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दस लक्षण पर्व ऑनलाइन महोत्सव

शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)

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  1. अतिशय क्षेत्र वागोल पाश्र्वनाथ नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, वागोलजी, तहसील - कुशलगढ़, जिला - बांसवाड़ा (राजस्थान) पिन - 327801 टेलीफोन - 02965-275311,275258, 094136-25158, 094145-95728, 09929991000 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम)- 2, कमरे (बिना बाथरूम) - X, हाल -1, गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 150. भोजनशाला - X आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - थांदला रोड़ - 38 कि.मी. बस स्टेण्ड - चूड़ादा - 3 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - कुशलगढ़ से बस द्वारा निकटतम प्रमुख नगर - कुशलगढ़ - 8 कि.मी., रतलाम जंक्शन - 98 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दिगम्बर जैन बीसपंथी समाज, कुशलगढ़ अध्यक्ष - श्री जयंतीलाल शेठ (02965-275311, 09413625158) मंत्री - श्री हँसमुखलाल शेठ (02965-275258, 09929991000) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - 01 क्षेत्र पर पहाड़ - नहीं ऐतिहासिकता - किंवदन्ती के अनुसार श्री सुमतकीर्ति भट्टारकजी महाराज द्वारा यह मन्दिर उड़ाकर लाया गया है। भ. पाश्र्वनाथ की मनोज्ञ सात फण की मूर्ति है। विशेष जानकारी - चैत्र शुक्ला एकम् पर ध्वजारोहण व विविध कार्यक्रमों के साथ वार्षिक मेले का आयोजन होता है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र केशरियाजी - 150 कि.मी., नागफणि - 130 कि.मी., कुशलगढ़ आदिनाथ-5 कि.मी. अजिंदा पार्श्वनाथ - 200 कि.मी.,अन्देश्वर पार्श्वनाथ - 18 कि.मी. वाग्वर गोमटेश कलिंजरा -28 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| 
  2. अतिशय क्षेत्र नंदीश्वर-पंचालेश्वर महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री नन्दीश्वरद्वीप 52 जिनालय अतिशय क्षेत्र, पंचालेश्वर, ग्राम-पंचालेश्वर, तह.-गेवराई, जिला-बीड़ (महाराष्ट्र) पिन-431130 टेलीफोन - मो.: 096579-17108, 08805171027 (धर्मा) क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - X, कमरे (बिना बाथरूम) - 5 हाल - 1, गेस्ट हाऊस - शासकीय यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 50 भोजनशाला - नहीं औषधालय - नहीं पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - प्राथमिक स्कूल एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- नहीं आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - औरंगाबाद - 105 कि.मी. बस स्टेण्ड - गेवराई , जिला- बीड़ पहुँचने का सरलतम मार्ग - औरंगाबाद-सोलापुर हाइवे. नं. 211 पर शहागढ़ ग्राम से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। निकटतम प्रमुख नगर - औरंगाबाद - 105 कि.मी. की दूरी पर प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री 1008 नन्दीश्वर दि. जैन अतिशय क्षेत्र पोस्ट-राक्षसभुवन अध्यक्ष - श्री श्रीपाल गंगवाल, गेवरई (09325325177) मंत्री - श्री भाउसाहेब बाकलीवाल (096579-17108) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 03 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : क्षेत्र पर जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है। श्री 1008 पद्मप्रभु भगवान तथा श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान की क्रमश : 15 फुट तथा 17 फुट की खड्गासन प्राचीन प्रतिमायें क्षेत्र पर विराजमान हैं। नन्दीश्वर का अतिशय क्षेत्र अन्यत्र कहीं नहीं हैं। वार्षिक मेले : फाल्गुन शु. 10 को वार्षिक मेले का आयोजन, प्रति अमावस्या को क्षेत्र पर मुनिसुव्रतनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र : कुंथलगिरि - 110 कि.मी., बीड़ - 52 कि.मी., पैठण - 30 कि.मी., कचनेर - 80 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| 
  3. अतिशय क्षेत्र नाईचाकुर महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ व पंचभैरव क्षेत्रपाल दि. जैन अतिशय क्षेत्र, नाईचाकुर ग्राम-नाईचाकुर, तह.-उमरगा, जि.-उस्मानाबाद (महा.) पिन - 413606 टेलीफोन - 09422206711, 07588936801, 09527691666 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम)-४, कमरे (बिना बाथरूम)-4, हाल - 1,(यात्री क्षमता 20) गेस्ट हाऊस - निर्माणाधीन यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 200 भोजनशाला - नहीं पुस्तकालय - नहीं औषधालय - नहीं विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - सोलापुर - 100 कि.मी., लातूर-50 कि.मी. बस स्टेण्ड - उमरगा - 20 कि.मी., नारंगवाड़ी - 7 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - उक्त स्थानों में से किसी भी स्थान से सड़क मार्ग द्वारा निकटतम प्रमुख नगर - उमरगा - 20 कि.मी., लातूर - 50 कि.मी., कासार सिरसी - 12 कि.मी., प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ और श्री पंचभैरव क्षेत्रपाल दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र अध्यक्ष - श्री फूलचन्दजी चन्द्रकांत जैन,इंगलवार (9422206711) मंत्री - श्री विजयकुमार नाभिराज, जमालपुरे, नाईचाकुर (07588936801, 09527691666) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 02 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं। ऐतिहासिकता : क्षेत्रपालजी की मनोभाव से पूजा अर्चा करने से भक्तों की इच्छा पूर्ति होती है। ऐसा भक्तजनों का विश्वास है। पुराना अतिशय क्षेत्र है। इच्छा पूर्ति के लिए यात्री भगवान पार्श्वनाथ एवं क्षेत्रपाल जी के दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर पुराना है, जागृत देवस्थान है। भूकम्प आने से मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया है। नये भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। वार्षिक मेले या विशेषआयोजन: वार्षिक यात्रा पौष अमावस्या को होती है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - आष्टाकांसार, तह.-लोहारा - 40 कि.मी., सांवरगांव-90 कि.मी., तेर 120 कि.मी., कुंथलगिरि 150 कि.मी., हरसुर अतिशय क्षेत्र जिला - गुलबर्गा - 120 कि.मी., श्री पद्मावती देवी अतिशय क्षेत्र हुणसे हडगली जिला- गुलबर्गा -85 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  4. SWOT Analysis - Strength, Weakness, Opportunities & Threat क्या हैं समृद्ध समाज एवं विकसित समाज की परिभाषा किन मापदंडों पर समुदाय की समृद्धि एवं विकास को मापा जाता है ? जैन समाज को समृद्धि एवं विकिसित बनाने के लिए आपके क्या सुझाव हैं ? आप इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं - तो हमे जरूर बताएं | आप अपने विचार अंग्रेजी एवं हिंदी , किसी भी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं - हम चाहेंगे की आप हिंदी में प्रयास करें |
  5. अतिशय क्षेत्र शान्तिनाथ - बमोतर नाम एवं पता - श्री 1008 दि. जैन अतिशय क्षेत्र, शान्तिनाथ, ग्राम - बमोतर पो. - सिद्धपुर, तहसील एवं जिला- प्रतापगढ़ (राजस्थान) पिन - 312605 टेलीफोन - 01478 - 222444, 09414397144, 098289 43596 (प्रबंधक) सम्पर्क सूत्र अध्यक्ष - श्री आनन्द प्रकाश जैन, ‘आनन्द भवन', गोपालगंज, प्रतापगढ़ (०1478 222444) क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - वीआईपी कमरे (अटैच बाथरूम)- 9, साधारण कमरे - 17, हाल - 1+3 (यात्री क्षमता- 300), गेस्ट हाऊस - 1 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 1000. (2000 व्यक्तियों के लिए बर्तन तथा ठंडे पानी की मशीन, 50 बिस्तर गादियों की व्यवस्था ) भोजनशाला - 1 (नया रसोईघर प्रस्तावित) औषधालय - प्रस्तावित पुस्तकालय - प्रस्तावित विद्यालय - प्रस्तावित आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - मन्दसौर - 36 कि.मी. बस स्टेण्ड - प्रतापगढ़ - 4 कि.मी.देवगढ़-14 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - प्रतापगढ़ - चित्तौड़गढ़ मार्ग, सड़क मार्ग निकटतम प्रमुख नगर प्रतापगढ़ - 4 कि.मी.- चित्तौड़गढ़ मार्ग पर प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री पंचान बीसा नरसिंहपुरा समाज, प्रतापगढ़ अध्यक्ष - श्री आनन्द प्रकाश जैन (01478-222444) सचिव - श्री सूरजमल जैन, प्रतापगढ़ (01478 - 220453) कोषाध्यक्ष - श्री महावीर जैन, श्री कान्तिलाल जैन क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - 01 क्षेत्र पर पहाड़ - नहीं ऐतिहासिकता - यहाँ दिगम्बरों के 7 एवं श्वेताम्बरों के 9 भव्य व विशाल दर्शनीय मन्दिर है। मूल नायक भगवान अजितनाथ (संवत् 1712 में प्रतिष्ठित) के बायीं ओर भगवान चन्द्रप्रभु की संवत् 1826 की प्रतिमा है। भट्टारक हेमाचार्यजी द्वारा संवत् 1902 में 5 फुट की श्रीशांतिनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान की गई है। छोटा द्वार होने से मन्दिर में प्रतिमा का प्रवेश करना कठिन था तब भट्टारकजी ने तीन दिन तक जल, आहार त्यागने के पश्चात्तीसरे दिन कहा कि प्रतिमा को उठाकर मंदिर में रखा जाय। प्रतिमा में हलकापन आने व छोटी होने पर प्रतिमा को उठाकर मंदिर में विराजित की गयी। सन् 1960 में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। वार्षिक मेले - ज्येष्ठ सुदी पूर्णिमा - प्रति वर्ष रथ यात्रा महोत्सव समीपवर्ती दर्शनीय स्थल उदयपुर-165 कि.मी.,बांसवाड़ा-90 कि.मी.,नन्दनवन-धरियावद केपास-40 कि.मी., चित्तौड़गढ़-110 कि.मी., प्राचीन दर्शनीय मंदिर देवगढ़-14 कि.मी., केसरियाजी वाया घरियावद, सलुम्बर- 150 कि.मी., वही पाश्र्वनाथ- 45 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| 
  6. अतिशय क्षेत्र सरवाड नाम एवं पता - श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, सरवाड़ ग्राम / तहसील - सरवाड़, जिला - अजमेर (राजस्थान) पिन - 305 403 टेलीफोन - 01496 - 230083, 230027, 09414554583, 09414555064, 09829504195 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन यात्री निवास, कमरे (अटैच बाथरूम) -1, कमरे (बिना बाथरूम) - 03 हाल - 3 (यात्री क्षमता - 25+40+20), गेस्ट हाऊस - शासकीय यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 60 भोजनशाला - नहीं अन्य - हस्तलिखित लगभग 40 ग्रंथ है। औषधालय - नहीं पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - नसीराबाद - (अजमेर) 40 कि.मी. बस स्टेण्ड - सरवाड़ (अजमेर - कोटा मार्ग) पहुँचने का सरलतम मार्ग - जयपुर से डिग्गी मालपुरा, केकड़ी सरवाड़, जयपुर से नसीराबाद, सरवाड़ निकटतम प्रमुख नगर - अजमेर - 60 कि.मी., नसीराबाद - 40 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दिगम्बर जैन मंदिरान एवं समाज व्यवस्थापक समिति (पंजी.प्रन्यास) मु.प्रबंधक अध्यक्ष - श्री सूजानमल भू. जैन, अधिवक्ता (01496 - 230083) (का.) महामंत्री - श्री भंवरलाल बज केकड़ी (०1467 - 220048) (दु.) कोषाध्यक्ष - श्री अमितकुमार जैन गोधा (098295 04195) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - ०३ क्षेत्र पर पहाड़ - नहीं ऐतिहासिकता - अजमेर से 60 कि.मी. की दूरी पर 1000 वर्ष पूर्व का प्राचीन सरवाड़' नगर आज भी विद्यमान है। यह नगर गौड़ राजाओं के राज्य की राजधानी रहा। चतुर्थकाल की अद्भुत कलात्मक प्रतिमा भगवान श्री आदिनाथ की विराजमान है। संवत् 1 125 का श्री आदीश्वर का देहरा, यह शिलालेख मंदिर के जीर्णोद्धार का है। मुसलमान बादशाह मोहम्मद गौरी के प्रतिनिधि कुतुबुद्दीन ऐबक को नगर में आक्रमण करने पर भगवान के समक्ष नतमस्तक होना पड़ा, क्योंकि मंदिर को क्षति पहुँचाई। वह नगर की ख्याति एवं शांति से अत्यधिक प्रभावित हुआ। इस क्षेत्र की प्रसिद्धि सुनकर ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के बड़े पुत्र उनकी माँ के साथ यहाँ बस गये। राजाओं के नाम एवं मुगल बादशाहों के नाम भी इतिहास के पन्नों पर उल्लेखित हैं। क्षेत्रपाल, चक्रेश्वरी देवी, पद्मावती माताजी की प्रतिमाएं भी हैं। मुसलमान बादशाह की हाथ जोड़े खड्गासन प्रतिमा यहाँ उपलब्ध है। विशेष आयोजन की तिथियाँ - अष्टमी एवं चतुर्दशी को भगवान का अभिषेक एवं वार्षिक मेला भगवान आदिनाथ जन्म जयंति समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र बधेरा - 34 कि.मी., सावर - 40 कि.मी., डेरा कि.मी., मोराझड़ी - 30 किमी., चांपानेरी -20 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| 
  7. अतिशय क्षेत्र सांखना - टोंक नाम एवं पता - श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, सांखना-टोंक ग्राम - सांखना, तहसील एवं जिला - टोंक (राजस्थान) पिन - 303 503 टेलीफोन - मो.: 097847-57158 Email : soniprakash76@yahoo.in क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 17, कमरे (बिना बाथरूम) - 9 हाल - 2, (यात्री क्षमता - 100), गेस्ट हाऊस - 1 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 500. अन्य - एक धर्मशाला बाजार में है। भोजनशाला - नहीं औषधालय - है, एलोपेथिक पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - निवाई एवं वनस्थली - 57 कि.मी. बस स्टेण्ड - टोंक - 28 कि.मी., टोंक से छान - 20 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - टोंक होते हुए सांखना पहुँचने का मार्ग, छान से सांखना-7 कि.मी. छान में सभी बसें रुकती है। निकटतम प्रमुख नगर - छान -7 कि.मी. टोंक - 28 कि.मी., देवली - 49 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री 1008 शांतिनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र प्रबंध कमेटी, सांखना अध्यक्ष - श्री प्रकाशचन्द जैन (सोनी), टोंक (08003201008, 094145-58485) मंत्री - श्री प्यारचन्द्र जैन, छान, टोंक (085030 53548, 09829108025) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - 01 क्षेत्र पर पहाड़ - है। ऐतिहासिकता - श्री शांतिनाथ दि. जैन मंदिर 431 वर्ष पुराना है। पद्मासन प्रतिमा 41 की है। दो शिलालेख उत्कीर्ण हैं। मंदिर का निर्माण संवत् 1631 में शाह गोत्रिय श्रेष्ठी श्रावक द्वारा कराया गया। भट्टारक श्री ललित कीर्तिजी चन्द्रकीर्तिजी तत शिष्य आचार्य हेमचन्द्रेण ने मंदिर प्रतिष्ठा करवाई। सोलंकी राजपूत गुजरात में परास्त होकर भगवान शांतिनाथ के दरबार में आये एवं इष्ट मानकर पूजा की। मुगल शासकों के भय से अन्यत्र प्रतिमा ले जाने का भय होने से मूर्ति टस से मंस नहीं हुई। प्रयास करने पर जनेउ के आकार में फट गयी (आज भी दरार दिखाई देती है)। रात्रि में किसी भक्त को स्वप्न में दर्शन दिये एवं दिव्य ध्वनि सुनाई दी कि उपसर्ग निवारण हेतु शुद्ध आटे का गर्म सीरा बनाकर, प्रतिमा के चारों ओर लगाकर बांध देने से, प्रतिमा जुड़ जायेगी। प्रतिमा जुड़ गई जो एक चमत्कार है।वह चमत्कारिक प्रतिमा आज भी विराजमान है। वार्षिक मेले - कार्तिक वदी एकम को वार्षिक उत्सव एवं मिती ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी भगवान शांतिनाथकात्रय कल्याणक महोत्सव। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र श्री चन्द्रप्रभु दि. जैन अतिशय क्षेत्र, मेहन्दवास-टोंक - 14 कि.मी. दिगम्बर जैन मंदिर, निवाई -58 कि.मी., नसिया टोंक-27 कि.मी., निमोला - 10 कि.मी., अतिशय क्षेत्र आँवा - 37 कि.मी.,पदमपुरा-75 कि.मी. चमत्कारजी-सवाई माधोपुर-80 कि.मी., अतिशय क्षेत्र निमोला -10 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| 
  8. सिद्ध क्षेत्र मांगीतुंगी जी महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री मांगीतुंगीजी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, मांगीतुंगीजी मु. पो. - मांगीतुंगी, तह. - सटाणा, जिला - नासिक (महा.) पिन - 423302 टेलीफोन - 02555-242519, मो. : 09422754603, 07588711766, 09890122799 09673718008, email - mangitungi.1008@gmail.com क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 72, कमरे (बिना बाथरूम) - 40, हाल - 4, (यात्री क्षमता - 250), गेस्ट हाऊस - 6 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 500 भोजनशाला - है, सशुल्क औषधालय - है पुस्तकालय - है विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - मनमाड़ - 100 कि.मी. बस स्टेण्ड - ताहराबाद - 11 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - मनमाड़, मालेगांव, नासिक, धूलिया से बस द्वारा निकटतम प्रमुख नगर - मनमाड़-100 कि.मी., मालेगांव-65 कि.मी., नासिक-125 कि.मी. धूलिया-100 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री मांगीतुंगीजी दि. जैन सिद्धक्षेत्र ट्रस्ट अध्यक्ष - श्री रमेश हुकुमचन्दजी गंगवाल, इन्दौर (098932-09074) महामंत्री - श्री अनिल श्रीचन्दजैन, पारोला (02597-223248,09403904661) कोषाध्यक्ष - श्री मोहन सोनालाल जैन (आर.टी.ओ.) कुसुंबा (9422264486) प्रबन्धक - डॉ. सूरजमल गणेशलाल जैन,मांगीतुंगीजी (02555-219108, 09422754603) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 21 क्षेत्र पर पहाड़ : है (मांगीजी एवं तुंगीजी, 3500 सीढ़ियाँ है, डोली उपलब्ध है) ऐतिहासिकता : यह क्षेत्र दक्षिण भारत का सम्मेदशिखर कहलाता है। यहाँ से श्रीराम, हनुमान, सुग्रीव, सुडील, नील, महानील सहित 99 करोड़ मुनिराज मोक्ष गये। सीताजी यहीं से स्त्रीलिंग छेदकर 16 वें स्वर्ग में प्रतिइन्द्र हुई। श्रीकृष्णजी की मृत्यु एवं अग्नि संस्कार भी यहीं हुआ। परमपूज्य,गणिनीप्रमुख, आर्यिका श्रीज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से पहाड़ पर भगवान ऋषभदेव की विश्व में विशालतम् 108 फीट ऊँची मूर्ति का निर्माण पूर्णता की ओर है। माताजी की प्रेरणा से निर्मित सहस्रकूट कमल मन्दिर व गार्डन अति सुन्दर है। सहस्रकूट मन्दिरजी में 1008 मूर्तियाँ हैं। मांगीजी पर 9 मन्दिर व तुंगीजी पर 4 मन्दिर हैं। तलहटी में 7 मन्दिर हैं जिनमें 1083 मूर्तियाँ हैं। 1008 विश्व हितंकर सातिशय चिंतामणि पार्श्वनाथ की चमत्कारिक प्रतिमा है। लोगों की मान्यता है कि दर्शन करने से लाभ मिलता है। मस्तकाभिषेक भी होता है। प्रत्येक पूर्णिमा को भक्तगण आते हैं। भारत में सबसे बड़ी 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान की 21 फुट ऊँची प्रतिमा है। शनि अमावस्या के दिन महामस्तकाभिषेक होता है। शनि का प्रकोप दूर होता है। वार्षिक मेले : कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा (दीपावली के पश्चात्) समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र गजपथा - 125 कि.मी., महुवा - 175 कि.मी., एलोरा -180 कि.मी., कचनेर - 250 कि.मी., पैठण - 250 कि.मी., णमोकार तीर्थ - 70 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  9. अतिशय क्षेत्र संघीजी - सांगानेर नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मन्दिर, संघीजी - सांगानेर जैन मोहल्ला,ग्राम एवं तह.-सांगानेर, जि.-जयपुर (राजस्थान) पिन-302029 टेलीफोन - 0141 - 2730390, 2731952 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - ए.सी. कमरे (अटैच बाथरूम)- 16, कमरे (साधारण) - 10 कूलर वाले अटैच कमरे - 10, ए.सी. हॉल - 1 हाल - 2 (यात्री क्षमता- 50/200), गेस्ट हाऊस - ४ यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 400. भोजनशाला - नियमित, सशुल्क अन्य : वानप्रस्थ/वृद्धाश्रम है। औषधालय - है (होम्योपेथिक) पुस्तकालय - है। विद्यालय - है (जैन शिक्षा) एस.टी.डी./ पी.सी.ओ. - है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - जयपुर जंक्शन - 15 कि.मी., सांगानेर स्टेशन पर पेसेन्जर गाड़ी रुकती है। बस स्टेण्ड - जयपुर केन्द्रीय बस स्टेण्ड - 14 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - जयपुर अजमेरी गेट एवं नारायणसिंह सर्किल से प्रत्येक 10 मिनट के अंतराल से बस क्र. 3-ए, लो फ्लोअर बस उपलब्ध। निकटतम प्रमुख नगर - जयपुर शहर - 14 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दि. जैन अतिशय क्षेत्र मन्दिर संघीजी, प्रबंधकारिणी कमेटी अध्यक्ष - श्री भंवरलाल सौगाणी (095298 37351) उपाध्यक्ष - श्री प्रेमचन्द बज (093514 06492) मानद मंत्री - श्री नरेन्द्रकुमार पाण्ड्या (0141-2730065,098290 17533) संयुक्त मंत्री - श्री सुरेशकुमार जैन ‘पवालियावाले' (09314219491) कोषाध्यक्ष - श्री भागचन्द छाबड़ा (०141-2732064, 09529837354) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - 08 क्षेत्र पर पहाड़ - नहीं ऐतिहासिकता - भव्य प्राचीन वैभव युक्त कलापूर्ण मंदिर है। मूलनायक प्रतिमा देवाधिदेव भगवान आदिनाथ की 4000 वर्ष प्राचीन है। कुछ वर्ष पूर्व मुनि श्री सुधासागरजी महाराज द्वारा तल घर से चमत्कारी अमूल्य रत्नों की मूर्तियाँ कुछ दिनों के लिये दर्शनार्थ निकाली गई थीं। आचार्यज्ञानसागर छात्रावास में 150 विद्यार्थी हैं। विशेष जानकारी - जयपुर में अनेक विशाल प्राचीन जिन मन्दिर दर्शनीय हैं। जयपुर एक ऐतिहासिक नगरी है। क्षेत्र द्वारा भगवान ऋषभदेव ग्रंथमाला संचालित होती है। नारेली (अजमेर) में भी ग्रन्थमाला सेल काउंटर है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र श्री पद्मपुरा-22 कि.मी., श्री महावीरजी-148 कि.मी., श्रीचूलगिरि (खानियांजी) -20 कि.मी., श्रीज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र नारेली-अजमेर-125 कि.मी., तिजारा 225 कि.मी. रेवासा-125 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| 
  10. अतिशय क्षेत्र मांडल महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, मांडल तहसील - अमलनेर, जिला - जलगांव (महाराष्ट्र) पिन - 425 401 टेलीफोन - 09970615269 (मन्दिर के व्यवस्थापक का) क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - X कमरे (बिना बाथरूम) - 3 हाल -1, (यात्री क्षमता - 10०), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 100 भोजनशाला - सशुल्क - नियमित औषधालय - पुस्तकालय - विद्यालय नहीं एस.टी.डी./ पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - अमलनेर - 20 कि.मी. बस स्टेण्ड - अमलनेर-20 कि.मी., धूलिया-30 कि.मी., शिरपुर-40 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - धूलिया से व्हाया सोनगिर - मांडल एवं जलगाँव - अमलनेर - मांडल, शिरपुर - नवल नगर व्हाया मांडल होते हुए। निकटतम प्रमुख नगर अमलनेर - 20 कि.मी., धूलिया - 30 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री चन्द्रप्रभु दि. जैन अतिशय क्षेत्र पंच कमेटी, मांडल अध्यक्ष - श्री नानाभाई ढोलूसा जैन (02566 - 228281) ट्रस्टी - श्री अरविन्द गुलाबचन्द जैन, मांडल प्रबन्धक - श्री भरत फूलचन्द जैन (09970615269) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : यहाँ मूलनायक प्रतिमा भगवान चन्द्रप्रभु की है। उनके बायें अजितनाथजी की एवं दायें मुनिसुव्रतनाथजी की प्रतिमाएँ हैं। प्रतिमाएँ 1500 वर्ष प्राचीन, कलापूर्ण व मनमोहक हैं। विशेष जानकारी : यहाँ अतिशय करने वाले पाचोही क्षेत्रपाल (पंचमुखी) विराजमान हैं । प्रत्येक अमावस की रात्रि में मन्दिर में से जोर-जोर से आवाजें आती हैं व दिव्य प्रकाश फैलता है। सभी यात्रियों ने इसकी अनुभूति की है। प्रत्येक अमावस्या को महामस्तकाभिषेक होता है। पौष वदी 11 को वार्षिक यात्रा महोत्सव मनाते हैं। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - श्री मांगीतुंगीजी - 125 कि.मी., बड़वानी - 155 कि.मी., महुवा - 200 कि.मी., पावागिरि-ऊन - 140 कि.मी., कचनेर -225 कि.मी., पैठण -240 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  11. अतिशय क्षेत्र कुन्थुगिरि महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, कुन्थुगिरि, दहेमश्री नगर मु. पो.-आलते, हातकणंगले, रामलिंग रोड़,जि.-कोल्हापुर (महा.) पिन -416123 टेलीफोन - 0230-2487766,2487500 मो.: 09921741008, 09921791008 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 35, कमरे (बिना बाथरूम)-20 हाल - 1, (यात्री क्षमता-5000) गेस्ट हाऊस - 1 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 1000. अन्य : 5000 यात्रियों (धर्मानुरागियों) के बैठने की क्षमता वाला प्रवचन हॉल, भव्य बॉटनीकल गार्डन, वृद्ध साधुओं के लिए भारत का एकमात्र विशिष्ट आश्रम भोजनशाला - है, नियमित, सशुल्क औषधालय - पुस्तकालय - है। विद्यालय - एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - मिरज, हातकणंगले - 5 कि.मी. बस स्टेण्ड - सांगली पहुँचने का सरलतम मार्ग - ट्रेन से मिरज, मिरज से क्षेत्र निकट है। निकटतम प्रमुख नगर - इचलकरंजी - 15 कि.मी., सांगली - 22 कि.मी., कोल्हापुर-25 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री गणाधिपति गणधराचार्य कुंथुसागर विद्या शोघ संस्थान अध्यक्ष - श्री आर.के. जैन (09323003006) महामंत्री - श्री कैलाशचन्द चांदीवाल क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 09 क्षेत्र पर पहाड़ : है। 7 कि.मी. का घुमावदार रास्ता है। वाहन ऊपर तक जाते है, कुल 11 मंदिर है, खड्गासन की 24 प्रतिमाएँ है। ऐतिहासिकता : यह क्षेत्र सुरम्य पहाड़ी की तलहटी में बना हुआ है। यहाँ की प्रतिमाएं पूर्ण अतिशय युक्त हैं। मंदिर में चिन्तामणि भगवान पार्श्वनाथ की 9 फुट भव्य मनोहारी प्रतिमा है। जो 108 फणावली से उत्तुंग है। गणधराचार्य मुनि श्री कुन्थुसागर जी महाराज की प्रेरणा से नवोदित तीर्थ विकसित हुआ है। वार्षिक मेले : प्रति पूर्णिमा दोपहर 2 बजे महामस्तकाभिषेक, वार्षिक मेला लगता है। कुम्भोज बाहुबली-12 कि.मी., साजणी पार्श्वनाथ-10 कि.मी., कोथली-55 कि.मी., धर्मनगर - 15 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  12. सिद्ध क्षेत्र कुंथलगिरि महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, कुंथलगिरि तहसील - भूम, जिला - उस्मानाबाद (महाराष्ट्र) पिन-413503 टेलीफोन - 02478 - 276860, 07721053995 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 28, कमरे (बिना बाथरूम) - 45 हाल -1, (यात्री क्षमता - 100), गेस्ट हाऊस -1 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 2000. अन्य - आधुनिक सुविधा युक्त 3 धर्मशालाएँ हैं। वी.आय.पी सूट भी है। भोजनशाला - नियमित, सशुल्क पुस्तकालय - है, नियमित पाक्षिक मासिक पत्रिकाएँ औषधालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- हैं विद्यालय - है, 1. श्री देशभूषण कुलभूषण ब्र. आश्रम, 2. श्री देशभूषण कुलभूषण विद्यालय आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - कुर्डवाड़ी - 75 कि.मी., सोलापुर - 120 कि.मी. बस स्टेण्ड - कुंथलगिरि - फाटा - 2 कि.मी., भूम - 12 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - सोलापुर से 120 कि.मी., औरंगाबाद से 200 कि.मी. बीड़ से 60 कि.मी. निकटतम प्रमुख नगर - बीड़, बार्शी, उस्मानाबाद - 60 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, कुंथलगिरि अध्यक्ष - श्री अरविन्द रावजी दोशी मंत्री - श्री बालचन्द नानचन्द संघवी (02112 - 222426) प्रबन्धक - श्री शहा यु. आर. (02478 - 276860) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 11 क्षेत्र पर पहाड़ : है (150 सीढ़ियाँ है।), डोली की व्यवस्था है। ऐतिहासिकता : यह क्षेत्र कुलभूषण एवं देशभूषण मुनिवरों की मोक्ष स्थली है। यहाँ पर शांतिनाथ मंदिर के निकट चारित्र चक्रवर्ती आ. श्री शांतिसागरजी महाराज की समाधि सन् 1955 में हुई थी एवं समाधि स्थल परचरण- चिन्ह निर्मित है।यहाँ छोटा पहाड़ है। पहाड़ पर एवं नीचे भी मंदिर हैं। पहाड़ी पर 7 एवं तलहटी में 4 मन्दिर हैं। पहाड़ी पर - (1) कुलभूषण - देशभूषण का मन्दिर, (2) शांतिनाथ मन्दिर, (3) बाहुबली मन्दिर, (4) आदिनाथ मन्दिर, 5) अजितनाथ मन्दिर, (6) चैत्य, (7) नंदीश्वर जिनालय हैं। तलहटी में (1) नेमिनाथजी, (2) महावीरस्वामी, (3) रत्नत्रय, (4) समवशरण मन्दिर हैं। यहाँ गुरुकुल भी है। वार्षिक मेला : मार्गशीर्ष शु.पूर्णिमा, आ. शांतिसागर महापुण्य तिथि-भाद्र शु.-2 एतिहासिक एवं दर्शनीय : उस्मानाबाद गुफाऐं -60 कि.मी. समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र तेर - 60 कि.मी.,काठी सावरगांव - 115 कि.मी, कचनेर - 165 कि.मी., पैठण -140 कि.मी.,बीजापुर-220 कि.मी.,दहीगाँव-180 कि.मी., कुभोज -275 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  13. सिद्ध क्षेत्र/अतिशय क्षेत्र कुण्डल महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री कलिकुंड पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन सिद्ध (अतिशय) क्षेत्र, कुण्डल तहसील - पलूस, जिला - सांगली (महाराष्ट्र) पिन - 416 309 टेलीफोन - 02346 - 271113, मो. 09403008024, 09421131980, 09970560552 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 9 कमरे (बिना बाथरूम) - 2 हाल -1, गेस्ट हाऊस - 3 कि.मी. की दूरी पर किर्लोस्कर वाड़ी में कम्पनी का गेस्ट हाऊस है । धर्मशाला एवं कार्यालय भी है। यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 300. भोजनशाला - नहीं औषधालय - नहीं पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - है (गांधी एजूकेशन सोसायटी) एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - किर्लोस्कर वाड़ी - 3 कि.मी. (पूना-मिरज ब्रॉडगेज) बस स्टेण्ड पेठनाका स्टेण्ड (पूना-बैंगलोर हाइवे)-20 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - तासगांव - 18 कि.मी., कराड़ - 30 कि.मी., सांगली - 45 कि.मी. से निकटतम प्रमुख नगर - कराड़ - 30 कि.मी., सांगली - 45 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री कलिकुंड पार्श्वनाथ दि. जैन सिद्धातिशय, कुण्डल अध्यक्ष - श्री विद्याचंद्र मोतीचंद्र शहा (09421544309) मंत्री - श्री सुनिल शिवलाल शहा (09422011335) सचिव - श्री दीपक मनोहर वर्णे, कुंडल (094030008024, 09422011335) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 03 क्षेत्र पर पहाड़ : है (लहान एवं बंडा पहाड़) प्रथम पहाड़ पर 300 सीढ़ियाँ है। एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर जाने के लिए 1 कि.मी. का रास्ता है। ऐतिहासिकता : यहाँ तीन जिन मन्दिर हैं। एक कलिकुंड पार्श्वनाथ गाँव में तथा दो अन्य श्री गिरि पार्श्वनाथ एवं श्री झरी पार्श्वनाथ पहाड़ पर स्थित है। अंतिम श्रुतकेवली श्रीधर मुनि की निर्वाण भूमि है। कहा जाता है कि तीर्थंकर पाश्र्वनाथ व महावीर स्वामी का समवशरण यहाँ आया था। विशेष जानकारी : यहाँ पंचामृत अभिषेक की प्रथा है। मन्दिर जीर्णोद्धार व यात्रियों की सुविधा हेतु विकास योजनाएँ प्रगति पर हैं। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र : वशी पार्श्वनाथ - 35 कि.मी., बाहुबली हातकलंगे - 75 कि.मी., कुंथुगिरि-80 कि.मी., धर्मनगर - 75 कि.मी., नांदणी - 60 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  14. अतिशय क्षेत्र कुम्भोज बाहुबली महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री बाहुबली ब्रह्मचर्याश्रम तथा बाहुबली विद्यापीठ अतिशय क्षेत्र बाहुबली(कुम्भोज) मु.पो. बाहुबली, तहसील-हातकणंगले, जिला-कोल्हापुर (महा.)-416110 टेलीफोन - 0230 - 2584422, मो. : 09975438978 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 45, हाल - 3 गेस्ट हाऊस - 4 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 400. भोजनशाला - सशुल्क औषधालय - पुस्तकालय - है। विद्यालय - है, गुरुकुल एवं आश्रम भी हैं। एस.टी.डी./ पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - हातकणंगले -6 कि.मी., कोल्हापुर-30 कि.मी., मिरज-35 कि.मी. बस स्टेण्ड - हातकणंगले - 6 कि.मी., कोल्हापुर - 30 कि.मी., पहुँचने का सरलतम मार्ग - सड़क मार्ग हातकणंगले से बस या जीप द्वारा पुणे-सतारा-कराड़-वाठार-पेठवडगाव-बाहुबली पंढरपूर-मिरज-जयसिंगपूर-हातकणंगले-बाहुबली हुबली-बेलगाम-निपाणी-शिरोली-हातकणंगले-बाहुबली निकटतम प्रमुख नगर - कोल्हापूर - 30 कि.मी., इचल करंजी - 14 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री बाहुबली ब्रह्मचर्याश्रम व विद्यापीठ अतिशय क्षेत्र, बाहुबली चेयरमेन - श्री अरविन्द दोशी, मुम्बई (022 - 66185799) अध्यक्ष - श्री कल्लाप्पाण्णा बाबूराव आवाडे (विद्यापीठ) (0230 - 2422367) मंत्री - श्री सनतकुमार वासुदेवराव आरवाडे (ब्रह्मचर्याश्रम) (0233 - 2670105) महामंत्री - श्री दादासाहेब चवगोंडा पाटिल (0230 - 2461874) प्रबन्धक श्री भरमुतवनाप्पा बेड़गे (0230 - 2584422) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 66 दर्शन क्षेत्र पर पहाड़ : है (4 मंदिर है, 386 सीढ़ियाँ हैं।) ऐतिहासिकता : प्राचीनकाल से अनेक मुनिगणों की तपस्या भूमि रही है। मुनि श्री बाहुबली महाराज यहाँ ध्यान तपस्या करते थे। हिंसक श्वापदों द्वारा उन पर या दर्शनार्थी पर कुछ भी उपद्रव नहीं हो पाता था। भगवान बाहुबली की 28 फीट ऊँची मनोज्ञ मूर्ति के साथ ही श्री महावीर समवशरण जिन मन्दिर, स्वयंभू मन्दिर, रत्नत्रय जिन मन्दिर, नंदीश्वर - पंचमेरू की सुन्दर रचना, मानस्तम्भ, कीर्ति-स्तम्भ आदि दर्शनीय व वंदनीय हैं। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र : धर्मनगर - 16 कि.मी., नांदणी - 25 कि.मी., कोथली (कर्नाटक)- 45 कि.मी., स्तवनिधि (कर्नाटक) - 70 कि.मी., कुन्थुगिरि - 12 कि.मी., कुंजवन उदगाव 23 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  15. अतिशय क्षेत्र केसापुरी-बीड़ महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री 1008 कल्पतरू पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, केसापुरी ग्रा.-केसापुरी, त.-माजलगाँव, पो.-फूल-पिपलगांव,जि.बीड़(महा.)-431131 टेलीफोन - फोन : 02443 - 202113, 095450 29753 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 8, कमरे (बिना बाथरूम) - 4 हाल - 3, गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 500 भोजनशाला - नहीं औषधालय - नहीं पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - बस स्टेण्ड - माजलगाँव पहुँचने का सरलतम मार्ग - माजलगाँव से 5 कि.मी. दूर, बस एवं ऑटो रिक्शा की व्यवस्था है। निकटतम प्रमुख नगर - माजलगाँव-5 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री 1008 कल्पतरू पार्श्वनाथ दि. जैन अति.क्षेत्र, केसापुरी अध्यक्ष - श्री दिलीपराव प्रभाकरराव धेवारे (097024-55099) मंत्री - श्री अरूणराव देशमाने, माजलगाँव प्रबन्धक - श्री विश्वास खुले (02443 - 202113) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं। ऐतिहासिकता : महाराष्ट्र के बीड़ जिले की तहसील माजलगाँव में केसापुरी अतिशय क्षेत्र स्थित है। यहाँ राजा मनुभक्ति ने भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति स्थापित की थी। लगभग 1200 वर्ष प्राचीन राष्ट्रकूट वंशी जैन राजाओं के काल में वेरुल गुफाओं में उपलब्ध शिल्प से यहाँ की मूर्तियों का अद्भुत साम्य इस क्षेत्र की प्राचीनता को व्यक्त करते हैं। माजलगाँव के बाहर अनेक जैन मुनियों की समाधियाँ बनी हैं, जो इस क्षेत्र में जैन संस्कृति की प्रचुरता और प्राचीनता की प्रतीक हैं। वार्षिक मेला : माघ शु. 15 को वार्षिक मेला लगता है। चिंतामणि पार्श्वनाथ अति. क्षेत्र,कचनेर - 125 कि.मी., श्रीनेमिनाथ भगवान अतिशय क्षेत्र, नवागढ़ -100 कि.मी., देशभूषण कुलभूषण सिद्धक्षेत्र, कुंथलगिरि-110 कि.मी. नेमिनाथ दि. जैन अति. क्षेत्र, नेमगिरि -90 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  16. अतिशय क्षेत्र कौडण्यपुर महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री सुपार्श्वनाथ दि. जैन मन्दिर अतिशय क्षेत्र, कौडण्यपुर तहसील - तिवसा, जिला - अमरावती (महाराष्ट्र) पिन - 444903 टेलीफोन - 07157 - 222150, 222011, 09422844991 क्षेत्र पर उपलब्ध आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - ४, कमरे (बिना बाथरूम) - 4 सुविधाएँ हाल - 1 (यात्री क्षमता - 50), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 50 (अन्य समाज की धर्मशालायें भी है) भोजनशाला - नहीं औषधालय - नहीं पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./ पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - चांदूर - 20 कि.मी., पुलगांव - 35 कि.मी. बस स्टेण्ड - आर्वी -9 कि.मी., अमरावती - 40 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - क्षेत्र सड़क मार्ग से सम्बद्ध है। अमरावती रोड़ पर हर समय बस उपलब्ध है। निकटतम प्रमुख नगर - अमरावती - 40 कि.मी., आर्वी (जि.-वर्धा)-9 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री पार्श्वनाथ दि. जैन देवस्थान संस्था, आर्वी अध्यक्ष - श्री सुभाष विज्ञानचन्द जैन (07157 - 222011) सचिव श्री राजेश झल्लूलाल जैन (07157 - 222150) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : भगवान श्री कृष्ण द्वारा रूक्मणी हरण इसी ग्राम से किया गया। यह हिन्दुओं का तीर्थक्षेत्र है। वर्धा नदी के तट पर स्थित जैन मन्दिर अति प्राचीन है तथा अतिशययुक्त है। विशेष जानकारी : उपरोक्त मन्दिर आर्वी पंचायत के अधीन है। क्षेत्र की व्यवस्था श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर संस्था, आर्वी, जिला-वर्धा के अधीन है। आर्वी में भी 2 भव्य जिनालय हैं । आवासधर्मशाला की पूर्ण व्यवस्था है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - भातकुली जैन - 57 कि.मी., मुक्तागिरि - 110 कि.मी., कारंजा (लाड़) - 120 कि.मी., रामटेक - 150 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  17. माननीय पद्मश्री डा.आर .के .जैन उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष बने। भारत का पहला राज्य जिसमे प्रथम बार किसी जैन को अल्प संख्यक आयोग का अध्यक्ष बनने का सौभाग्य मिला। माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार एवं मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को सम्पूर्ण जैन समाज की ओर से आभार एवम धन्यवाद।
  18. अतिशय क्षेत्र कारंजा (लाड़) महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री महावीर ब्रह्मचर्याश्रम (जैन गुरूकुल), कारंजा (लाड़) बिरवाड़ी - कांरजा (लाड़), जिला - वाशिम (महाराष्ट्र) पिन - 444105 टेलीफोन - 07256 - 222031, 09371542172 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 5, कमरे (बिना बाथरूम) - X हाल - 2 (यात्री क्षमता - 25), गेस्ट हाऊस - 2 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 100. भोजनशाला सशुल्क, अनुरोध पर औषधालय - पुस्तकालय - है (पांडुलिपियां भी हैं) विद्यालय - गुरुकुल एवं विद्यालय है एस.टी.डी./ पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - मूर्तिजापुर - 32 कि.मी. बस स्टेण्ड - कारंजा (लाड़) पहुँचने का सरलतम मार्ग - रेल अथवा सड़क मार्ग निकटतम प्रमुख नगर - वाशिम - 65 कि.मी., अमरावती - 65 कि.मी., अकोला - 72 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री म.ब्र. आश्रम (जैन गुरुकुल), कारंजा (लाड़) अध्यक्ष - श्री कांतिलाल भुरे (022 - 24145102) मंत्री - श्री राजकुमार चंवरे (0724 - 2432010) प्रबन्धक - श्री प्रकाश जैन (07256-222031) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 04 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : प्राचीनकाल में यहाँ सेनगण, काष्ठासंघ व बलात्कारगण नामक तीन भट्टारक गद्दियाँ थी। सेनगण संबधित मन्दिर में भगवान पार्श्वनाथ की मूलनायक प्रतिमा के साथ 62 पाषाण व 49 धातु की प्रतिमाएँ हैं। काँच की नन्दीश्वर द्वीप की रचना बनी हुई है। काष्ठासंघ से संबंधित मन्दिर में मूलनायक चन्द्रप्रभु की पद्मासन प्रतिमा है, साथ ही लकड़ी का बना 42 स्तम्भ वाला दारूमण्डप दर्शनीय है। बलात्कारगण संबंधित मन्दिर में चन्द्रप्रभु की प्रतिमा वदो सहस्रकूट जिनालय हैं। विशेष : यहाँ कंकुबाई जैन श्राविकाश्रम भी है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र मुक्तागिरि-115 कि.मी., भातकुली जैन - 75 कि.मी., शिरपुर अंतरिक्ष पार्श्वनाथ-85 कि.मी., वाढोणा (रामनाथ) - 25 कि.मी., दिग्रस - 45 कि.मी. अतिशय क्षेत्र हैं। आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  19. अतिशय क्षेत्र कचनेर महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री 1008 चिन्तामणि पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, कचनेर तहसील एवं जिला-औरंगाबाद (महाराष्ट्र) पिन - 431 007 टेलीफोन - 0240-2644108, धर्मशाला 2644103, प्रशाला 2644105, 09421889331 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 24, कमरे (बिना बाथरूम) - 22 हाल - 2 (यात्री क्षमता-200),वी.आई.पी.गेस्ट हाऊस - 08 वी.आय.पी. रुम -18 ए.सी.-वी.आय.पी. रूम - 14 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 800. भोजनशाला नियमित-सशुल्क औषधालय - है। पुस्तकालय - है। विद्यालय - गुरूकुल, हाईस्कूल एवं छात्रावास (औरंगाबाद) आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - औरंगाबाद - 35 कि.मी. बस स्टेण्ड - कचनेर एवं चित्तेपीपलगांव पहुँचने का क्षेत्र सरलतम मार्ग - का वाहन प्रतिदिन प्रातः 7 बजे एवं सायं 5 बजे औरंगाबाद, राजा बाजार मंदिर से उपलब्ध है। निकटतम प्रमुख नगर - औरंगाबाद - 35 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री 1008 चिन्तामणि पार्श्वनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र कचनेर ट्रस्ट मेनेजिंग ट्रस्टी - श्री सुरेशकुमार कासलीवाल (094233-92460) अध्यक्ष - श्री प्रमोदकुमार कासलीवाल (094222 06158) महामंत्री - श्री भरतकुमार ठोले (09422209575) स्कूल प्राचार्य - श्री किरणकुमार मास्ट (09423777919) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : यहाँ भगवान पार्श्वनाथ की सातिशय, मनोवांछित फलदायक प्रतिमा विराजमान है। लोकोक्ति के अनुसार इस मूर्ति का सिर धड़ से अलग हो गया तब श्रावकों ने उसके स्थान पर अन्य मूर्ति स्थापित करनी चाही, तो एक श्रावक को स्वप्न आया कि एक कमरे में गड्डा बनाकर मुझे(खण्डित मूर्ति को) उसमें रखकर गड्डे में घी, शक्कर भर दो, सात दिन की अखण्ड पूजन से मूर्ति पूर्ववत हो जायेगी। ऐसा ही होने पर प्रतिमा की पुन: प्रतिष्ठा की गई। विशेष जानकारी : कार्तिक शुक्ल 15 को वार्षिक मेला लगता है। प्रति पूर्णिमा को महाभिषेक एवं पर्युषण पर्व/गुड़ी पड़वा, पार्श्वनाथ जयंती आदि वर्ष में 29 बार अभिषेक समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - पैठण - 30 कि.मी., एलोरा -70 कि.मी., औरंगाबाद - 35 कि.मी., जटवाड़ा - 48 कि.मी., कुंथलगिरि - 180 कि.मी., जिंतूर - 194 कि.मी., अजंता - 135 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  20. अतिशय क्षेत्र जटवाड़ा महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री 1008 संकटहर पार्श्वनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र, जटवाड़ा मु.पो. जटवाड़ा, तहसील एवं जिला - औरंगाबाद (महाराष्ट्र) - 431001 टेलीफोन - 0240 - 2601008, 09922463491, 08554028568 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 30, कमरे (बिना बाथरूम) - 3 हाल - 2 (यात्री क्षमता - 30+60), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 300 भोजनशाला सशुल्क, अनुरोध पर औषधालय - नहीं पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - औरंगाबाद - 16 कि.मी. बस स्टेण्ड - जटवाड़ा ग्राम, ग्राम में ही मन्दिर स्थित है। पहुँचने का सरलतम मार्ग - बस, ऑटो रिक्शा, टेक्सी निकटतम प्रमुख नगर -औरंगाबाद - 9 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री 1008 संकटहर पार्श्वनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र, जटवाड़ा (ट्रस्ट बोर्ड) अध्यक्ष - श्री सुरेन्द्र शा. नेमिनाथ शा. साहूजी (0240-2380735) महामंत्री - श्री देवेन्द्रकुमार मोहनलाल काला (0240 - 2351128) प्रबन्धक - श्री हुकुमचन्द बंडूलाल काला (0240-2601008, 08554028568) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 05 क्षेत्र पर पहाड़ : है। आधा कि.मी. की सीधी चढ़ाई हैं। ऐतिहासिकता : यह क्षेत्र 600 वर्ष प्राचीन है, लेकिन सन् 1987 से यह क्षेत्र प्रकाश में आया है। एक मुस्लिम व्यक्ति अपने घर की नींव के लिये पत्थर निकाल रहा था, तो वह जमीन में धंसने लगा। उसे निकालने पर एक भूयार दिखा जिसमें 21 प्रतिमाएँ विराजमान थीं। भगवान पद्मप्रभु व पार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ अतिशय युक्त है। सह्याद्री की पहाड़ी से घिरे इस क्षेत्र में 12 फीट ऊँची भगवान बाहुबली की प्रतिमा शीघ्र ही विराजमान होने जा रही है। पूर्व में इस तीर्थ क्षेत्र का नाम जैनगिरी था। सन् 1997 में आचार्य देवनंदीजी ने सभा में बताया कि क्षेत्र का नाम 'जैन अतिशय क्षेत्र जैनगिरि जटवाड़ा, ऐसा होगा। तब से नाम जैनगिरी कहलाने लगा। पहाड़ पर बाहुबली भगवान की प्रतिमा है। चौबीसी मंदिर तथा तीन मूर्तियाँ भगवान आदिनाथ, भगवान भरत एवं भगवान बाहुबली की हैं। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र : एलोरा -23 कि.मी., कचनेर - 48 कि.मी., पैठण - 63 कि.मी., एलोरा गुफएँ - 21 कि.मी., अजन्ता गुफाएँ - 104 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  21. सिद्ध क्षेत्र गजपंथा महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, गजपंथा - म्हसरुल ग्राम - म्हसरूल, तहसील एवं जिला - नासिक (महाराष्ट्र) पिन - 422004 टेलीफोन - (का.) 0253 - 2530215, (पहाड़) 2024857 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 30, कमरे (बिना बाथरूम) - 10 हाल - 1 (यात्री क्षमता - 300), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 1000 भोजनशाला - सशुल्क, ऑर्डर देने पर औषधालय - पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - है (अंग्रेजी) एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- नहीं आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - नासिक रोड़ - 15 कि.मी. बस स्टेण्ड - नासिक सेन्ट्रल बस स्टेण्ड - 7 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - रेल अथवा सड़क मार्ग, नासिक रोड़ रेल्वे स्टेशन से म्हसरूल (गजपंथा) सिटी बस एवं ऑटो रिक्सा द्वारा निकटतम प्रमुख नगर - नासिक - 5 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दि. जैन तीर्थक्षेत्र म्हसरूल (गजपंथा) अध्यक्ष - श्री विजय कुमार कासलीवाल (5616637, 09370292035) मंत्री - श्री प्रदीपकुमार पहाड़े (098227- 98377) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 06 (पहाड़ पर 3 गुफा मन्दिर एवं 2 मन्दिर) म्हसरूल ग्राम में 1 भव्य जिनालय क्षेत्र पर पहाड़ : है (450 सीढ़ियाँ उंची एवं खड़ी हैं) ऐतिहासिकता : इस क्षेत्र से 7 बलभद्र और आठ करोड़मुनि मोक्ष गये हैं। धर्मशाला स्थित जिनालय में मूलनायक प्रतिमा भगवान महावीर की है। पर्वत की ऊँचाई 400 फीट है। पर्वत पर 3 गुफा मन्दिर हैं तथा 2 नवनिर्मित जिनालय हैं। यहाँ गुफाओं को ‘चामर लेणी' कहते हैं। पार्श्वनाथ गुफा दर्शनीय है। वर्ष 1973 में 24 सितम्बर के दिन मुनि श्री सुधर्मसागरजी महाराज सल्लेखना पूर्वक अपना शरीर छोड़कर स्वर्ग सिधारे ।उस अवधि में अनेकचमत्कारिक घटनाएँ वार्षिक मेला एवं तिथि : प्रतिवर्ष कार्तिक शु.त्रयोदशी-मंदिर म्हसरूल एवं पहाड़ मंदिर में मेला लगता है। विशेष जानकारी : पहाड़ पर जाने-आने की सुविधा म्हसरूल मंदिर से शुल्क देकर उपलब्ध है । पहाड़ की पूरी व्यवस्था म्हसरूल ग्राम मंदिर से होती है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र मांगीतुंगी- 128 कि.मी., कचनेर-225 कि.मी., पैठण-245 कि.मी., एलोरा-175 कि.मी. कुं थलगिरि - 300 कि.मी., दि. जैन प्राचीन तीर्थक्षेत्र, अंजनेरी - 35 कि.मी. मांड ल महु आ (सूरत) 170 कि.मी., बोरीवली मुम्बई-200 कि.मी., देवलाली-15 कि.मी. (त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध है ।) आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  22. अतिशय क्षेत्र एलोरा (वेरूल) महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन (पहाड़) मन्दिर,एलोरा (वेरूल)/श्री पा.ब्र.आश्रम (गुरुकुल) तहसील - खुलताबाद, जिला - औरंगाबाद (महाराष्ट्र) पिन - 431102 टेलीफोन - 02437 - 244590, (प्रबन्धक) 086059 34056 Email : info@ellorajaingurukul.com, Website : www.ellorajaingurukul.com क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) -7, कमरे (बिना बाथरूम) - 10 हाल - 4 (यात्री क्षमता - 100), गेस्ट हाऊस - शासकीय यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 200. भोजनशाला - सशुल्क, अनुरोध पर औषधालय -है। पुस्तकालय - है। विद्यालय - गुरूकुल है। एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। अन्य - हाई स्कूल एवं होस्टल है। (तकनीकी हाई स्कूल) एवं आई.टी.आई. आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - औरंगाबाद - 30 कि.मी., चालीसगांव - 60 कि.मी. बस स्टेण्ड - औरंगाबाद - 30 कि.मी., कन्नड़ - 30 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - रेल व सड़क दोनों मार्ग से औरंगाबाद होते हुए निकटतम प्रमुख नगर - औरंगाबाद - 30 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - (1) श्री पार्श्वनाथ ब्रह्मचर्याश्रम (गुरूकुल), एलोरा, जि.-औरंगाबाद (2) श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर (पहाड़) जैन मन्दिर, एलोरा अध्यक्ष - श्री वर्धमानजी पाण्डे (02437-244411, 09422706726) मंत्री - डॉ. प्रेमचंद मंगलचंद पाटनी (09422706726) प्रबन्धक - श्री पलाश शिरिश पाटनी (08605934056) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 02 क्षेत्र पर पहाड़ : है (.5 कि.मी. की चढ़ाई है) 350 सीढिया है। ऐतिहासिकता : विश्वविख्यात एलोरा गुफाओं में बौद्ध, हिन्दू, जैन धर्म की गुफाएँ हैं। नं. 30 से 34 तक जैन गुफाएँ वास्तुकला, शिल्पकला, चित्रकला की उत्कृष्ट धरोहर हैं। 16 नंबर की कैलाश गुफा विश्वविख्यात है। 950 वर्ष प्राचीन भगवान पार्श्वनाथकी अर्द्ध-पद्मासन प्रतिमा विशेष उल्लेखनीय है। विशेष जानकारी : पहाड़ पर 16 फुट ऊँची भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा सातिशय एवं अद्वितीय है। यहाँ छात्रावास (200 छात्र), विद्यालय भवन, आरोग्य-धामअतिथिगृह व सुन्दर जिनालय बने हैं। दि. जैन की गुरुकुल भी है जो आचार्यश्रीसमंतभद्रमहाराज एवंआचार्यश्री आर्यनंदिमहाराज की प्रेरणा से चल रहा है। वार्षिक मेला : श्रावण शुक्ल सप्तमी (भ. पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक) समीपवर्तीतीर्थक्षेत्र - जटवाड़ा जैनगिरि - 25 कि.मी., कचनेर - 65 कि.मी., कुंथलगिरि - 240 कि.मी., पैठण-80 कि.मी., मांगीतुंगीवगजपंथा-180 कि.मी., जिंतूर (नेमगिरि)-200 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  23. अतिशय क्षेत्र धरणगाँव महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र धरणगाँव भगवान महावीर मार्ग, तहसील-धरणगाँव, जिला जलगांव (महाराष्ट्र)-425105 टेलीफोन - 07588580519, 09823022415, 09325030765 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे - 2, हाल - 2 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 120 भोजनशाला - अनुरोध पर औषधालय - है पुस्तकालय - है (पांडुलिपियां भी) विद्यालय - है एस.टी.डी./ पी.सी.ओ. - नहीं। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - भुसावल-सूरत तथा नागपूर-अहमदाबाद लाईन पर स्थित बस स्टेण्ड - जलगाँव से 30 कि.मी. चोपड़ा एवं अमलनेर मार्ग पर स्थित पहुँचने का सरलतम मार्ग - बस सेवा उपलब्ध राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-6 एरडोल से 12 कि.मी. निकटतम प्रमुख नगर - जलगाँव 30 कि.मी., अमलनेर 23 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर ट्रस्ट धरणगाँव । अध्यक्ष - श्री मधुकर देविदास लाड महामंत्री - श्री नितिन बसंतराव जैन सचिव - श्री संजीव जैन (09325030765) व्यवस्थापक - श्री शैलेन्द्र जैन (09823022415) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : - क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं। ऐतिहासिकता : यहां अरुणावती (एरंडोल) से 1874 ई. में भोयरे से प्राप्त करीबन 1500 वर्ष प्राचीन भगवान पार्श्वनाथ की बालुका पाषाण की मनोज अतिशययुक्त प्रतिमा विराजमान है। मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर में तीर्थंकर तथा अरिहंतों की छोटी-बड़ी 175 मूर्तियाँ विराजमान हैं। जिनमें भव्य सहस्त्रकूट एवं पंचमेरु भी है। आचार्य 108 श्री आर्यनंदीजी महाराज द्वारा ‘अतिशय क्षेत्र घोषित किया गया। मंदिर में अनेक पुरातन पाण्डुलिपियों का संग्रह सुरक्षित है। मंदिर के निकट पं. मोहनलाल गाँधी का संग्रहालय भी है। वार्षिक मेला : रथोत्सव तथा जल यात्रा वार्षिक महोत्सव, दशलक्षण पर्व उपरान्त भाद्रपद वदीपंचमी समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - श्री चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मांडल, तहसील अमलनेर, जिला जलगाँव आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  24. अतिशय क्षेत्र दहीगांव महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री 1008 महावीर स्वामी दि. जैन अतिशय क्षेत्र संस्थान, दहीगांव तहसील - मालशिरस, जिला - सोलापुर (महाराष्ट्र) पिन - 413122 टेलीफोन - 02185 - 277282, 07875251003 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 6, कमरे (बिना बाथरूम) - 30 हाल - 2 (यात्री क्षमता - 200), गेस्ट हाऊस - नहीं यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 500. भोजनशाला - सशुल्क, अनुरोध पर औषधालय - नहीं पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - गुरूकुल है। एस.टी.डी./ पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - बारामती-40 कि.मी., भिगवण-50 कि.मी., लोणंद-60 कि.मी. बस स्टेण्ड - नातेपुते - 6 कि.मी., बालचन्द नगर - 12 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - बस मार्ग - नातेपुते व बालचन्द नगर के मध्य दहीगांव क्षेत्र है। निकटतम प्रमुख नगर - नातेपुते - 6 कि.मी., अकलूज - 30 कि.मी., पूना-140 कि.मी. बारामती - 40 कि.मी., फलटण - 40 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन ट्रस्ट, दहीगांव मंत्री - श्री जयकुमार जीवराज दोशी, अकलूज (02185-22018) प्रबन्धक - श्री सी. आर. दोशी (सी.ए.), सोलापुर (0217-2324924, 094224-57409) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं। ऐतिहासिकता : लगभग 200 वर्ष पूर्व यहाँ ब्रह्मचारी महतीसागरजी पधारे थे और उन्हींने यहाँ जिन मन्दिर बनवाया था, उनके समाधिस्थल/चरणपादुका के दर्शन से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, ऐसा लोगों का विश्वास है। पौने दो मीटर (लगभग 6 फुट) ऊँची महावीर स्वामी की पद्मासन मूलनायक प्रतिमा के अतिरिक्त धातु की 50 मूर्तियाँ हैं। भूगर्म में 20 तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ विराजमान है, जो अत्यन्त ही मनोज्ञ है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - सांवरगांव - 150 कि.मी.,कुंथलगिरि - 165 कि.मी., कुम्भोज बाहुबली - 200 कि.मी., तेर - 160 कि.मी., आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| 
  25. अतिशय क्षेत्र भातकुली जैन महाराष्ट्र नाम एवं पता - श्री आदिनाथ स्वामी दि. जैन संस्थान (अतिशय क्षेत्र), भातकुली जैन, ग्राम एवं तह. भातकुली जैन, जिला - अमरावती (महाराष्ट्र) पिन - 444721 टेलीफोन - 0721 - 2389041, 2389385, Email - utkarshtraders@reddimail.com संतोष जैन-099706 92038, शैलेष जैन - 096734 31796 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 13, कमरे (बिना बाथरूम) - 20 हाल-2 (यात्री क्षमता-250), गेस्ट हाऊस-प्रस्तावित - 4 फ्लेट यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 500. भोजनशाला - अनुरोध पर सशुल्क प्रवचन गृह - क्षमता - 500 औषधालय - शीघ्र प्रारम्भ हो रहा है। पुस्तकालय - है। विद्यालय - नहीं। एस.टी.डी./ पी.सी.ओ.- है आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - बड़नेरा (सेन्ट्रल रेल्वे) - 20 कि.मी. दूर बस स्टेण्ड - अमरावती से भातकुली जैन - 18 कि.मी. पहँचने का सरलतम मार्ग - रेल व सड़क मार्ग निकटतम प्रमुख नगर - अमरावती-18 कि.मी., नागपुर-170 कि.मी.,अकोला-90 कि.मी.,कारंजा-60 कि.मी., मुक्तागिरि-50 कि.मी., शिरपुर जैन-135 कि.मी., नेमगिरि-180 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री आदिनाथ स्वामी दि. जैन संस्थान, भातकुली जैन अध्यक्ष - श्री सतीश वाय संगई (0721-2673333 नि. 2562833) मो.: 098230 - 39299, 09422855666) मंत्री - श्री नाना आत्माराम चांदुरकर (094239-49393) व्यवस्थापक - श्री जयकुमार भोंगाड़े (0721 - 2389041) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 03 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : भगवान आदिनाथ की मूलनायक प्रतिमा लगभग 2500 वर्ष पूर्व की है। 18 वीं शताब्दी के अंतिम काल में ग्राम प्रमुख को स्वप्न देकर भूगर्भ से निकाली गई, तत्पश्चात् पूज्य श्री नेमसागरजी महाराज के सानिध्य में मूर्ति प्रतिष्ठित की गई। विशेष आयोजन : प्रति वर्ष दीपावली के पश्चात पंचमी को भगवान आदिनाथ का रथ-यात्रा महोत्सव होता है। विशेष जानकारी : शेगांव गजानन महाराज संस्थान - 150 कि.मी., चिखलदरा टायगर फारेस्ट 80 कि.मी. समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र : भामदेवी-40 कि.मी. मुक्तागिरि-50 कि.मी.,शिरपुर-135 कि.मी.,कारंजा(लाड़)-60 कि.मी., नेमगिरि - 180 कि.मी., चिखलदरा - स्टेशन - 100 कि.मी., रामटेक - 200 कि.मी., वाढोना रामनाथ-60 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
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