जय जिनेन्द्र🙏🏻
बिना कारण तथा स्वार्थ के हेतु हिंसा करना अधर्म है । वास्तव में अहिंसा ही परम धर्म है और उसके साथ सत्य, क्रोध ना करना, त्याग, मन की शांति, निंदा न करना, दया भाव, सुख के प्रति आकर्षित ना होना, बिना कारण कोई कार्य न करना, तेज, क्षमा, धैर्य, शरीर की शुद्धता, धर्म का द्रोह ना करना, तथा अहंकार न करना, इतने गुणों को सत्व गुणी संपत्ति कहा जाता है। इसी से मनुष्य परमात्मा की भक्ति कर पाता है जीवन के कर्तव्य का वहन करता है धर्म की स्थापना करता है और धर्म के फल की आशा का त्याग करके जीता है।