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JainSamaj.World
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जयपुर की असफल यात्रा - २३


Abhishek Jain

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☀जय जिनेन्द्र बंधुओं,

        जयपुर यात्रा असफल होने के बाद गणेश प्रसाद वापिस बाईजी के पास नहीं गए। 

      जयपुर जाने के पूर्व बाईजी ने कहा था जाने के लिए कुछ समय और रुक जाओ। साथ ही यह भी कहा था कि तुम भोले हो संभल कर रहना नहीं तो कोई तुम्हारा सारा सामान चोरी हो जाए।

?संस्कृति संवर्धक गणेशप्रसाद वर्णी?

        *"जयपुर की असफल यात्रा"*

                    क्रमांक - २३

                यहाँ से सिमरा नौ मील दूर था, परंतु लज्जावश वहाँ न जाकर यहीं पर रहने लगा। और यहीं एक जैनी भाई के घर आनंद से भोजन करता था और गाँव के जैन बालकों को प्राथमिक शिक्षा देने लगा।

     दैवका प्रबल प्रकोप तो था ही- मुझे मलेरिया आने लगा। ऐसे वेग से मलेरिया आया कि शरीर पीला पड़ गया। औषधि रोग को दूर न कर सकी। एक वैद्य ने कहा- प्रातःकल वायु सेवन करो और ओस में आध घंटा टहलो।'

       मैंने वही किया। पन्द्रह दिन में ज्वर चला गया। फिर वहाँ से आठ मील चलकर जतारा आ गए। यहाँ पर भाईजी साहब और वर्णी जी से भेंट हो गई और उनके सहवास पूर्वक धर्म साधन करने लगा।                     

? *मेरी जीवन गाथा - आत्मकथा*?? आजकी तिथी- वैशाख शु.पूर्णिमा?

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