?संघ का राँची पहुँचना - अमृत माँ जिनवाणी से - २८१
? अमृत माँ जिनवाणी से - २८१ ?
"संघ का राँची पहुँचना"
इस प्रकार सच्चा लोक कल्याण करते हुए आचार्य महराज का संघ १२ फरवरी को राँची पहुंचा। वहाँ बहुत लोगों ने अष्टमूलगुण धारण किए। वहाँ के सेठ रायबहादुर रतनलाल सूरजमलजी ने धर्मप्रभावना के लिए बड़ा उद्योग किया था।
"फाल्गुन सुदी तृतीया को शिखरजी पहुँचना"
संघ हजारीबाग पहुंचा तब वहाँ की समाज ने बड़ी भक्ति प्रगट की। ऐलक पन्नालाल जी संघ में सम्मलित हो गए, वहाँ से चलकर संघ फाल्गुन सुदी ३ को तीर्थराज शिखरजी के पास पहुँच गया।उस समय सब अवर्णनीय आनंद की प्राप्ति हुई।
सम्मेदशिखर का दर्शन होते ही प्रत्येक यात्री के अंतःकरण में आनंद का रस छलका सा पढ़ता था। अगणित सिद्धों की सिद्धि के स्थल शिखरजी का मंगल संस्मरण जब पुण्य भावनाओं को जागृत करता है तब तीर्थराज का साक्षात दर्शन के हर्ष का वर्णन कौन कर सकता है?
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.