Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World

Recommended Posts

Posted

अहिंसा  मात्र शब्द नहीं है। एक जीवन है जो त्याग की और ले जाता है और हिंसा पाप की और। सभी धर्म अहिंसा को धारण करते है , परंतु जैन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसने अहिंसा को एक ऐसा उपकरण माना है और हर उस आत्मा को धारण  करना चाहिए जो जिनेन्द्र भक्त है। अहिंसा का अर्थ केवल ये ही नहीं है कि किसी को मारना या हत्या नही करना अपितु इसका व्यापक रूप है हर उस प्राणी के लिए हरदय में क्षमा करुणा दया लोभ और सभी विकारों का त्याग करना तभी हम भावनात्मक और निषेधात्मक हिंसा से दूर रहकर अहिंसा का पालन कर सकते हैं। आज अहिंसा का रूप एक औ र भी है जो हमारे करुणामयआचार्यश्री जी विद्यासागर जी ने अहिंसक वस्त्र अहिंसक ओषधी अहिंसक खाद्य पदार्थ जिसे अपना कर हम अहिंसा की अलख जगा सकती हैं। जीओ और जीने दो ये महावीर का नारा जो जैन धर्म को अहिंसा परमो धर्म का उपदेश देता है।

  • Like 4
  • Replies 98
  • Created
  • Last Reply

Top Posters In This Topic

Top Posters In This Topic

Posted Images

Posted

मनुष्य के जीवन का  मूल सुख और शांति है जो अहिंसा पर आधारित है वास्तव में हिंसा के विचार , हिंसा के वचन , हिंसा  के प्रयत्न न करना अहिंसा है । 

अहिंसा एवं सत्य एक दूसरे के पूरक हैं । अहिंसा का आयतन अनुकंपा गुण है।

अहिंसा से ही स्व-पर कल्याण संभव है।

यह धर्म है अहिंसा घारो ,ह्रदय से  बढ़ के ।

जीता स्वयं को जिसने, जिन शब्द कह रहा है ।।

 माने  जो ऐसे जिनको, सच जैन वह रहा है ।

सच्चे बनोगे जैनी ,जिनवर के पथ पै चल के ।।

तरुवर के धर्म जैसा ,उपकार सबका करना ।

सब में छिपी अहिंसा ,जिओ जिलाओ मिलके ।।

यदि हो अहिंसा प्रेमी,  स्वागत करो दिवस का । 

दिन में ही लो बाराती , दिन में हो भोज सबका ।।

बन जाओ श्रेष्ठ मानव ,  कुरीतियां कुचल के ।

यह धर्म है अहिंसा धारो हृदय से बढ़ के ।।

 

अहिंसा परमो धर्म: 

  • Like 9
Posted

IMG-20211003-WA0005.jpeg

अहिंसा इंसानियत की पहचान है, अहिंसा परम संयम है, अहिंसा परम दान है, अहिंसा परम यज्ञ है, अहिंसा परम मित्र है, अहिंसा परम सुख है, इसलिए तो कहते है कि अहिंसा परम धर्म है, सत्य धर्म है, और अहिंसा उसे पाने का साधन...
  • Like 1
Posted

प्रतियोगिता के लिए अब आने वाली entries मान्य नहीं  होगी 

आप अहिंसा पर अभी भी  लिख सकते हीं 

प्रतियोगिता समाप्त 

अहिंसा संगोष्ठी मे आप अभी भी लिख सकते हैं 

  • Like 1
Posted

 अहिंसा में ऐसी अद्भुत शक्ति है, जिसके द्वारा आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं को सरलता पूर्वक समाहित किया जा सकता है। अहिंसा के आधार पर सहयोग और सहभागिता की भावना स्थापित करने से समाज को बल मिलता है।

  • Like 1
Posted

अहिंसा का उपदेश =भूत, भावी और वर्तमान के अर्हत् यही कहते हैं-किसी भी जीवित प्राणी को, किसी भी जंतु को, किसी भी वस्तु को जिसमें आत्मा है, न मारो, न (उससे) अनुचित व्यवहार करो, न अपमानित करो, न कष्ट दो और न सताओ। 

Posted

अहिंसा एक मापदंड:-

 

यदि आपके अंदर अहिंसा का भाव आ गया हैं

तो बधाई हो 

आप मोक्ष महल की प्रथम सीढ़ी की ओर हैं।।

 

ह्यको:-

अहिंसा जानो

मोक्ष मार्ग की ओर

प्रथम सीढ़ी

 

  • Like 2
Posted

अहिंसा मे अपार शक्ति है।वह शत्रु का नाश न करके शत्रुता का नाश करती है।अहिंसा श्रेष्ठ रसायन है।इसमें मधुरता का रस भरा है।अहिंसा से आत्मा की प्रसुप्त् अनंत दिव्य शक्तियां विकसित हो जाती है।अहिंसा मे अपार शक्ति है।वह शत्रु का नाश न करके शत्रुता का नाश करती है।अहिंसा श्रेष्ठ रसायन है।इसमें मधुरता का रस भरा है।अहिंसा से आत्मा की प्रसुप्त् अनंत दिव्य शक्तियां विकसित हो जाती है।

Posted

सत्य से बना शब्द सत अहिंसा है क्षमा को धारण करना अहिंसा हैसप्त व्यसन 5पाप और 4कषाय

मन वचन और काय से किसी जीव को नहीं बताना अहिंसा है

  • 3 weeks later...
  • 11 months later...
Posted

अहिंसा से जीवन का उद्धार

श्री पार्श्वनाथ जी ने एक दो बार नही लगातार दस भवों तक क्षमा भाव सहित अहिंसा का पूर्ण रूप से पालन किया और जगत्पति बने हम भी अहिंसा का पालन करें और अपने मनुष्य होने का प्रमाण दें।

Posted

jay jinendra to all

ahinsha parmodharm ki jay

Kisibhi  jiv /prani matra ko hamare vichar se hamare vani se man ke andar hinsa ka bhav utpan na ho hamesha ek hi  vichar se prarit ho jio or jinedo

Ketan gandhi

 

  • 1 year later...
Posted

अहिंसा ही  परम  धर्म  है क्योकि हिंसा  से  कोई  भी  युद्ध नहीं जीता जा सकता है अहिंसा से भी युद्ध खत्म किया जा सकता है अहिंसा ही सर्वोपरि  है हिंसा करने से किसी का भला नहीं हो सकता अहिंसा से ही भला हो हो सकता है पाप से बचा जा सकता है... आलोक जैन  सिहोरा  जिला  जबलपुर  म. प्र 

Posted

मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म: (अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया है।

अहिंसा परमो धर्म  की जय

  • Like 1
Posted

अहिंसा परमो धर्म। यानी कि अहिंसा अ+ हिंसा  या नि की हिंसा नहीं करना। भगवान महावीर स्वामी ने भी हमें हिंसा ना करना,और अहिंसा धर्म का पालन करना यह सिखाया है। क्यों कि अहिंसा परमो धर्म है। अहिंसा एक परम धर्म है और मानवता का अधिकार है। भगवान महावीर स्वामी हुए उस समय हिंसा फैली हुई थी, लोग यज्ञ में पशु बलि चढ़ाते थे,पर भगवान महावीर स्वामी के शासन काल में भगवान महावीर ने सभी मनुष्यो को अहिंसा का पाठ पढ़ाया और मनुष्यो को अन्य किसी भी जीव की हिंसा नहीं करना यह सिखाया क्योंकि इस दुनिया में सभी जीवों को अपना जीवन जीने का हक है। हिंसा धार्मिक दृष्टि से पाप है।

  • Like 1
Posted

अहिंसा परमो धर्म, इसे ऐसेही परम धर्म नहीं कहा गया है, अगर जगत के सारे प्राणी इस अहिंसा को समझ ले और अपने जीवनमें उतारले तो चारों ओर सुख और शांति का वातावरण बना रहेगा। आज दुनिया में कितना कत्लेआम हो रहा है, कितने देश युद्ध की विभीषिका को झेल रहे हैं। अहिंसा को पांचो पापों की बाढ कहा है। आज विश्व में अहिंसा धर्म को अपनाने की महती जरूरत है। जियो और जीने दो इसी में ही अहिंसा का सार आ गया है। किसी को प्राणों से जुदा कर देना यह तो हिंसा का विकृत रूप है ही, जैन धर्म में तो किसी का शोषण करने में भी बहुत बड़ी हिंसा बताई है,  किसी को किसी भी तरह से दुखी किया , मानसिक कष्ट पहुंचाया हो वह सभी हिंसा की श्रेणी में आता है। हमें ऐसी अहिंसा को अपनाना चाहिए। अहिंसा परमो धर्म की जय।

  • Like 1
Posted

अहिंसा की आवाज़

न तलवारों की ज़रूरत, न ढालों का शोर,  
अहिंसा की शक्ति है, सबसे अनमोल।  
न आँखों में क्रोध, न शब्दों में विष,  
यह प्रेम का संदेश, जीवन का सन्देश।  

रक्तरंजित न हो धरती, न हो आकाश लाल,  
अहिंसा के पंखों से ऊँची उड़ान का ख्याल।  
न शस्त्रों की गूंज, न युद्ध का बवाल,  
शांति की सरिता में, सुलझे हर सवाल।  

जो बुरा भी करे, उसके प्रति करुणा रखो,  
विरोध की ज्वाला में भी संयम धरो।  
क्षमा का आचरण, दया की राह पर चलो,  
दुश्मन को भी अपने आँचल में ढलो।  

मौन की शक्ति, धैर्य की परिभाषा,  
अहिंसा की ज्योति से मिटे सब निराशा।  
हर मन में जागे, यह दिव्य प्रकाश,  
संसार बने, जैसे एक मधुर प्रयास।  

अहिंसा न कमज़ोरी, न कोई हार,  
यह है प्रेम का आह्वान, साहस का प्रहार।  
हर चोट को सहते हुए भी मुस्कुराओ,  
सत्य-अहिंसा की राह पर सदा बढ़ते जाओ।  

अहिंसा ही जीवन का आधार है,  
हर मनुष्य का यही संस्कार है।  
न हो किसी पर हिंसा का वार,  
प्रेम से जीत लो सारा संसार।

संघर्ष में भी सदा शांति अपनाएँ,  
दूसरों का दुःख अपने में मिलाएँ।  
दुश्मन को भी मित्र बनाओ,  
हर मन में करुणा के दीप जलाओ।

क्रोध, द्वेष को दूर भगाओ,  
प्यार और दया का पाठ पढ़ाओ।  
अहिंसा ही शक्ति का सागर है,  
इसी में छिपा मानव का अमरत्व है। 

हर हृदय में इसे स्थान दो,  
अहिंसा के मार्ग पर, सबको मान दो।

  • Like 1
Posted

हमारे जैन धर्म के २४वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने जिओ और जीने दो यह नारा,सूत्र या सत्य जो भी कहें हम सभी मनुष्यो को संदेश दिया है, जिस का हम सभी मनुष्यो कलिकाल में भी पालन करते है और आगे भी करेंगे क्योंकि भारत की यह भूमि में राम,बुद्ध, महावीर स्वामी सभी ने हमें अहिंसा का पाठ पढ़ाया है, अहिंसा सूक्ष्म भी है और स्थूल भी है। किसी भी जीव को वाणी, वचनों, व्यवहार से दुःख पहुंचाना, सूक्ष्म हिंसा है, और स्थूल हिंसा यानी कि स्थूल काय जीव हाथी,बैल,गाय से लेकर चींटी जैसे कोई भी जीव की हिंसा करना हिंसा हि होती है, परंतु विश्व के किसी भी धर्म में किसी भी जीव को मारना हिंसा करना मना है, तथा हिंसा को पाप और अधर्म कहा है, इसीलिए अहिंसा परमो धर्म है। अहिंसा एक परम धर्म है और हमें सभी जीवों के प्रति करुणा और वात्सल्य भाव रखना जरूरी है। सभी जीवों को मनुष्यो की तरह ही जीने का अधिकार है और सभी जीवों को हिंसा से बचाना हमारा प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है।

 

Posted

अहिंसा धर्म हमारे प्राणो से प्यारा धर्म। चमड़े की वस्तु पहनना छोडो अहिंसा को अपनाए। सत्य अहिंसा के नारो पर, हिंसा के प्रसाधन अपनाए, थोडा दयावान बनो,मुक पशु पर करुणा करो ओर अपने जीवन काल मे अहिंसा धर्म का झंडा फहराकर जीवो और जीने दो का नारा बुलंद करो। अहिंसा परमो धर्म की जय जय जय। 

 

मैना जैन छाबड़ा मुंबई मीरारोड 

Screenshot_20241004-223435_Google.jpg

अहिंसा धर्म हमारे प्राणो से प्यारा धर्म। चमड़े की वस्तु पहनना छोडो अहिंसा को अपनाए। सत्य अहिंसा के नारो पर, हिंसा के प्रसाधन अपनाए, थोडा दयावान बनो,मुक पशु पर करुणा करो ओर अपने जीवन काल मे अहिंसा धर्म का झंडा फहराकर जीवो और जीने दो का नारा बुलंद करो। अहिंसा परमो धर्म की जय जय जय। 

 

मैना जैन छाबड़ा मुंबई मीरारोड 

Posted

महावीर का ये संदेश,जन जन को बतलाना है।
जियो और जीने दो का नारा,अब जग में फैलाना है।
#अहिंसा परमोधर्म की जय🙏

Join the conversation

You can post now and register later. If you have an account, sign in now to post with your account.

Guest
Reply to this topic...

×   Pasted as rich text.   Paste as plain text instead

  Only 75 emoji are allowed.

×   Your link has been automatically embedded.   Display as a link instead

×   Your previous content has been restored.   Clear editor

×   You cannot paste images directly. Upload or insert images from URL.

  • Who's Online   2 Members, 0 Anonymous, 12 Guests (See full list)

  • अपना अकाउंट बनाएं : लॉग इन करें

    • कमेंट करने के लिए लोग इन करें 
    • विद्यासागर.गुरु  वेबसाइट पर अकाउंट हैं तो लॉग इन विथ विद्यासागर.गुरु भी कर सकते हैं 
    • फेसबुक से भी लॉग इन किया जा सकता हैं 

     


×
×
  • Create New...