अहिंसा संगोष्ठी हमारा सबसे बड़ा कर्त्तव्य है.
यदि हम इसका पूरा पालन नहीं कर सकते तो हमे इसकी भावना को अवश्य समझना चाहिए और जहां तक संभव हो हिंसा से दूर रहकर मानवता का पालन करना चाहिए.
इस प्रकार जिए की आपको कल मर जाना है.
सीखें उस प्रकार जैसे आपको सदा जीवित रहना है.
गांधीजी ने प्रभुवीर की वाणी से अहिंसा का पाठ सीखा.
हम इतने सालो से प्रभुवीर की वाणी सुनते आ रहे है....
हमने क्या सीखा?
अहिंसा परमो धर्म की जय!🙏