जैन मंदिरों में दर्शन, पूजन में भगवान के समक्ष अर्घ्य स्वरूप अक्षत (चावल) पुंज चढ़ाने की परंपरा है। ये अक्षत भगवान की तरह अक्षय मोक्ष पद प्राप्त करने की भावना से अर्पित किए जाते हैं पर विडंबना यह है कि श्रद्धा भक्ति से अर्पित किए गए यह अक्षत सभी जैन मंदिरों में फर्श पर लगभग चारों तरफ यत्र-तत्र बिखरे पड़े रहते हैं और दर्शनार्थियों के पैरों से रौंदे जाते दिखाई पड़ते हैं। परम पूज्य आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज प्रायः अपने प्रवचन में इन बिखरे हुए चावलों पर पैर रखकर दर्शन, पूजन ना करने की