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पहेली क्रमांक 22

बचपन बीता यौवन आया, पर विवाह न वीर रचाया। तीर्थकर वे कौन कहावे, इन्द्र भी जिनको शीश

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पहेली क्रमांक 21

देखो कितनी सुन्दर काया, कामदेव भी है शर्माया। वर्ण कौन-सा कौन बताए, महावीर-सा रूप है पाए।

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पहेली क्रमांक 20

दिव्यध्वनि जो दुख को हरती, वीर प्रभु के मुख से खिरती। प्रथम देशना सबने पाई, तिथी कौन-सी बताओ भाई ।।

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पहेली क्रमांक 19

वीर प्रभु ने कर्म नशाया, श्री अरिहन्त का पद है पाया। यक्ष-यक्षिणी कौन बताए, जिनशासन की शान बढ़ाए।

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पहेली क्रमांक 18

केवलज्ञान प्रभु ने पाया, समवशरण भी इन्द्र रचाया। मौन रहे प्रभु वीर न बोले, कितने दिन तक मुख न खोले।  

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पहेली क्रमांक 17

अतिवीर जी नाम है प्यारा, वीरों का भी एक सहारा। नाम प्रभु का कौन पुकारे, सही बताओ वर्ना हारे॥    

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पहेली क्रमांक 16

वर्द्धमान जी जो कहलाये, कर्म काट मुक्ति को पाये। नाम 'वीर जी' किसने पुकारा, सही बताओ धर्म सहारा॥  

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पहेली क्रमांक 15

'महावीर' शुभ नाम कहाया, दूजा कौन जगत् में भाया। रखा किन्होंने नाम बताओ, सही बताकर इनाम पाओ।    

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पहेली क्रमांक 14

14. नाम 'सन्मति' प्रभु ने पाया, सच्चा पथ है हमें बताया। मुनिवर कौन वे ऋद्धिधारी, कर्म सैन्य भी जिनसे हारी।।  

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पहेली क्रमांक 13

चार घातियाँ कर्म नशाया, प्रभु ने केवलज्ञान है पाया। तिथी कौन-सी कौन बताए, वीर प्रभु को शीश नवाए।

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आज का नियम 5 - 4 - 20

..........🙏 जय जिनेन्द्र 🙏🙏 नमस्ते 🙏........ * शास्त्रों में लिखा है हमे रोज़ एक नियम/त्याग लेना ही चाहिये ।  * सभी धर्मो में त्याग /नियम को बहुत महत्व दिया गया है । * त्याग / नियम कितना भी छोटा क्यों न हो (सिर्फ 10 मिनिट का भी) बहुत अशुभ कर्म नष्ट होते हैं। * रोज़ कुछ त्याग करने से असंख्यात बुरे कर्मो की निर्ज़रा (क्षय होना) होती है  * नरक गति का बंध अगर हमारा हो चुका है तो हम किसी भी तरह  के नियम जीवन में नहीं ले पाते हैं  । दिनांक  - 5 - 4 - 2020  -------------------------

पहेली क्रमांक 12

घोर-घोर उपसर्ग है कीना, प्रभु डिगे न ध्यान में लीना। बैरी कौन वो नाम बताएं, वीर प्रभु सम हम बन जाएं।

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पहेली क्रमांक 11

राग-आग में कभी ना जलना, ना ही भव बंधन में फँसना। दीक्षा वीर प्रभु जी धारे, तिथी कौन-सी सदा सहारे॥

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पहेली क्रमांक 10

देव-देवियाँ स्वर्ग से आते, क्षीर सिन्धु का जल हैं लाते।। प्रभु अभिषेक कहाँ वे करायें, वीर प्रभु जी खुशी मनायें। 11.

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पहेली श्रँखला : समीक्षा एवं सुझाव

जय जिनेन्द्र  आपको यह प्रयोग कैसा लग रहा हैं,  नीचे कमेंट के माध्यम से अवगत कराएं | आप सभी ऐप्प जरूर डाउनलोड करलें | नई पहेली की सुचना आप follow बटन के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं   

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पहेली क्रमांक 9

तीर्थकर जो भव से तारे, भव्य जनों के बने सहारे। जन्म लिया कब वीर बताएं, सही बताकर पहचान  पाएं।

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पहेली क्रमांक 8

वीर प्रभु जी गर्भ में आये, मात-पिता जन मन हर्षाये। तिथी कौन-सी कौन बताए, तथा महोत्सव आप मनाये।

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पहेली क्रमांक 7

अंतिम तीर्थकर कहलाते, हम सब जिनको शीश नवाते। नाना-नानी का नाम बताओ, महावीर सम तुम बन जाओ॥

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आज का नियम 4-4-20

..........🙏 जय जिनेन्द्र 🙏🙏 नमस्ते 🙏........ * शास्त्रों में लिखा है हमे रोज़ एक नियम/त्याग लेना ही चाहिये ।  * सभी धर्मो में त्याग /नियम को बहुत महत्व दिया गया है । * त्याग / नियम कितना भी छोटा क्यों न हो (सिर्फ 10 मिनिट का भी) बहुत अशुभ कर्म नष्ट होते हैं। * रोज़ कुछ त्याग करने से असंख्यात बुरे कर्मो की निर्ज़रा (क्षय होना) होती है  * नरक गति का बंध अगर हमारा हो चुका है तो हम किसी भी तरह  के नियम जीवन में नहीं ले पाते हैं  । दिनांक  - 4 - 4 - 2020  -------------------------

पहेली क्रमांक 6

त्रिशला रानी माँ कहलाती, महावीर को प्यार जताती।   जन्म कहाँ पर माँ ने पाया, कौन बताए मेरे भाया।

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पहेली क्रमांक 5

वर्द्धमान ने जन्म है पाया, देवों ने जयकार लगाया। महल कौन-सा कौन बताए, कुण्डलगिरी में दर्शन पाए।

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पहेली क्रमांक 4

वीर प्रभु को गर्भ में आना, इन्द्र ने अपने ज्ञान से जाना।  रत्न कहाँ पर है बरसाना, कुबेर को है ज्ञात कराना॥ 

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पहेली क्रमांक 3

समवशरण में प्रभु को पाया, शीश नवाया संयम पाया। आयां व्रत वे कोन हैं धारे, वर्धमान से रिश्ता पाले। 

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