अहिंसा मे अपार शक्ति है।वह शत्रु का नाश न करके शत्रुता का नाश करती है।अहिंसा श्रेष्ठ रसायन है।इसमें मधुरता का रस भरा है।अहिंसा से आत्मा की प्रसुप्त् अनंत दिव्य शक्तियां विकसित हो जाती है।अहिंसा मे अपार शक्ति है।वह शत्रु का नाश न करके शत्रुता का नाश करती है।अहिंसा श्रेष्ठ रसायन है।इसमें मधुरता का रस भरा है।अहिंसा से आत्मा की प्रसुप्त् अनंत दिव्य शक्तियां विकसित हो जाती है।
चार प्राकार की हिंसा में से एक संकल्पई हिंसा न करने का प्रण करके अहिंसा धर्म का पालन कर सकेंगे।इन्द्रिय संयम व प्राणी संयम को अपना कर भी हम अहिंसक बन सकते है
अहिंसा परमोधर्म ही श्रेष्ठ है।