?जबलपुर में भव्य आगवानी - अमृत माँ जिनवाणी से - २९८
? अमृत माँ जिनवाणी से- २९८ ?
जबलपुर में भव्य आगवानी"
पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महराज कटनी चातुर्मास के उपरांत जबलपुर की ओर विहार हुआ। आचार्यश्री के सानिध्य में पनागर में हुए समारम्भ में जबलपुर की बहुत सी समाज भी आ गयी थी। इससे वहाँ की शोभा और बढ़ गई थी। संघ का पनागर आना ही जबलपुर के भाग्य उदित होने के उषा काल सदृश था। धार्मिक लोग सोच रहे थे, यहाँ कब संघ आता है? शनिवार के प्रभात में संघ जबलपुर की ओर रवाना हुआ।
जबलपुर के अधारताल के पास लोगों ने योगिराज की भव्य आगवानी की। संघ ने आकर मिलोनीगंज के मंदिर की वंदना की। पश्चात संघ गोलबाजार की तरफ रवाना हुआ। हजारों नर-नारियों का समुदाय इन संतराज के स्वागतार्थ इकठ्ठा हुआ था।
कटनी के बाद आचार्य महराज एक दिन के अंतराल से आहार लिया करते थे। कटनी में तो उनका त्याग कठिन रूप में था। पाँच-पाँच, छह-छह, उपवास करना साधारण सी बात थी। यह होते हुए भी धार्मिक कार्यों में प्रमाद का लेश नहीं था।
महराज का संघ जैन बोर्डिंग, गोलबाजार में विराजमान था। मुनियों के आहार के बाद जैन व्यापारी अपनी-अपनी दुकानें खोलते थे। जब धर्म पुरुषार्थ का लाभ हो रहा था, तब चतुर समाज ने सही सोचा कि अमूल्य समय पर उस धर्म निधि का संचय करना ठीक होगा।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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