?विदर्भ प्रांत में प्रवेश - अमृत माँ जिनवाणी से - २६७
? अमृत माँ जिनवाणी से - २६७ ?
"विदर्भ प्रांत में प्रवेश"
संघ २६ दिसम्बर को यवतमाळ पहुँचा। यहाँ खामगाँव के श्रावकों ने सर्व संघ की आहार व्यवस्था की। यहाँ प्रद्युम्नसाव जी कारंजा वालों के यहाँ पूज्य आचार्यश्री का आहार हुआ। रात्रि के समय श्री जिनगौड़ा पाटील का मधुर कीर्तन हुआ।
श्री पाटील गोविन्दरावजी ने संघ की आहार व्यवस्था हेतु दूध, लकड़ी का प्रबंध वर्धा पर्यन्त करके अपनी भक्ति तथा प्रेम भाव व्यक्त किया। ता. २८ को संघ पुलगाँव पहुँचा।
बालू के बोरे डालकर कृत्रिम पुल बनाने की कुशलता तथा तथा गुरुभक्ति भी जमनालाल जी झांझरी ने प्रदर्शित की। यहाँ सुंदर जुलूस निकाला गया था। संघ ३० दिसम्बर को वर्धा पहुँचा। आचार्य महराज तथा अन्य त्यागियों का उपदेश हुआ। यहाँ से संघ रवाना होकर २ जनवरी सन १९२९ को नागपुर के समीप पहुंच गया।
नागपुर और वर्धा के मध्य का मार्ग बहुत खराब था। उसे नागपुर जैन समाज ने तत्परतापूर्वक ठीक कराया। रत्नत्रय-मूर्ति आचार्य महराज ने मुनित्रय सहित तीन जनवरी सन १९२८ को नागपुर नगर में प्रवेश किया। पूज्य शान्तिसागरजी महराज का अत्यंत प्रभावना के साथ नागपुर में मंगल प्रवेश का उल्लेख कल के प्रसंग में किया जायेगा।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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