जीवों का जहाँ घात न हो, मन वचन काय से आघात न हो।
जहाँ सबके प्राणो की चिंता है, वह धर्म मूल अहिंसा है।
जब हरी घास पर पैर पड़े न, चीटी के भी प्राण हरे न।
जहाँ एक घाट पर शेर गाय के, रहने की अनुशंसा है।
गौ माता के प्राण बचाने वाला धर्म अहिंसा है।
"अहिंसा परमो धर्मः"।