Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World

Recommended Posts

Posted

अवग्रहेहावायधारणा:।’ अवग्रह, ईहा, अवाय, और धारणा ये मतिज्ञान के चार भेद हैं ।अवग्रहेहावायधारणा:।’ अवग्रह, ईहा, अवाय, और धारणा ये मतिज्ञान के चार भेद हैं ।

Posted

 1- अवग्रह—रूप देखने के पश्चात् अर्थ का ग्रहण करना ।       2- ईहा— अवग्रह द्वारा जाने गये पदार्थों को विशेष रूप से जानना ।                                                                   3- अवाय— विशेष चिन्ह देखकर वस्तु का निर्णय हो जाना ।   4- धारणा— अवाय से निश्चय किये पदार्थ को कालान्तर में नहीं भूलना ।

Posted

मतिज्ञान के भेद हैं चार(अवग्रह ईहा अवाय धारणा), कष्टो का हो संहार 

ज्ञान की ज्योति तुम जलाओ, पुण्यात्मा फिर बन जाओ 

(इस पंक्ति में मतिज्ञान के भेद सहित ज्ञान की प्राप्ति का संदेश दिया गया है) 

- श्रीमति आराधना चौधरी द्वारा

Posted

मति ज्ञान के चार भेद हैं अवगृह ईहा अवाय धारणा इनके प़भेद करने पर मतिज्ञान के तीन सौ छत्तीस भेद भी बन जाते हैं

Posted

मती ज्ञान ३३६ प्रकार के हैं|

अवग्रह ईसा,आवाम,धारणा,

५इंद्रीय,१मन से,

१२ प्रकार के वस्तुओं को जानता है,और मन और चक्षु को छोड़कर ४इंद्रीयोंसे व्यंजनावग्रह ज्ञान होता है,

१२×६×४=२८८+४८=३३६

Guest
This topic is now closed to further replies.
  • Who's Online   1 Member, 0 Anonymous, 19 Guests (See full list)

  • अपना अकाउंट बनाएं : लॉग इन करें

    • कमेंट करने के लिए लोग इन करें 
    • विद्यासागर.गुरु  वेबसाइट पर अकाउंट हैं तो लॉग इन विथ विद्यासागर.गुरु भी कर सकते हैं 
    • फेसबुक से भी लॉग इन किया जा सकता हैं 

     

×
×
  • Create New...