्य में प्रयोग किया जाता है।
पुत्र प्रसन्न हुआ |
पुत्तो संतुट्ठो |
पुत्र प्रसन्न हुए |
पुत्ता संतुट्ठा |
माता प्रसन्न हुई |
माया संतुट्ठा |
माताएँ प्रसन्न हुईं |
मायाओ संतुट्ठाओ |
पुत्र घर गया |
पुत्तो घरु गओ |
पोते घर गये |
पोत्ता घर गआ |
2. वाक्य रचना : भाववाच्य
पुत्र के द्वारा प्रसन्न हुआ गया |
पुत्तेण संतुट्ठु। |
|
पुत्रों के द्वारा प्रसन्न हुआ गया |
पुत्तेहिं संतुट्ठु। |
|
माता के द्वारा प्रसन्न हुआ गया |
|
|
मायाए संतुट्ठु |
||
माताओं के द्वारा प्रसन्न हुआ गया |
मायाहिं संतुट्ठु। |
इसी प्रकार अन्य भूतकालिक कृदन्त के साथ भाववाच्य में प्रयोग किया जाता है।
3. वाक्य रचना : कर्मवाच्य
राजा द्वारा सेनापति के लिए हाथी दिया गया। |
नरिंदेण सेणावइ हत्थि दिण्णो। |
मुनि द्वारा पिता के लिए आगम दिये गए। |
मुणिएं जणेरहो आगम दिण्णा। |
माता द्वारा पुत्री के लिए धन दिया गया। |
मायाए पुत्तीहे धणु दिण्णु। |
माता द्वारा पुत्री के लिए वस्त्र दिये गए। |
मायाए पुत्तीहे वत्थाइं दिण्णाइं। |
राजा द्वारा सेनापति के लिए मणि दी गई। |
नरिंदेण सेणावइ मणि दिण्णा। |
मालिक द्वारा भाई के लिए गायें दी गई। |
सामिएं भाइ धेणुओ दिण्णाओ। |
इसी प्रकार अन्य भूतकालिक कृदन्त के साथ कर्म वाच्य में प्रयोग किया जाता है।
2. सम्बन्धक भूत कृदन्त ( पूर्वकालिक क्रिया )
कर्त्ता जब एक क्रिया समाप्त करके दूसरी क्रिया करता है, तब पहले की गई क्रिया को प्रकट करने हेतु सम्बन्धक भूत कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। इसमें पहले की गई एवं बाद में की गई दोनों क्रियाओं का सम्बन्ध कर्त्ता से होता है। सम्बन्धक भूत कृदन्त को अव्यय भी कहा जा सकता है। अव्यय के समान इनका भी लिंग, वचन व पुरुष के अनुसार रूप परिवर्तन नहीं होता।
सम्बन्धक भूत कृदन्त के प्रत्यय |
उदाहरण |
इ |
हसि |
इउ |
हसिउ |
इवि |
हसिवि |
अवि |
हसवि |
एवि |
हसेवि |
एविणु |
हसेविणु |
एप्पि |
हसेप्पि |
एप्पिणु |
हसेप्पिणु |
वाक्य रचना -
कर्तृवाच्य, भाववाच्य, कर्मवाच्य के साथ विभिन्न कालों में
मैं हँसकर जीता हूँ। |
हउं हसि जीवउं |
वह हँसकर पानी पीता है। |
सो हसिउ सलिलु पिबइ। |
वे परमेश्वर की पूजा कर प्रसन्न होंगे। |
ते परमेसरु अच्चिवि उल्लसेसहिं। |
राजा शत्रु को मारकर प्रसन्न होता है। |
णरिंदो सत्तु हणेप्पि हरिसइ। |
सेनापति राजा की रक्षा कर प्रसन्न होवे। |
सेणावइ गरिंदु रक्खेविणु उल्लसउ। |
पुत्रियाँ डरकर भागी। |
पुत्तीउ डरेविणु पलाआउ। |
माता पुत्र को सुलाकर सोती है। |
माया पुत्तु सयावेवि सयइ। |
पुत्र माँ की सेवा कर प्रसन्न होता है। |
पुत्तो माया सेवेविणु हरिसइ। |
साँप बालक को डसकर मारता है। |
सप्पो बालउ डंकिवि मारइ। |
विमान ठहरकर उडेगा। |
विमाणु ठाइउ उड्डेसइ। |
बालक गिरकर मुर्छित हुआ। |
बालओ पडेवि मुच्छिओ। |
मेरे द्वारा हँसकर जीया जाता है। |
मइं हसवि जीविज्जइ। |
उसके द्वारा थककर सोया जाएगा। |
तेणं थक्किवि सयिज्जइ। |
तुम्हारे द्वारा प्रसन्न होकर नाचा जाए। |
पइं उल्लसिवि णच्चिज्जउ। |
बालकों द्वारा डरकर रोया गया। |
बालएहिं डरिउ रुविउ। |
ससुर के द्वारा थककर बैठा गया। |
ससुरें थक्किवि अच्छिउ। |
मामा के द्वारा झगडकर अफसोस किया जाता है। |
माउलें जगडेप्पि खिज्जिज्जइ। |
बालक के द्वारा गिरकर रोया जाता है। |
बालएण पडेवि रुविज्जइ। |
बालक के द्वारा छटपटाकर मूर्छित हुआ गया। |
बालएणं तडफडिउ मुच्छिउ। |
पुत्रियों द्वारा डरकर भागा गया। |
पुत्तिहिं डरिउ पलाआ। |
माता द्वारा पुत्र को सुलाकर सोया जाता है। |
मायाए पुत्तु सयाविवि सयिज्जइ। |
पुत्र द्वारा माँ की सेवा कर प्रसन्न हुआ जाता है। |
पुत्तेण माया सेवेप्पिणु हरिसियइ। |
पुत्र द्वारा प्रसन्न होकर माँ की सेवा की जाती है। |
पुत्तेण उल्लसिवि माया सेविज्जइ। |
साँप के द्वारा बालक को डसकर मारा जाता है। |
सप्पें बालउ डंकिउ हणिज्जइ। |
मौसी बालक को बहिन से दूध पिलवाकर सुलवाती है। |
माउसी बालउ ससाए खीरु पिबावेप्पिणु सायइ। |
3. हेत्वर्थक कृदन्त
प्रथम क्रिया के प्रयोजनार्थ जब दूसरी क्रिया की जाती है, तब उस प्रथम क्रिया में हेत्वर्थक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। सम्बन्धक कृदन्त के समान इन दोनों क्रियाओं का सम्बन्ध कर्त्ता से होता है। इन्हें अव्यय भी कहा जा सकता है। अव्यय के समान इनका भी लिंग, वचन व पुरुष के अनुसार रूप परिवर्तन नहीं होता। हेत्वर्थक कृदन्त के चार प्रत्यय एवि, एविणु, एप्पि, एप्पिणु सम्बन्धक कृदन्त के समान हेत्वर्थक कृदन्त के लिए भी प्रयुक्त होते हैं। अतः यहाँ प्रसंगानुसार अर्थ ग्रहण करना चाहिए। ।
हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्यय |
उदाहरण |
एवं |
हसेवं |
अण |
हसण |
अणहं |
हसणहं |
अणहिं |
हसणहिं |
एवि |
हसेवि |
एविणु |
हसेविणु |
एप्पि |
हसेप्पि |
एप्पिणु |
हसेप्पिणु |
वाक्य रचना -
मैं हँसने के लिए जीता हूँ। |
हउं हसेवं जीवउं। |
तुम पानी पीने के लिए घर जावो। |
तुहुं सलिलु पिबण घरु गच्छि। |
वह प्रसन्न होने के लिए परमेश्वर की पूजा करेगा। |
सो उल्लसणहं परमेसरु अच्चेसइ। |
राजा शत्रु को मारने के लिए लडेगा। |
नरिंदो सत्तु हणेवं जुज्झेसइ। |
सेनापति राजा की रक्षा करवाने के लिए प्रयास करेगा। |
सेणावइ णरिंदु रक्खावणहं उज्जमेसइ। |
तुम्हारे द्वारा प्रसन्न होने के लिए नाचा जाए। |
पइं हरिसणहिं णच्चिज्जउ। |
दादा के द्वारा सोने के लिए प्रयास किया गया। |
पिआमहेण सयेप्पि उज्जमिउ। |
पुत्रियाँ खेलने के लिए खुश होवेंगी। |
सुयाउ खेलेवं उल्लसेसहिं। |
माता द्वारा सोने के लिए पुत्र को सुलाया जाता है। |
मायाए सयेवं पुत्तो सयाविज्जइ। |
पुत्र द्वारा प्रसन्न होने के लिए माँ की सेवा की गई। |
पुत्तेण उल्लसेवं माया सेविआ। |
तुम्हारे द्वारा प्रसन्न होने के लिए जीया जाना चाहिए। |
पइं हरिसेवं जीविअव्वु। |
मौसी द्वारा बालक को सुलवाने के लिए बहिन से दूध पिलवाया जाता है। |
माउसीए बालउ सयावणहिं ससाए खीरु पिबाविज्जइ। |
4. वर्तमान कृदन्त
कर्त्ता एक क्रिया को करता हुआ जब दूसरी क्रिया करता है, तब प्रथम क्रिया में (जो करते हुए अर्थ से युक्त है) वर्तमान कृदन्त का प्रयोग होता है। क्रिया में न्त और माण प्रत्यय लगाकर वर्तमान कृदन्त बनाये जाते हैं। ये वर्तमान कृदन्त विशेषण होते हैं। अतः इनके रूप भी
कर्त्ता (विशेष्य) के अनुसार चलते हैं। कर्त्ता पुल्लिंग, नपुंसक लिंग अथवा स्त्रीलिंग में से जो भी होगा उसी के अनुरूप वर्तमान कृदन्त के रूप चलेंगे। इन कृदन्तों के रूप पुल्लिंग में देव के समान, नपुंसक लिंग में कमल के समान तथा स्त्रीलिंग में कहा के अनुरूप चलेंगे। कृदन्त में ‘आ' प्रत्यय जोडकर आकारान्त स्त्रीलिंग शब्द भी बनाया जाता है।
वर्तमान कृदन्त के प्रत्यय |
उदाहरण |
न्त / माण |
हसन्त/हसमाण |
|
जग्गन्त/जग्गमाण |
|
सयन्त/सयमाण |
|
लुक्कन्त/लुक्कमाण |
|
जीवन्त/जीवमाण |
|
णच्चन्त/ णच्चमाण |
वाक्य रचना -
मैं हँसता हुआ जीता हूँ। |
हउं हसन्तो जीवउं। |
हम सब हँसते हुए जीते हैं। |
अम्हे हसमाणा जीवहुं। |
माता सोते हुए पुत्र को जगाती है। |
माया सयन्तु पुत्तु जग्गावइ । |
क्रीड़ा करते हुए बालक के द्वारा वस्तुएँ नष्ट की गईं। |
कीलन्तेण बालएण वत्थूइं नस्सिआइं। |
प्रवेश करते हुए बालक के लिए गीत गाया जाता है। |
पइसन्तहो बालहो गाणु गाइज्जइ। |
आते हुए मुझसे तुमको नहीं डरना चाहिए। |
आगच्छन्तहो मज्झु पइं ण डरिअव्व। |
क्या मैं जलती हुई आग में प्रवेश करूँ। |
किं हउं वलन्ते हुआसणे पइसरमु । |
पृथ्वी का पालन करते हुए सगर के साठ हजार पुत्र हुए। |
पिहिमिहे पालन्तहो सायरहो सट्ठिसहास पुत्ता हुआ। |
अभ्यास करें –
- वे सब हंसकर जीएँ
- बहिनें प्रसन्न होकर घूमेंगी
- बच्चे सोने के लिए रोते हैं
- तुम प्रयत्न कर उठो
- वह वहाँ मनोहर महल(भवण) में प्रवेश करता हुआ(पइसर), हर्षित हुआ।
- वे उसे देखने के लिए घर आए।
- माता पुत्र को देखकर प्रसन्न होती हैं
- राजा युद्ध के लिए गया।
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