☀जन्म और जैनत्व की ओर आकर्षण - २
?संस्कृति संवर्धक गणेशप्रसाद वर्णी?
*"जन्म और जैनत्व की ओर आकर्षण"*
प्रस्तुती क्रमांक -२
मेरा नाम गणेश वर्णी है। जन्म संवत् १९३१, कुवाँर वदि ४ को हसेरा ग्राम में हुआ था। यह जिला ललितपुर (झाँसी), तहसील महरोनी के अंतर्गत मदनपुर थाने में स्थित है।
पिता का नाम श्री हीरालालजी माता का नाम उजियारी था। मेरी जाति असाटी थी। यह प्रायः बुंदेलखंड में पाई जाती है। इस जाति वाले वैष्णव धर्मानुयायी होते हैं।
मेरे पिताजी की स्थिति सामान्य थी। वे साधारण दुकानदारी के द्वारा अपने कुटुम्ब का पालन करते थे। यह समय ही ऐसा था, जो आज की अपेक्षा बहुत ही अल्प द्रव्य में कुटुम्ब का भरण पोषण हो जाता था।
उस समय एक रुपये में एक मनसे अधिक गेहूँ, तीन सेर घी, और आठ सेर तिल का तेल मिलता था। शेष वस्तुएँ इसी अनुपात में मिलती थीं।
सब लोग कपढ़ा प्रायः घर के सूत के पहनते थे। सबके घर चरखा चलता था। खाने के लिए घी, दूध भरपूर मिलता था। जैसा कि आज कल देखा जाता है उस समय क्षय-रोगियों का सर्वथा अभाव था।
?एक आत्मकथा - मेरी जीवन गाथा?
? *आजकी तिथी- वैशाख कृष्ण ५*?
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