Urmila Khandelwal Posted October 3, 2021 Posted October 3, 2021 अहिंसा मात्र शब्द नहीं है। एक जीवन है जो त्याग की और ले जाता है और हिंसा पाप की और। सभी धर्म अहिंसा को धारण करते है , परंतु जैन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसने अहिंसा को एक ऐसा उपकरण माना है और हर उस आत्मा को धारण करना चाहिए जो जिनेन्द्र भक्त है। अहिंसा का अर्थ केवल ये ही नहीं है कि किसी को मारना या हत्या नही करना अपितु इसका व्यापक रूप है हर उस प्राणी के लिए हरदय में क्षमा करुणा दया लोभ और सभी विकारों का त्याग करना तभी हम भावनात्मक और निषेधात्मक हिंसा से दूर रहकर अहिंसा का पालन कर सकते हैं। आज अहिंसा का रूप एक औ र भी है जो हमारे करुणामयआचार्यश्री जी विद्यासागर जी ने अहिंसक वस्त्र अहिंसक ओषधी अहिंसक खाद्य पदार्थ जिसे अपना कर हम अहिंसा की अलख जगा सकती हैं। जीओ और जीने दो ये महावीर का नारा जो जैन धर्म को अहिंसा परमो धर्म का उपदेश देता है। 4 Quote
Soumya jain burhar Posted October 3, 2021 Posted October 3, 2021 मनुष्य के जीवन का मूल सुख और शांति है जो अहिंसा पर आधारित है वास्तव में हिंसा के विचार , हिंसा के वचन , हिंसा के प्रयत्न न करना अहिंसा है । अहिंसा एवं सत्य एक दूसरे के पूरक हैं । अहिंसा का आयतन अनुकंपा गुण है। अहिंसा से ही स्व-पर कल्याण संभव है। यह धर्म है अहिंसा घारो ,ह्रदय से बढ़ के । जीता स्वयं को जिसने, जिन शब्द कह रहा है ।। माने जो ऐसे जिनको, सच जैन वह रहा है । सच्चे बनोगे जैनी ,जिनवर के पथ पै चल के ।। तरुवर के धर्म जैसा ,उपकार सबका करना । सब में छिपी अहिंसा ,जिओ जिलाओ मिलके ।। यदि हो अहिंसा प्रेमी, स्वागत करो दिवस का । दिन में ही लो बाराती , दिन में हो भोज सबका ।। बन जाओ श्रेष्ठ मानव , कुरीतियां कुचल के । यह धर्म है अहिंसा धारो हृदय से बढ़ के ।। अहिंसा परमो धर्म: 9 Quote
Ranjana Kashliwal Posted October 3, 2021 Posted October 3, 2021 अहिंसा इंसानियत की पहचान है, अहिंसा परम संयम है, अहिंसा परम दान है, अहिंसा परम यज्ञ है, अहिंसा परम मित्र है, अहिंसा परम सुख है, इसलिए तो कहते है कि अहिंसा परम धर्म है, सत्य धर्म है, और अहिंसा उसे पाने का साधन... 1 Quote
Dr pushpajain Posted October 3, 2021 Posted October 3, 2021 Ahinsa. Non-violence non injury to living things by even not allowing dravya & Bhav hinsa. Jeev daya 1 Quote
Saurabh Jain Posted October 4, 2021 Author Posted October 4, 2021 प्रतियोगिता के लिए अब आने वाली entries मान्य नहीं होगी आप अहिंसा पर अभी भी लिख सकते हीं प्रतियोगिता समाप्त अहिंसा संगोष्ठी मे आप अभी भी लिख सकते हैं 1 Quote
Sanjay Jain(kasliwal) Posted October 4, 2021 Posted October 4, 2021 अहिंसा में ऐसी अद्भुत शक्ति है, जिसके द्वारा आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं को सरलता पूर्वक समाहित किया जा सकता है। अहिंसा के आधार पर सहयोग और सहभागिता की भावना स्थापित करने से समाज को बल मिलता है। 1 Quote
ASHI JAIN Posted October 4, 2021 Posted October 4, 2021 अहिंसा का उपदेश =भूत, भावी और वर्तमान के अर्हत् यही कहते हैं-किसी भी जीवित प्राणी को, किसी भी जंतु को, किसी भी वस्तु को जिसमें आत्मा है, न मारो, न (उससे) अनुचित व्यवहार करो, न अपमानित करो, न कष्ट दो और न सताओ। Quote
सुमी मोदी Posted October 5, 2021 Posted October 5, 2021 अहिंसा एक मापदंड:- यदि आपके अंदर अहिंसा का भाव आ गया हैं तो बधाई हो आप मोक्ष महल की प्रथम सीढ़ी की ओर हैं।। ह्यको:- अहिंसा जानो मोक्ष मार्ग की ओर प्रथम सीढ़ी 2 Quote
SavitaJain Posted October 6, 2021 Posted October 6, 2021 अहिंसा मे अपार शक्ति है।वह शत्रु का नाश न करके शत्रुता का नाश करती है।अहिंसा श्रेष्ठ रसायन है।इसमें मधुरता का रस भरा है।अहिंसा से आत्मा की प्रसुप्त् अनंत दिव्य शक्तियां विकसित हो जाती है।अहिंसा मे अपार शक्ति है।वह शत्रु का नाश न करके शत्रुता का नाश करती है।अहिंसा श्रेष्ठ रसायन है।इसमें मधुरता का रस भरा है।अहिंसा से आत्मा की प्रसुप्त् अनंत दिव्य शक्तियां विकसित हो जाती है। Quote
Manju Posted October 6, 2021 Posted October 6, 2021 सत्य से बना शब्द सत अहिंसा है क्षमा को धारण करना अहिंसा हैसप्त व्यसन 5पाप और 4कषाय मन वचन और काय से किसी जीव को नहीं बताना अहिंसा है Quote
sachin jain123 Posted October 7, 2021 Posted October 7, 2021 किसी के प्रति अधिक रागात्मक भाव भी नही रखना भीअहिंसा है Quote
Sukhamoy Maji Posted October 25, 2021 Posted October 25, 2021 Ahimsa can be followed by the braves only; cowards cannot follow this path. Quote
MohitaJain Posted September 30, 2022 Posted September 30, 2022 अहिंसा से जीवन का उद्धार श्री पार्श्वनाथ जी ने एक दो बार नही लगातार दस भवों तक क्षमा भाव सहित अहिंसा का पूर्ण रूप से पालन किया और जगत्पति बने हम भी अहिंसा का पालन करें और अपने मनुष्य होने का प्रमाण दें। Quote
ketan gandhi Posted September 30, 2022 Posted September 30, 2022 jay jinendra to all ahinsha parmodharm ki jay Kisibhi jiv /prani matra ko hamare vichar se hamare vani se man ke andar hinsa ka bhav utpan na ho hamesha ek hi vichar se prarit ho jio or jinedo Ketan gandhi Quote
आलोक jain Posted September 29 Posted September 29 अहिंसा ही परम धर्म है क्योकि हिंसा से कोई भी युद्ध नहीं जीता जा सकता है अहिंसा से भी युद्ध खत्म किया जा सकता है अहिंसा ही सर्वोपरि है हिंसा करने से किसी का भला नहीं हो सकता अहिंसा से ही भला हो हो सकता है पाप से बचा जा सकता है... आलोक जैन सिहोरा जिला जबलपुर म. प्र Quote
AnjanaAkshayjain Posted September 29 Posted September 29 मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म: (अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया है। . अहिंसा परमो धर्म की जय 1 Quote
padmaini shashikant shah Posted September 30 Posted September 30 अहिंसा परमो धर्म। यानी कि अहिंसा अ+ हिंसा या नि की हिंसा नहीं करना। भगवान महावीर स्वामी ने भी हमें हिंसा ना करना,और अहिंसा धर्म का पालन करना यह सिखाया है। क्यों कि अहिंसा परमो धर्म है। अहिंसा एक परम धर्म है और मानवता का अधिकार है। भगवान महावीर स्वामी हुए उस समय हिंसा फैली हुई थी, लोग यज्ञ में पशु बलि चढ़ाते थे,पर भगवान महावीर स्वामी के शासन काल में भगवान महावीर ने सभी मनुष्यो को अहिंसा का पाठ पढ़ाया और मनुष्यो को अन्य किसी भी जीव की हिंसा नहीं करना यह सिखाया क्योंकि इस दुनिया में सभी जीवों को अपना जीवन जीने का हक है। हिंसा धार्मिक दृष्टि से पाप है। 1 Quote
tilakmati sethi Posted October 1 Posted October 1 अहिंसा परमो धर्म, इसे ऐसेही परम धर्म नहीं कहा गया है, अगर जगत के सारे प्राणी इस अहिंसा को समझ ले और अपने जीवनमें उतारले तो चारों ओर सुख और शांति का वातावरण बना रहेगा। आज दुनिया में कितना कत्लेआम हो रहा है, कितने देश युद्ध की विभीषिका को झेल रहे हैं। अहिंसा को पांचो पापों की बाढ कहा है। आज विश्व में अहिंसा धर्म को अपनाने की महती जरूरत है। जियो और जीने दो इसी में ही अहिंसा का सार आ गया है। किसी को प्राणों से जुदा कर देना यह तो हिंसा का विकृत रूप है ही, जैन धर्म में तो किसी का शोषण करने में भी बहुत बड़ी हिंसा बताई है, किसी को किसी भी तरह से दुखी किया , मानसिक कष्ट पहुंचाया हो वह सभी हिंसा की श्रेणी में आता है। हमें ऐसी अहिंसा को अपनाना चाहिए। अहिंसा परमो धर्म की जय। 1 Quote
Aayushijain170993 Posted October 1 Posted October 1 अहिंसा की आवाज़ न तलवारों की ज़रूरत, न ढालों का शोर, अहिंसा की शक्ति है, सबसे अनमोल। न आँखों में क्रोध, न शब्दों में विष, यह प्रेम का संदेश, जीवन का सन्देश। रक्तरंजित न हो धरती, न हो आकाश लाल, अहिंसा के पंखों से ऊँची उड़ान का ख्याल। न शस्त्रों की गूंज, न युद्ध का बवाल, शांति की सरिता में, सुलझे हर सवाल। जो बुरा भी करे, उसके प्रति करुणा रखो, विरोध की ज्वाला में भी संयम धरो। क्षमा का आचरण, दया की राह पर चलो, दुश्मन को भी अपने आँचल में ढलो। मौन की शक्ति, धैर्य की परिभाषा, अहिंसा की ज्योति से मिटे सब निराशा। हर मन में जागे, यह दिव्य प्रकाश, संसार बने, जैसे एक मधुर प्रयास। अहिंसा न कमज़ोरी, न कोई हार, यह है प्रेम का आह्वान, साहस का प्रहार। हर चोट को सहते हुए भी मुस्कुराओ, सत्य-अहिंसा की राह पर सदा बढ़ते जाओ। अहिंसा ही जीवन का आधार है, हर मनुष्य का यही संस्कार है। न हो किसी पर हिंसा का वार, प्रेम से जीत लो सारा संसार। संघर्ष में भी सदा शांति अपनाएँ, दूसरों का दुःख अपने में मिलाएँ। दुश्मन को भी मित्र बनाओ, हर मन में करुणा के दीप जलाओ। क्रोध, द्वेष को दूर भगाओ, प्यार और दया का पाठ पढ़ाओ। अहिंसा ही शक्ति का सागर है, इसी में छिपा मानव का अमरत्व है। हर हृदय में इसे स्थान दो, अहिंसा के मार्ग पर, सबको मान दो। 1 Quote
राजकुमारी जैन गवालियर Posted October 1 Posted October 1 Ahinsa ka matlab h kisi bi jeev ki hinsa na krna hinsa 2 prakaar ki hoti h dravya hinsa 2) bhav hinsa kisi ka bhav se bura sochna kisi dil dukhana adi bhav hinsa h dravya hinsa kisi jeev ka ghat krna dravya hinsa ahinsa parmodharam ki jai Quote
padmaini shashikant shah Posted October 2 Posted October 2 हमारे जैन धर्म के २४वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने जिओ और जीने दो यह नारा,सूत्र या सत्य जो भी कहें हम सभी मनुष्यो को संदेश दिया है, जिस का हम सभी मनुष्यो कलिकाल में भी पालन करते है और आगे भी करेंगे क्योंकि भारत की यह भूमि में राम,बुद्ध, महावीर स्वामी सभी ने हमें अहिंसा का पाठ पढ़ाया है, अहिंसा सूक्ष्म भी है और स्थूल भी है। किसी भी जीव को वाणी, वचनों, व्यवहार से दुःख पहुंचाना, सूक्ष्म हिंसा है, और स्थूल हिंसा यानी कि स्थूल काय जीव हाथी,बैल,गाय से लेकर चींटी जैसे कोई भी जीव की हिंसा करना हिंसा हि होती है, परंतु विश्व के किसी भी धर्म में किसी भी जीव को मारना हिंसा करना मना है, तथा हिंसा को पाप और अधर्म कहा है, इसीलिए अहिंसा परमो धर्म है। अहिंसा एक परम धर्म है और हमें सभी जीवों के प्रति करुणा और वात्सल्य भाव रखना जरूरी है। सभी जीवों को मनुष्यो की तरह ही जीने का अधिकार है और सभी जीवों को हिंसा से बचाना हमारा प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। Quote
Maina Devi Jain Posted October 4 Posted October 4 अहिंसा धर्म हमारे प्राणो से प्यारा धर्म। चमड़े की वस्तु पहनना छोडो अहिंसा को अपनाए। सत्य अहिंसा के नारो पर, हिंसा के प्रसाधन अपनाए, थोडा दयावान बनो,मुक पशु पर करुणा करो ओर अपने जीवन काल मे अहिंसा धर्म का झंडा फहराकर जीवो और जीने दो का नारा बुलंद करो। अहिंसा परमो धर्म की जय जय जय। मैना जैन छाबड़ा मुंबई मीरारोड अहिंसा धर्म हमारे प्राणो से प्यारा धर्म। चमड़े की वस्तु पहनना छोडो अहिंसा को अपनाए। सत्य अहिंसा के नारो पर, हिंसा के प्रसाधन अपनाए, थोडा दयावान बनो,मुक पशु पर करुणा करो ओर अपने जीवन काल मे अहिंसा धर्म का झंडा फहराकर जीवो और जीने दो का नारा बुलंद करो। अहिंसा परमो धर्म की जय जय जय। मैना जैन छाबड़ा मुंबई मीरारोड Quote
Aakanksha jain Posted October 7 Posted October 7 महावीर का ये संदेश,जन जन को बतलाना है। जियो और जीने दो का नारा,अब जग में फैलाना है। #अहिंसा परमोधर्म की जय🙏 Quote
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