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Urmila Khandelwal

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दस लक्षण पर्व ऑनलाइन महोत्सव

शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)

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  1. पर्व है पुरुषार्थ का दीप के देवायर्थ का भगवान महावीर के मोक्ष के कल्याण का । आओ मिलकर प्रेम सदभाव और प्यार के दीप प्रज्ज्वलित करे। अहिंसा का संदेश जग में पहुंचाए। जीओ और जीने दो का मार्ग अपनाए। महावीर के संदेश को जन जन तक पहुंचाए। भगवान महावीर निर्वाणोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
  2. अहिंसा मात्र शब्द नहीं है। एक जीवन है जो त्याग की और ले जाता है और हिंसा पाप की और। सभी धर्म अहिंसा को धारण करते है , परंतु जैन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसने अहिंसा को एक ऐसा उपकरण माना है और हर उस आत्मा को धारण करना चाहिए जो जिनेन्द्र भक्त है। अहिंसा का अर्थ केवल ये ही नहीं है कि किसी को मारना या हत्या नही करना अपितु इसका व्यापक रूप है हर उस प्राणी के लिए हरदय में क्षमा करुणा दया लोभ और सभी विकारों का त्याग करना तभी हम भावनात्मक और निषेधात्मक हिंसा से दूर रहकर अहिंसा का पालन कर सकते हैं। आज अहिंसा का रूप एक औ र भी है जो हमारे करुणामयआचार्यश्री जी विद्यासागर जी ने अहिंसक वस्त्र अहिंसक ओषधी अहिंसक खाद्य पदार्थ जिसे अपना कर हम अहिंसा की अलख जगा सकती हैं। जीओ और जीने दो ये महावीर का नारा जो जैन धर्म को अहिंसा परमो धर्म का उपदेश देता है।
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