Sarita Paharia Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 *~~```अहिंसा का पर्मोत्कृष्ट् रूप~```*~ कहा गया हैं की अभय अहिंसा का परिपाक है, वह अहिंसा की चरमसीमा है, अहिंसक न तो किसी से डरता है और न डराता है, भय को जीतने अहिंसा अपने आप अपनी पर्मोत्कृष्ट् पर प्रकट हो जाती है । 🙏अहिंसा परमो धर्मः 🙏 8 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
sanskriti Jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) अहिंसा शब्द है अनमोल,घट-घट समाए हिंसा जङ विषाद की ,आनंद अहिंसा कहाए बंधन मे लिप्त प्रेम ही,हिंसा का भाव जगाए मुक्त-स्वतंत्र प्रेम यदि तो,अहिंसा को जगाए । "अहिंसा परमो धर्मः " जय जिनेन्द्र 🙏🙏🙏 Edited October 2, 2021 by sanskriti Jain 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rasila Jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा संगोष्ठी हमारा सबसे बड़ा कर्त्तव्य है. यदि हम इसका पूरा पालन नहीं कर सकते तो हमे इसकी भावना को अवश्य समझना चाहिए और जहां तक संभव हो हिंसा से दूर रहकर मानवता का पालन करना चाहिए. इस प्रकार जिए की आपको कल मर जाना है. सीखें उस प्रकार जैसे आपको सदा जीवित रहना है. गांधीजी ने प्रभुवीर की वाणी से अहिंसा का पाठ सीखा. हम इतने सालो से प्रभुवीर की वाणी सुनते आ रहे है.... हमने क्या सीखा? अहिंसा परमो धर्म की जय!🙏 6 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Arpana Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) 🍁माँसहार का त्याग करना बहुत बड़ा अहिंसा धर्म का पालन करना है क्योंकि इससे जीवों के घात से बचा जाता है और आज की नयी पीढ़ी यदि fast food 🍔 🍕🍫 🧀🍟🍞🥯🥐🥪🥫का त्याग करने का संकल्प करे तो इससे धर्म के पालन के साथ साथ जीव दया 🐄🐓🐇 और स्वास्थ्य 🧠की भी रक्षा होती है 🙏 अर्पणा जैन🍁 Edited October 2, 2021 by Arpana 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Komal ghodke Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) सब धर्मो का मूल अहिंसा महावीर कि वाणी अहिंसा इस धरती कि शान अहिंसा सबसे श्रेष्ठ धर्म अहिंसा साधुओ कि चर्या है अहिंसा हिंसा से बचना है अहिंसा विद्यागुरु का प्रयास अहिंसा सब के मन मे हो भाव अहिंसा अहिंसा परमो धर्म कि जय Edited October 2, 2021 by Komal ghodke 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Atul Singhai Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 जहाँ प्राणी मात्र का कल्याण और स्वयं के कल्याण की भावना निहित हो वही अहिंसा मेरे प्राणों का आधार हो। 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Nishi Jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा को अपनाकरही,जीवन होता है सफल। हिंसा से होता नुक़सान, नहीं निकलता कोई हल।। नाहीं दुखाओ दिल किसी का,नाहीं चोट पहुँचाओ। तोड़ फोड़ , मार धाड़ त्यागकर, अहिंसा के मार्ग को अपनाओ।। ”अहिंसा परमों धर्म” है, ये भगवान महावीर ने है बतलाया। जीओ और जीने दो का पाठ, सारे जग को है सिखलाया।। अहिंसा परमो धर्म: 4 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Saroj jain darya ganj Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा का दूसरा रूप त्याग है और हिंसा का दूसरा रूप स्वार्थ है। मन में किसी का अहित न सोचना ,किसी को कटुवाणी आदि के द्वारा भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था मे हिंसा न करना ,अहिंसा है।जैन धर्म और हिन्दू धर्म मे अहिंसा का बहुत महत्त्व है ।जैन धर्म के मूलमंत्र मे भी अहिंसा परमो धर्मः कहा गया है। अहिंसा भी दो प्रकार की है स्थूल और सूक्ष्म 9 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Anupriya jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा - सत्य प्राप्ति का मार्ग है और सत्य से भिन्न कोई ईश्वर नही है। Hate the sin, not the sinner 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Jain Meenakshi Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 "अहिंसा परमो धर्म" अहिंसा ही परम धर्म है। यह सभी धर्मों से महान् है, अन्य सारे धर्म इसके सामने गौण हैं। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने तो यहाँ तक कहा है-मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन। 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Lata Mahendra Jain Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 😶 2 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Roopal Pratik Shah Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 अहिंसा परमो धर्म : की जय 🙏🙏🙏 8 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Dinesh Kumar Jain Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 (edited) ।।अहिंसा, जैनधर्म का आधार है।। अहिंसा का पालन करना स्वयं के प्रति उपकार करना है। यदि हम मन वचन काय से अहिंसा धर्म का पालन करते हैं तो हमारे लिए मोक्ष निकट आता जाता हैं। क्षमा और दया, अहिंसा के आधार स्तंभ हैं। कमठ ने यदि तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान के जीव को क्षमा कर दिया होता तो उसे भी अब तक मोक्ष प्राप्त हो जाता। तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान ने दया, क्षमा, अहिंसा आदि महाव्रत के द्वारा मोक्ष प्राप्त किया। आज यदि हम जीवों की रक्षा करते हैं तो यह हमारी स्वयं की रक्षा है। यदि आज हम किसी जीव को संकल्प पूर्वक मारते है तो भविष्य में वो जीव हमें भी मारेगा या मार सकता है। इसलिये हमें निरन्तर पूर्व में किये पापों की निर्जरा करते रहना चाहिए। इसलिए हमें किसी भी जीव को मारना या सताना नहीं चाहिए। किसी भी जीव को किसी भी प्रकार से दुःख नहीं पहुँचाना ही अहिंसा है। अहिंसा परमो धर्म की जय हो... दिनेश कुमार जैन "आदि" मुम्बई - अम्बाह Edited October 5, 2021 by Dinesh Kumar Jain 4 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Best think of chirag jain Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 ahinsa kehne se nahi bhavo se aati hea. ahinsa dar se nahi nidarta se pali jati hea. ahinsa jaino ki hi nahi jan jan ki hea ahinsa ko kam-log dhaaran karte hea kam-jor nahi. -Chirag jain 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Veena jain25 Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 हिंसा और निशस्त्रीकरण द्वारा ही विश्व मैत्री ओर विश्व शांति की स्थापना संभव है अहिंसा ही धर्म का लक्षण है अहिंसा ही वीरों का धर्म हैं 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Jain Bhajan with Archana Badjatya Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 शासन नायक महावीर स्वामि ने जीओ और जीने दो का संदेश देकर अहिंसा हि परम धर्म है यह शिक्षा दी। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
निजात्मा Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 (edited) "अहिंसा स्वभाव है मेरा (आत्मा का)" विभाव में न हो परिणमन! वही मेरा धर्म, वही मेरा कर्म, वही तो है परम अहिंसा धर्म!! "Non-Violence is my (soul's) nature" I shall not go against my nature! That's my duty, That's my action, That is the ultimate true Dharma!! Edited October 3, 2021 by Nijatma 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Lata Mahendra Jain Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 Lata Mahendra jain Burhanpur MP 2 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sushma manoj jain Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 जीवों का जहाँ घात न हो, मन वचन काय से आघात न हो। जहाँ सबके प्राणो की चिंता है, वह धर्म मूल अहिंसा है। जब हरी घास पर पैर पड़े न, चीटी के भी प्राण हरे न। जहाँ एक घाट पर शेर गाय के, रहने की अनुशंसा है। गौ माता के प्राण बचाने वाला धर्म अहिंसा है। "अहिंसा परमो धर्मः"। 6 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Anu Jain Bangalore Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 वही धर्म कहा जा सकता है जिस में हिंसा का कोई स्थान ना हो 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Kavita ankush jain Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 जय जिनेन्द्र🙏🏻 बिना कारण तथा स्वार्थ के हेतु हिंसा करना अधर्म है । वास्तव में अहिंसा ही परम धर्म है और उसके साथ सत्य, क्रोध ना करना, त्याग, मन की शांति, निंदा न करना, दया भाव, सुख के प्रति आकर्षित ना होना, बिना कारण कोई कार्य न करना, तेज, क्षमा, धैर्य, शरीर की शुद्धता, धर्म का द्रोह ना करना, तथा अहंकार न करना, इतने गुणों को सत्व गुणी संपत्ति कहा जाता है। इसी से मनुष्य परमात्मा की भक्ति कर पाता है जीवन के कर्तव्य का वहन करता है धर्म की स्थापना करता है और धर्म के फल की आशा का त्याग करके जीता है। 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Virshree Patil Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 *वीरा की हायकू* ( अहिंसा दिवस विशेष) 🙏🏻 *अहिंसा*🙏🏻 पंप पाप से हिंसा प्रथम पाप त्यागते व्रती ।। त्यागते इसे द्रव्य औ भाव रुप अहिंसाप्रेमी ।। कम से कम संकल्प हिंसा त्याग करे आगारी।। दया करता जीवदया भाव है प्राणियों पर ।। कृषि वाणिज्य करता है श्रावक उद्योगी हिंसा ।। प्रात: करती जगत की महिला आरंभ हिंसा।। दिल दुखाना इससे ना बचा वो भाव हिंसा है ।। धर्म हमारा परम अहिंसा का शान से बोलो।। अहिंसा परमो धर्म की जय हो। वीरश्री शीतल पाटील, नेरुल नविमुम्बई 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Jinal Jain Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 अहिंसा मानव मन का स्थायी भाव है। वह उधार के तेल से जलाया गया दीपक नहीं है जो घड़ी भर में बुझ जाये। अहिंसा तो एक आंतरिक प्रकाश है। उसे कभी बुझाया नहीं जा सकेगा। अहिंसा परमो धर्म की जय 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
PreetiJain Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 अहिंसा का अर्थ केवल हिंसा करना नहीं है, अपितु दया, करूणा, मैत्री, सहायता, सेवा, और क्षमा करना भी है। 2 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Ranu Jain 123 Posted October 3, 2021 Share Posted October 3, 2021 "अहिंसा परमो धर्मः" यह जैन धर्म का मूल मंत्र है जैन धर्म इसी पर आधारित है। मन, वचन, काया से किसी भी सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों की हिंसा न हो। यही हमारा धर्म है 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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