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अहिंसा संगोष्ठी : अहिँसा विषय पर आपकी पंक्तियां


Saurabh Jain

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अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: इस सृष्टि का सनातनः सत्यं यही है की अहिंसा ही परम धर्म है क्योंकि जब इस सृष्टि का प्रत्येक कण परब्रह्म का ही अंश है जिस प्रकार सुर्यदेव का अंश उनकी प्रकाश की किरणें होती है जो सुर्य की उपस्थिति की अनुभूति सदैव हमें कराती रहती है!

 

 

मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित हैं, सत्य मेरा भगवान् हैं और अहिंसा उसे पाने का साधन हैं.

 

 

शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है.

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अहिंसा का सामान्य अर्थ है 'हिंसा न करना'। इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है।

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          🏳‍🌈🏳‍🌈🏳‍🌈🏳‍🌈🏳‍🌈

अंहिसा से ही धर्म की शुरुआत होती है

जहाँ अहिंसा है वहीं धर्म है

सतपुरूष हमेशा अहिंसा धर्म ही अपनाते है 

अतः अहिंसा ही प्रधान धर्म है

🏳‍🌈🏳‍🌈अहिंसा परमो धर्म 🏳‍🌈🏳‍🌈

🏳‍🌈🏳‍🌈अहिंसा धर्म की जय🏳‍🌈🏳‍🌈

Edited by Chintu
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अहिंसा इसका व्यापक अर्थ है-किसी भी प्राणी को तन,मन,कर्म, वचन और वाणी हे कोई नुकसान न पहुचाना मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वारा भी नुकसान न देना तथा कर्म हे मी किसी भी अवस्था में किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना,यह अहिंसा है जैन धर्म एवं हिंदू धर्म में अहिंसा का बहुत महत्व है
सीख-हिंसा करने वाला कितने भी शक्ती वाली हो अहिंसा के आगे उसकी हार निश्र्चित है इस लिये अहिंसा को धारण करो
उषाताई सुभाषराव उदापूरकर परतवाडा जिल्हा अमरावती महाराष्ट्र
मो नं-9325194900

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प्रेम और शांति की दूत है अहिंसा|

•सत्य,न्याय,प्रेम और त्याग गर होंगे चारो साथ 

बढेगी सब की शान अहिंसा के नाम|

 

 

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अहिंसा वहां होती हैं जहां प्रमाद नही होता।            अहिंसा सब धर्मों की जनक हैं                         अहिंसा विश्व बंधुत्व की जननी है।                      अहिंसा व्रत अंक है शेष सब शून्य हैं                  अहिंसा में डूब जाना अध्यात्म हैं।                       अहिंसा कार्य कारण समयसार हैं                        अहिंसा मूल व्रत  शेष चार रक्षा कवच हैं।             अहिंसा जो धारे उसी का समाधिमरण सम्भव है।।                                                           अहिंसा निजात्मा में उतपन होने वाला अंकुर हैं।     अहिंसा आत्मोथान का प्रथम सोपान हैं               अहिंसा का ओर क्या वर्णन करे सभी शब्द कम पड़े।।                                                        **अहिंसा परमो धर्म की जय**      

 

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     कोणतीही कृती प्रत्यक्ष घडण्या आधी ती विचारांच्या मदतीने मेंदूत आभासी रूपाने घडते. म्हणुनच बाहेरील, भौतिक हिंसाचाराला आळा बसवायचा असेल तर हिंसक मानसिकतेवर आळा बसवावा लागेल. उत्तम फळ मिळवायचे असेल तर मुळाशी जावून कार्य करावे लागेल. 
    ज्यावेळी सम्यक दर्शन आणि सम्यक ज्ञान या दोहोंचा ध्यास घेतला जाईल त्यावेळी अलगद सम्यक चारित्र्याची जडण घडण होईल!!
तेव्हाच अहिंसेचे गूढ आकलनीय होईल!!!
म्हणजेच मेंदूच्या अंगणात सुंदर संस्काराच्या सड्या ने शिंपडुन शुद्ध विचारांची रांगोळी आविष्कृत होईल व जग रूपी घरात  अहिंसालक्ष्मी चा वास कायम असेल!
अर्थातच तो जिन (जैन) होईल!!!


#डॉ. सौ. अल्फा प्रशांत जैन 
दिग्रस, जि. यवतमाळ, 
विदर्भ, 
महाराष्ट्र.

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सभी व्रतों में अहिंसा व्रत मुख्य है ,क्योंकि बाकी के सभी व्रत अहिंसा व्रत की रक्षा के ही साधन है । 

सत्य , अस्तेय , ब्रह्मचर्य ,अपरिग्रह ,  3 गुणव्रत , 4 शिक्षाव्रत , 11 प्रतिमाएं , महाव्रत आदि जितने भी व्रत है , अहिंसा धर्म का पोषण ही करते है । बिना अहिंसा के बाकी सभी व्रत कर्म निर्जरा में कारण नहीं बन सकते ।

अहिंसा परमो धर्म की जय 

 

Edited by Sunny jain guna
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जैन धर्म में सब जीवों के प्रति संयमपूर्ण व्यवहार अहिंसा है। अहिंसा का शब्दानुसारी अर्थ है, हिंसा न करना। हिंसा न करनेवाला यदि आँतरिक प्रवृत्तियों को शुद्ध न करे तो वह अहिंसा न होगी। अहिंसा में हिंसा का निषेध होना आवश्यक है।

अहिंसा परमो धर्मः 

ahimsa.jpg

Edited by Jain Kirti
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"रागादिक भावों का अभाव ही अहिंसा है।"ऐसा जैन सिद्धान्त का सार है।परम अहिंसाधर्म प्रतिपादक जैनधर्म का यही रहस्य है।

 

 

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मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म एवं हिन्दू धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म: (अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया हैै |

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छह काय (स्थावर व त्रस) के जीवों का घात करना 'द्रव्यहिंसा' व राग-द्वेष-काम-क्रोध-मान इत्यादि भावों की उत्पत्ति 'भावहिंसा'हैअतः इन दोनों का अभाव ही अहिँसा है जो सभी के प्राणों की रक्षा के लिए प्राणी मात्र का धर्म है!अंहिसा परमो धर्म की जय|

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          अहिंसा परमो धर्म

    अहिंसा का सामान्य अर्थ है हिंसा न करना किसी भी प्राणी को तन, मन,कर्म, वचन और वाणी से नुकसान नहीं पहुंचाना।

  अहिंसाव्रत की चार भावनाएं है। वचन गुप्ति, इर्या समिति, आदानि निक्षेपण समिति, आलोकित पान भोजन।

    एकदेश अहिंसादी व्रतों का पालन करने वाला क्रमशः स्वर्ग सुख को प्राप्त कर परंपरा से मोक्ष को प्राप्त करता है।

  जो संकल्प पूर्वक त्रस हिंसा का त्यागी है और बिना प्रयोजन स्थावर जीवो की भी विराधना नहीं करता है वह अहिंसाणुव्रत्ति है।

 

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1. अहिंसा आत्मा की पूर्ण विशुद्ध दशा आ हिंसा के दो भेद होते है  दव्य हिंसा और भाव  हिंसा

हिंसा के भी 4 भेद होतें है सकल्पी, आरम्भी, उधोगी, विरोधी |

मात्र किसी जीव को मारना ही हिंसा नहीं होती है बल्कि आजकल  हमारे बच्चे जो मोबाइल📱 में गेम खेलते हैं उसमें भी  हिंसा का दोष लगता है हमने जीव को मारने के भाव तो मन में किए तथा घरों में भी, व्यापार में, अनजाने में बहुत पाप करते हैं  हमें किसी जीव को मारने का कोई हक़ नहीं है *हम महावीर भगवान के वंशज है जियो और जीने दो* अहिंसा परमो धर्मः 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 

 

सपना जैन

दिल्ली

8076215360

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जैन धर्म, अहिंसा प्रधान है! 

अहिंसा कायरता नही, शिष्टता है!! 

अहिंसा का डंका, बजाया था वीर ने! 

जियो और जीने दो, सिखाया था वीर ने!! 

शब्दों की हिंसा से , खुद को बचाना है! 

अहिंसा परमो धर्म:, सबको बतलाना है!! 

 

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अहिंसा परमो धर्म अहम जैनियों की शान
अहिंसा हो जीवन में तो होगा जीवन खुशहाल अहिंसा से ही होगा इस जगत में हर तरफ जग खुशहाल थाम लो तुम हाथ अहिंसा का तो मिट जाएगा इस जग से नफरतों का मायाजाल जीवन को करना है खुशहाल तो दमन करो इस हिंसा का और स्वीकारो हर पल हर क्षण जीवन में अहिंसा स्वीकारो
अहिंसा परमो धर्म जय

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मन वचन और कर्म से पृथ्वी के समस्त जीवो के प्रति असंयत व्यवहार न रखना ही अहिंसा है । क्योंकि यह आत्मा का स्वभाव नहीं है, इसीलिए मोक्ष मंजिल पाने के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाना अति आवश्यक है।

 

 

 

 

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🌍 दुनिया में अगर शांति प्रस्तापित करनी है तो वो सिर्फ अहिंसा मार्ग से ही मुम्किन है 🦚

जैनियों का नारा सच्चा धर्म अहिंसा हमारा आज, कल और हमेशा

 🌺🌺🌺🌺🌺

अहिंसा परमो धर्म की जय 

🙏

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