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दस लक्षण पर्व ऑनलाइन महोत्सव

शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)

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  1. जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे होनी अनहोनी कब क्या घाट जाए रे जितना भी कर जाओगे, उतना ही फल पाओगे करनी जो कर जाओगे, वैसा ही फल पाओगे नीम के तरु में नहीं आम दिखाए रे जीवन है पानी की बूँद... चाँद दिनों का जीवन है, इसमें देखो सुख काम है जनम सभी को मालूम है, लेकिन मृत्यु से ग़ाफ़िल है जाने कब तन से पंक्षी उड़ जाए रे जीवन है पानी की बूँद......... किस को मने अपना है, अपना भी तो सपना है जिसके लिए माया जोड़ी क्या वो तेरा अपना है तेरा हो बेटा तुझे आग लगाए रे जीवन है पानी की बूँद.......... गुरु जिस को छू लेते हैं वो कुंदन बन जाता है तब तक सुलगता दावानल, वो सावन बन जाता है आतंक का लोहा अब पारस कर ले रे जीवन है पानी की बूँद.......
  2. रात्रं दिवस देवा तुझी मूर्ति ध्यानं | त्वाचा लो न अंत स्वप्नात आले माझे भगवंत || अश्वसेन राजा हो तुमचे पिता | वामादेवी राणी हो तुमची माता || उदरी जन्मासि आले हो भगवंत ||१|| त्वाचा.. इंद्रइन्द्राणी हो आले नाचत | बालासी नेले हो मेरु पर्वत || जन्मोत्सव करी हो बहु आनंदित ||२|| त्वाचा.. नाम ठेविलो हो पार्श्वनाथ | नग्न दिगंबर मूर्ति हो बहु शोभत || सिंहासन छलके हो रत्नजडित ||३|| त्वाचा.. वीतराग मूर्ति हो मंदिरात | दर्शन धेता विघ्न हो दूर होतात || आशीर्वाद दयावा आम्हां भगवंत ||४|| त्वाचा.. लासुर गावामध्ये पार्श्वनाथ | लासुर गावामध्ये नेमिनाथ || मुनि श्रावक येती हो दर्शनास ||५|| त्वाचा..
  3. बाजे कुण्डलपुर में बधाई कि नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी ॥टेक॥ जागे भाग हैं त्रिशला माँ के.. त्रिभुवन के नाथ जन्मे, महावीर जी ।१। शुभ घडी जनम की आई... कि स्वर्ग से देव आये, महावीर जी ।२। तुझे देवियां झुलावे पलना.. कि मन में मगन होके, महावीर जी ।३। तेरे पलने में हीरे मोती.. कि डोरियों में लाल लटके, महावीर जी ।४। तेरे न्हवन करें मेरु पर.. कि इंद्र जल भर लायें, महावीर जी ।५। हम तेरे दरस को आये.. कि पाप सब कट जाऐंगे, महावीर जी ।६।
  4. विषयों की तृष्णा को छोड, संयम की साधना में चल पडे नेमि कुमार ॥ परिग्रह की चिंता को तोडकर निज के चिंतन में . रम रहे नेमि कुमार, वेष दिगम्बर धार ।०। यह जीव अनादि से, है मोह से हारा, चहुंगति में भटक रहा, दुख सहता बेचारा, कोई नहीं है शरण अतः, आतम ही शरणा है, जाना जगत असार . वेष दिगम्बर धार ।१। प्रभू चल पडे वन को, ध्याये निज चेतन को, सब राग तंतु तोडे, काटे भव बंधन को, फ़िर मोह शत्रु नाशे और क्षायिक चारित्र धारे, जिस में है आनंद अपार . वेष दिगम्बर धार ।२। कर चार घातिया क्षय, प्रगटे चतुष्ट अक्षय, सारी सृष्टि झलके, परिणति निज में तन्मय, शाश्वत शिवपद पाये और फ़िर मुक्ति वधू ब्याहें, हो भव सागर पार . वेष दिगम्बर धार ।३।
  5. जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए। जय जिनेन्द्र की ध्वनि से, अपना मौन खोलिए॥ सुर असुर जिनेन्द्र की महिमा को नहीं गा सके। और गौतम स्वामी न महिमा को पार पा सके॥ जय जिनेन्द्र बोलकर जिनेन्द्र शक्ति तौलिए। जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, बोलिए॥ जय जिनेन्द्र ही हमारा एक मात्र मंत्र हो जय जिनेन्द्र बोलने को हर मनुष्य स्वतंत्र हो॥ जय नेन्द्र बोलबोल खुद जिनेन्द्र हो लिए। जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥ पाप छोड धर्म छोड ये जिनेन्द्र देशना। अष्ट कर्म को मरोड ये जिनेन्द्र देशना॥ जाग, जाग, जग चेतन बहुकाल सो लिए। जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥ है जिनेन्द्र ज्ञान दो, मोक्ष का वरदान दो। कर रहे प्रार्थना, प्रार्थना पर ध्यान दो॥ जय जिनेन्द्र बोलकर हृदय के द्वार खोलिए। जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥ जय जिनेन्द्र की ध्वनि से अपना मौन खोलिए॥
  6. लिया प्रभू अवतार जयजयकार जयजयकार जयजयकार। त्रिशला नंद कुमार जयजयकार जयजयकार जयजयकार॥ आज खुशी है आज खुशी है, तुम्हें खुशी है हमें खुशी है। खुशियां अपरम्पार ॥ जयजयकार...॥ पुष्प और रत्नों की वर्षा,सुरपति करते हर्षा हर्षा। बजा दुंदुभि सार ॥ जयजयकार... ॥ उमग उमग नरनारी आते,नृत्य भजन संगीत सुनाते। इंद्र शची ले लार ॥ जयजयकार... ॥ प्रभू का अनुपम रूप सुहाया,निरख निरख छवि हरि ललचाया। कीने नेत्र हजार ॥ जयजयकार... ॥ जन्मोत्सव की शोभा भारी,देखो प्रभू की लगी सवारी। जुड रही भीड अपार ॥ जयजयकार... ॥ आओ हम सब प्रभु गुण गावें,सत्य अहिंसा ध्वज लहरायें। जो जग मंगलाचार ॥ जयजयकार... ॥ पुण्य योग सौभाग्य हमारा,सफ़ल हुआ है जीवन सारा। मिले मोक्ष दातार ॥ जयजयकार... ॥
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