दसलक्षण पर्व को दसलक्षण पर्व ही बोलें*
आज मैं आप सभी का ध्यान एक बात की ओर आकर्षित करना चाहता हूं।
हम सब लोग हमारे *दसलक्षण पर्व* को *पर्युषण* बोलते हैं, और *पर्यूषण* के नाम से ही जानते हैं। इतना ही नहीं हमारे *दिगंबर जैन समाज के अधिकांश लोग इसे पर्यूषण ही कहते हैं,* जबकि वास्तविकता यह है कि *पर्यूषण श्वेतांबर परम्परा में कहा जाता है, जो 8 दिन के होते हैं। जबकि दिगम्बर परम्परा में दसलक्षण पर्व 10 दिन के होते हैं।* और खास बात यह होती है, कि *जिस दिन हमारे दसलक्षण पर्व प्रारम्भ होते
*प्रतिमाओं का मंजन*
*विधि एवं आवश्यक सावधानियां*
_*कुछ ही दिनों में हमारे दसलक्षण पर्व प्रारंभ हो जाएंगे, और उसके पूर्व मंदिर जी में प्रतिमाओं का मंजन प्रारंभ हो जाएगा।*_
प्रतिमाओं के मंजन के संबंध में लोगों को भ्रांति रहती है, अतः मार्गदर्शन स्वरूप यह पोस्ट दी जा रही है।
*मंजन पूर्व की तैयारी-*
1- *खजूर की छोटी-छोटी डंडी लेकर उसका सिरा पत्थर से कूटकर उसे ब्रश जैसा बना लेना चाहिए, जिससे प्रतिमा पर जमे हुए दागों को साफ किया जा सके।*
*2- लोंग का चूरा बन