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सदाचरण के लिए सार्थक कदम Perfect step towards good conduct

जीवन में हम सफल हो या ना हो परंतु मनुष्य जीवन पाने के बाद भी यदि हमारा आचरण मनुष्य जैसा ना हो तो इससे बड़ी विफलता और कोई नहीं हो सकती है । पाठशाला में आने से हमें हमारे आचरण में निखार की संभावना दिखाई देती हैं जो कि भविष्य सुधारने के लिए सार्थक कदम सिद्ध हो सकता है ।

Sachin2.Jain

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पाठशाला संस्कार गड़ने की टकसाल मुनि श्री प्रमाणसागरजी Pathshala, a place of minting Sacraments

आज के भौतिकवादी युग में हम स्वयं में एवम् अपनी आने वाली पीढ़ी में संस्कारो का अभाव पाते हैं, इसका मुख्य कारण जीवन में धर्म से विमुखता हैं। पाठशाला आपको धर्म के सम्मुख आने का अवसर प्रदान करती है, आप धर्म के सिद्धांतो को समझकर आपकी भूमिका अनुसार उन्हें अमल मे ला सकते हैं, जिससे आप और आपका परिवार सुसंस्कारों से सुशोभित रहे।  

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वास्तविक ज्ञान वही है जो परिणामों को निर्मल करे - मुनि श्री क्षमासागरजी Real knowledge is what refines the Emotions

वास्तविक ज्ञान वही है जो हमारे परिणामों में  निर्मलता लावे, राग द्वेष को घटाए और प्राणी मात्र के प्रति हमारे मन में सद्भावना उत्पन्न करे। पाठशाला के माध्यम से हम धर्म के इस पहलू से अवगत होकर अपने ज्ञान को सही दिशा दे सकते हैं, और उस ज्ञान से हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन कर सकते हैं।

Sachin2.Jain

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मनुष्य जीवन एक अवसर है । Human life is an opportunity

हमें मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभता से प्राप्त हुआ है । हम यह अवसर सदुपयोग करके सफल भी बना सकते हैं या फिर इसे व्यर्थ के कामों में लगाकर गंवा भी सकते हैं । तो आइए और इस नववर्ष में निश्चित करे कि पाठशाला के माध्यम से हम तत्व चिंतन के द्वारा हमारे जीवन के लिए क्या हेय हैं एवम् क्या उपादेय हैं, की जानकारी प्राप्त करके, हमारी दृष्टि को निर्मल बना कर, हमारे जीवन को सार्थक बनाएंगे।

Sachin2.Jain

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ज्ञान वहीं श्रेष्ठ हैं जो वैराग्य से समन्वित हो - मुनि श्री क्षमासागरजी Knowledge which is integrated with Reclusion is best.

विषय कषायों का पोषण करने वाला ज्ञान कभी हमारे जीवन का उत्थान करने वाला नहीं हो सकता। पाठशाला के माध्यम से हम उस ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं जो वैराग्य से समन्वित हो और हमें संयमित जीवन जीने की ओर अग्रसित होने की प्रेरणा दे।

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इच्छा निरोधस्या तप: । तपसा निर्जरा च । Controlling your feelings result into Karm Nirjara.

जैसा कि हमारे आगम में बताया गया है कि इच्छाओं को रोकना ही तप हैं एवं तप से ही कर्मो की निर्जरा होती हैं।  आप सभी जब ऐसी ठंड में शीतलहर की वेदना को दरकिनार करते हुए पाठशाला आने का उपक्रम करते हैं एवं मंदिर के प्रांगण में बड़े उत्साह से धर्म चर्चा करते हैं, तो मानके चलिए आप तप कर रहे हैं, क्योंकि आपने अपनी इन्द्रियों पर विजय पाई हैं । अतः पाठशाला आना आपके कर्मो की निर्जरा करने का साधन स्वयमेव ही बन जाता है ।

Sachin2.Jain

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जीवन का लक्ष्य - अपनी चेतना व गुणों का विकास करना Motto of life - To develop positive attributes in soul

धर्म सिर्फ क्रिया नहीं है अपितु जीवन जीने की कला हैं, जब हम इस तथ्य को स्वीकार कर लेते हैं, तब हमारी कषाय एवं राग द्वेष के भाव अापो आप कम होने लगते है। पाठशाला के माध्यम से हम धर्म के इस पहलू से भी अवगत होकर अपनी चेतना व गुणों का क्रमिक रूप से उत्थान कर सकते हैं ।

Sachin2.Jain

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संस्कार है तो सब कुछ है । Having right Sacraments means owning everything

जीवन में हम बहुत कुछ पाना चाहते हैं और पुण्योदय से प्राप्त करने में भी सफल हो जाते हैं, परंतु यदि हमारे पास संस्कार नहीं हो तो वह सब प्रापत्य भी अप्रापत्य की भांति हैं । पाठशाला में आने से सही समय पर अच्छे संस्कारों का बीजारोपण हो जाता है, जो जीवन में किसी भी उपलब्धि को प्राप्त करने पर बहुत काम आता है।

Sachin2.Jain

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अध्यात्म की ओर बढ़ते कदम Steps towards spirituality

पाठशाला के माध्यम से हम धर्म के सिद्धांतो को समझने का प्रयास करते हैं। हमारा यही प्रयास हमारे सम्यक श्रृद्धान को मजबूती देने में सहायक होता है और हम एक एक कदम अध्यात्म की और झुकते चले जाते हैं, जिससे हमारे जीवन को रचनात्मक दिशा मिलती चली जाती हैं।

Sachin2.Jain

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जीवन के सकारात्मक परिवर्तन के लिए To transform life in a positive manner

धर्म के सिद्धांतो को पढने से हम पांडित्य को प्राप्त कर पाए या ना कर पाए परंतु धर्म के सम्मुख आने से एवम् उसको समझ कर हम अपने जीवन में आमूल चुल परिवर्तन जरूर कर सकते हैं । पाठशाला आपको यह अवसर प्रदान करती हैं तो आए और अपने जीवन को सकारातमक दिशा प्रदान करे ।

Sachin2.Jain

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आज का नियम

आज Mc'donald, Pizza hut , dominos , kFc  आदि मांसाहारी restaurants में खाने का त्याग ।  नियम लेना चाहते है तो कॉमेंट में #नियम_accepted लिखे।  🙏.  जय जिनेन्द्र! 🙏

Nikhil jain(gullu)

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आज का नियम

आज भोजन में ऊपर से नमक नहीं डालना ।  अगर आप नियम लेना चाहते है तो कॉमेंट में #नियम_accepted  लिखे ।  🙏जय जिनेंद्र!🙏

Nikhil jain(gullu)

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आज का नियम

आज मोबाइल और कंप्यूटर में गेम्स खेलने का त्याग है ।   जो भी नियम लेना चाहते है वह कृपया #नियम_accepted जरूर लिखे ताकि ये जान सके की कितने लोगो ने नियम लिया ।

Nikhil jain(gullu)

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आज का नियम

आज किसी भी प्रकार की नमकीन नहीं खाना ।  जो भी नियम लेना चाहते है वह कृपया #नियम_accepted जरूर लिखे ताकि ये जान सके की कितने लोगो ने नियम लिया ।

Nikhil jain(gullu)

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पटाखे फोड़ने से पाप कर्मों का बंध

*💥पटाखे फोड़ने से पहले सावधान ,,ये जरुर पढीए💥* दोस्तों सावधान.... 👀 ✋🏿 🤔🤔 पटाखे फोड़ने से आठ कर्मों का बन्धन होता है ..!  *1⃣ज्ञानावरण कर्म-* जीवों के ज्ञानेन्द्रियाँ का छेदन भेदन करके उनके ज्ञान में अन्तराय डालने से 💥🕷🐜🐕🐈🐿🕊 *2⃣दर्शनावरण कर्म-* जीवो की हिंसा से उनके मति, श्रुत, अवधि दर्शन में और जीवों के चक्षु आदि अंगोपांग छेद भेद कर उनके चक्षु और अचक्षु दर्शन में अन्तराय डालने से 🕷🐜💥👀🌿☘ *3⃣वेदनीय कर्म-* जीवो को दुःख, शोक, ताप, वध, वेदना होने से !  💥🕷🐞🐜🐰🐶🙊🐤

बिखरे  चावल

जैन मंदिरों में दर्शन, पूजन में भगवान के समक्ष अर्घ्य स्वरूप अक्षत (चावल) पुंज चढ़ाने की परंपरा है। ये अक्षत भगवान की तरह अक्षय मोक्ष पद प्राप्त करने की भावना से अर्पित किए जाते हैं पर विडंबना यह है कि श्रद्धा भक्ति से अर्पित किए गए यह अक्षत सभी जैन मंदिरों में फर्श पर लगभग चारों तरफ यत्र-तत्र बिखरे पड़े रहते हैं और दर्शनार्थियों के पैरों से रौंदे जाते दिखाई पड़ते हैं। परम पूज्य आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज प्रायः अपने प्रवचन में इन बिखरे हुए चावलों पर पैर रखकर दर्शन, पूजन ना करने की

क्या माता पिता द्वारा छोटे बच्चों को दिगंबर मुनि की चर्या और अभिनय करवाना उचित है ?

*🤔 क्या माता पिता द्वारा छोटे बच्चों को दिगंबर मुनि मुद्रा धारण कराकर, उनको पिच्छी कमंडल देकर, आहार आदि चर्या कराना उचित है ❓* *➡आज व्हाट्सएप पर निम्नलिखित msg और उसके साथ कुछ वीडियो एवं फ़ोटो वायरल हुई* 👇🏽👇🏽👇🏽 Sector 11 उदयपुर में एक आचार्य महाराज जी के संघ मे 3 years का बच्चा महाराज जी के पास aata है रोज मुनि मुद्रा मे आचार्य श्री के साथ साथ रहता है उनको नहीं छोड़ता... मुनि धर्म की कॉपी करता है कमंडल पिचि सब रखता hai.. आहार चर्या मे उतरता hai.. जय हों jain धर्म के पूर्व संस्कार ..

दसलक्षण पर्व को दसलक्षण पर्व ही बोलें

दसलक्षण पर्व को दसलक्षण पर्व ही बोलें* आज मैं आप सभी का ध्यान एक बात की ओर आकर्षित करना चाहता हूं।        हम सब लोग हमारे *दसलक्षण पर्व* को *पर्युषण* बोलते हैं, और *पर्यूषण* के नाम से ही जानते हैं। इतना ही नहीं हमारे *दिगंबर जैन समाज के अधिकांश लोग इसे पर्यूषण ही कहते हैं,* जबकि वास्तविकता यह है कि *पर्यूषण श्वेतांबर परम्परा में कहा जाता है, जो 8 दिन के होते हैं। जबकि दिगम्बर परम्परा में दसलक्षण पर्व 10 दिन के होते हैं।* और खास बात यह होती है, कि *जिस दिन हमारे दसलक्षण पर्व प्रारम्भ होते

दिमाग लगाओ 🙇‍♀ तीर्थस्थान के नाम बताओ*🙏👍🙏👍

*दिमाग लगाओ 🙇‍♀ तीर्थस्थान के नाम बताओ*🙏👍🙏👍  🔓1)🌙🌕 🔑1)  🔓2) ✋⛰ 🔑2)  🔓3) 💎🌕 🔑3)  🔓4) 🦁⛰ 🔑4)  🔓5) 🐘❌पुर 🔑5)  🔓6) 👣⛰ 🔑6) 🔓7) 🍞🌕 🔑7)  🔓8) 👂🔔⭕ 🔑8)  🔓9) 8⃣👣 🔑9) 🔓10) 🍞⛰ 🔑10)  🔓11) 👏🏼 ⛳🗻 🔑11)  🔓12)🌙🚶🏽 🔑12)  🔓13) 🌺😬⛰ 🔑13)  🔓14) 👀⛰ 🔑14)  🔓15) 🍌sh⛰ 🔑15) 🔓16)Taa🎨 🔑16)  🔓17) o 🌊 यां 🔑17) 🔓18) 🐚🙏 🔑18)  🔓19) 👑🏠 🔑19)  🔓20) 🐍🙏 🔑20)  🔓21) 🥇⛰ 🔑21)  🔓22) 💪सा❌ 🔑22) 🔓23)🤵🏻👂🏼aa 🔑23)  🔓24) 🎼⛰ 🔑24)

Vidyasagar.Guru

Vidyasagar.Guru

जिन प्रतिमाओं के मंजन करने की विधि

*प्रतिमाओं का मंजन*        *विधि एवं आवश्यक सावधानियां*     _*कुछ ही दिनों में हमारे दसलक्षण पर्व प्रारंभ हो जाएंगे, और उसके पूर्व मंदिर जी में प्रतिमाओं का मंजन प्रारंभ हो जाएगा।*_       प्रतिमाओं के मंजन के संबंध में लोगों को भ्रांति रहती है,  अतः मार्गदर्शन स्वरूप यह पोस्ट दी जा रही है। *मंजन पूर्व की तैयारी-* 1- *खजूर की छोटी-छोटी डंडी लेकर उसका सिरा पत्थर से कूटकर उसे ब्रश जैसा बना लेना चाहिए, जिससे प्रतिमा पर जमे हुए दागों को साफ किया जा सके।* *2- लोंग का चूरा बन

JAIN PATHSHALA COLOUR BOOK SET

प्रथमोदय भाग 1-2,  अरुणोदय भाग 1-2,  ज्ञानोदय भाग 1-4 कुल आठ भागों का सैट मात्र 200/- में  नर्सरी से लेकर 8 वी तक के बच्चों के लिए मल्टीकलर आर्ट पेपर पर चित्रों से सहित  जो बच्चे पाठशाला नहीं जा पाते.  उनके लिए पर्वराज  पर्युषण में उपहार स्वरुप भेंट कर सकते हैं.  आज ही आर्डर करें. धर्मोदय विद्यापीठ सागर (मध्यप्रदेश) 7582986222 , +91 94249 51771

तीर्थराज सम्मेद शिखर के महामंत्री बने हजारीबाग के राजकुमार जैन

आदरणीय श्री राजकुमार जैन अजमेरा जी, हजारीबाग को शास्वत तीर्थराज के महामंत्री पद पर मनोनीत होने पर बहुत बहुत बधाई एवम अशेष शुभकामनाएं। आदरणीय अजमेरा जी अत्यंत ऊर्जावान, कर्मठ, समर्पित व्यक्तित्व हैं। पूर्व में भी अनेक पदों पर सुशोभित होकर धर्म प्रभावना और धर्मायतन सेवा में हमेशा अग्रणी रहे हैं।

admin

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