Saurabh Jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 नियम / दिशा निर्देश आपको अहिंसा पर आधारित एक वाक्य अथवा कुछ पंक्तियां लिखनी है | वाक्य ऐसा होना चाहिए जो अभी तक किसी और ने ना लिखा हो | सामूहिक प्रस्तुतीकरण का हो प्रयास - अहिंसा का कोई विषय अछूता ना रहे| आपकी रचनात्मकता शैली इस प्रयोग को सफल बनाएगी आपकी पंक्ति / पंक्तियों के अंत मे अहिंसा परमो धर्म की जय लिख सकते हैं | चित्र भी साथ मे संलग्न कर सकते हैं ( जैसे परीक्षा मे उत्तर देते हुए Diagram भी बनाते हैं) आप अंग्रेजी, मराठी अन्य भाषा में भी लिख सकते हैं आप को पूरा निबंध नहीं लिखना हैं सिर्फ - कुछ पंक्तियाँ लिखनी हैं आपके वाक्य को दो बार ना लिखे - एडिट क्लिक कर सुधार कर सकते हैं Spoiler 3 october 21 रात्री दस बजे तक भाग लेने वालो मे* तीन प्रतिभागियों का चयन लक्की ड्रॉ द्वारा उपहार के लिए किया जाएगा उनके वाक्यों पर 5 पसंद Like होना अनिवार्य करे शुरुआत अहिंसा जैनाचार का प्राण तत्व हैं - इसे ही परम ब्रह्म और परम धर्म कहा गया हैं | अहिंसा परमो धर्म की जय 10 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Laxmi jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) जीवित प्राणियों को उन लोगों से भय नहीं रहता जिन्होंने अहिंसा का व्रत लिया हो। जैन धर्म के अनुसार, जीवन की सुरक्षा, जिसे "अभयदानम्" के रूप में भी जाना जाता हैं, सर्वोच्च दान हैं जो कोई व्यक्ति कर सकता हैं। लक्ष्मी जैन..अनसिंग. Edited October 2, 2021 by Laxmi jain फोन नंबर हटाया - आपको फोन नंबर नहीं लिखना हैं 10 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Kanak jain hazaribagh Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) अहिंसा परम धर्म हैं, अहिंसा परम संयम है, अहिंसा परम दान है तथा अहिंसा परम यज्ञ है, अहिंसा परम फल है, अहिंसा परम मित्र है और अहिंसा परम सुख है. – Edited October 2, 2021 by Kanak jain hazaribagh 8 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Ratankumar Jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा का सामान्य अर्थ हैं हिंसा न करना। मन, वचन ,काय से षट्काय के जीवों की रक्षा करना। . ... अहिंसा परमोधर्मः 6 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Deepti_jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) 🙏अहिंसा: जैन धर्म में अहिंसा संबंधी सिद्धान्त प्रमुख है। मन, वचन तथा कर्म से किसी के प्रति असंयत व्यवहार हिंसा है। पृथ्वी के समस्त जीवों के प्रति दया का व्यवहार अहिंसा है। इस सिद्धांत के आधार पर ही जियो और जीने दो का सिद्धांत परिकल्पित हुवा है | Edited October 2, 2021 by Deepti_jain 8 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Chand Jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) "Ahinsa" Ka arth hai -: 'Hinsa ka poorntaya tyag'. Ahinsa jain Dharm ka Adhaar Stambh hai. "Jeevo ki raksha karna hi hum sabhi jaino ka mahatvapurn prayaas hai." "Ahinsa Parmo Dharma" Edited October 2, 2021 by Chand Jain 6 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Jainsakshi Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 काम हो रहा मिलजुल कर, वहांं हिंसा का क्या काम इसीलिए तो श्रेष्ठ कहलाता,यह सत्य"अहिंसा"नाम| 'मारपीट'कर कोशिश करते,नहीं बनता उनका काम अब तो छोड़ो हिंसा को,शायद बन जाये वह'काम'| दर्द को समझो,माफ करो तुम सब जीवित प्राणी को एक बार तुम ध्यान से सुन लो तीर्थंकर की वाणी को| कलयुग है हिंसा से पीड़ित,'हिंसक'बन गया इंसान कर्म करो तुम अपने अच्छे,स्वयं पुकारेंगें"भगवान"|| [मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन है] "अहिंसा परमो धर्मः" 7 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Shivani Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म: (अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया है। Edited October 2, 2021 by Shivani 12 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Aaira jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 प्रेम और अहिंसा से ही मानवता का विकास है| अहिंसा परमो धर्म की जय🙏🏻 7 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pushpa Kondekar Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 Manmay kashay bhavonki uttapatty hi nahi hona sabse badi ahinsa hai. 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Ratan Lal Jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा का सामान्य अर्थ है 'हिंसा न करना'। इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Ankita Patodi Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा एक रहस्यमई शब्द है जिसे कम ही लोग समझते हैं अधिकतर लोग यही जानते हैं कि किसी से किसी की पिटाई मत करो किसी को घायल मत करो किसी की जान मत लो यही अहिंसा है अहिंसा का यह अर्थ तो है ही इसके अतिरिक्त यदि किसी व्यक्ति को अपमानित करते हैं तो यह भी एक प्रकार की हिंसा है किसी के बारे में बुरा सोचते हैं यह भी एक प्रकार की हिंसा है Jj 4 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sapna Swapnil Gandhi Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 हिंसा,राग , द्वेष, वैर,या भावनेवर भाव शुध्दी ठेवणे म्हणजे अहिंसा होय 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
SavitaJain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) चार प्राकार की हिंसा में से एक संकल्पई हिंसा न करने का प्रण करके अहिंसा धर्म का पालन कर सकेंगे।इन्द्रिय संयम व प्राणी संयम को अपना कर भी हम अहिंसक बन सकते है अहिंसा परमोधर्म ही श्रेष्ठ है। Edited October 6, 2021 by SavitaJain 4 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rani Devi Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 सत्य अहिंसा गीत सुनायेंभारत की महिमा बतलायें छोडोंविदेशी भाषा तुम्हें आना पड़ेगा इस देश में दुबारा गांधी मोदी का आह्वान सबके हित में भैया धर्म अहिंसा मन में धारों बचा लो अपनी गैयाअहिंसा परमोधर्म की जय रानी देवी जैन जयपुर राजस्थान मोबाइल नंबर 9309365730 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
मीना पाड़लिया Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 द्रव्य में ना हो प्रमाद ना हो भावों में आवेग हर क्षण सम्यकत्व परम अहिंसा का यही है सहज भेद अर्थ और रुप मीना पाड़लिया 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pushpajain Jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 जो संसार के दुखो से प्राणियो को निकालकर उत्तम सुख मे पहुंचाता है वह अहिंसामय धर्म है, भगवान महावीर के द्वारा कह गयेपांच महाव्रत में प्राणी हिंसा से विरत होना अहिंसा महाव्रत है और इसे सबसे पहले रखा है अहिंसा का आशय किसी को न मारना वध करना नहीं है अपितु करुणा भाव दयाभाव और कषायपुर्वक मन वचन काय की प्रवृति न करना है निश्चय से रागादि भावो का उदभव न होना यही अहिंसा है और उनकी उत्पति होना हिंसा है यही जैन धर्म का सिद्धांत है जयजिनेंद्र 8 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sweta108 Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा जननी है- जीवन विकास की, अंतर विलास की, विश्व शांति की, आध्यात्मिक क्रांति की, सत्य अमृत की, अस्तेय व्रत की, ब्रह्मचर्य बल की, अपरिग्रह सुफल की, मैत्री भाव की, करुणा स्वभाव की। अहिंसा व सत्य जैन धर्म की धड़कन है। यदि अपनाना चाहते हो तो "अहिंसा परमो धर्म:" अपनाओ। अर्थात अहिंसक ही क्षमा धारण कर सकता है 7 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sonam jain 22 Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 भगवान महावीर ने अपनी वाणी से और अपने स्वयं के जीवन से इसे वह प्रतिष्ठा दिलाई कि अहिंसा के साथ भगवान महावीर का नाम ऐसे जुड़ गया कि दोनों को अलग कर ही नहीं सकते। अहिंसा का सीधा-साधा अर्थ करें तो वह होगा कि व्यावहारिक जीवन में हम किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं, किसी प्राणी को अपने स्वार्थ के लिए दुख न दें। 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Ramesh Sontakke Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 काया, वाचा व मन यांनी कोणालाही इजा/दुखापत न करणे म्हणजे अहिंसा. अहिंसे चे तत्व सर्वांनी स्वीकारल्यास संपुर्ण विश्वा मध्ये सुख शांती व समाधान नांदेल.जैन धर्मा मध्ये अहींसे ला खूप महत्त्व आहे. भगवान महावीर स्वामींचा संदेश परोस्परो ग्रहानाम(जगा आणि जगू द्या) याची आज संपुर्ण विश्वाला खूप गरज आहे. "जय जिनेन्द्र" 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
सोनम जैन Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 यदि आप अपने स्वार्थ के लिए किसी भी जीवित प्राणी को चोट नहीं पहुँचाते, दुर्व्यवहार नहीं करते, उसका उत्पीड़न नहीं करते, उससे दासता नहीं करवाते, उसका अपमान नहीं करते, उसे पीड़ा नहीं पहुँचाते, उसे यातना नहीं देते या उसकी हत्या नहीं करते तो आप अहिंसावादी है। 3 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Jinal Shah Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) सुख का मूल धर्म है। धर्म का मूल दया है। दया का मूल अहिंसा है। ।।जय जिनेंंन्द्र।। Edited October 2, 2021 by Jinal Shah 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Arti jain Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 (edited) हिंसा किसी मनुष्य, समाज और देश के लिए हितकर नही हो सकता हैं इसलिए अहिंसा ही सबका धर्म होना चाहिए. हम खुशनसीब हैं कि हम भगवान महावीर के वंशज हैं जिसका अहिंसा ही धर्म है और अहिंसा ही मर्म. ।।।।।। अहिंसा परमो धर्म...।। Edited October 2, 2021 by Arti jain Double ho gaya tha 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Manisha jain13 Kolhapur Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा सही मायने में तभी चरितार्थ है जब हम खुद तो हिंसा होने व करने से बचें पर हिंसा को देखने व करने से भी सबको रोके 2 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
RAVIKANT JAIN Posted October 2, 2021 Share Posted October 2, 2021 अहिंसा का सीधा-साधा अर्थ करें तो वह होगा कि व्यावहारिक जीवन में हम किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं, किसी प्राणी को अपने स्वार्थ के लिए दुख न दे 5 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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