?शुभ समाचार - अमृत माँ जिनवाणी से - २७४
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जय जिनेन्द्र बंधुओं,
हम विचार कर सकते है कि वह श्रावक कितने भाग्यशाली होंगे जिनको पूज्य शान्तिसागर ससंघ तीर्थराज की वंदना को ले जाने में सम्पूर्ण व्यवस्था का लाभ मिला।
आज का प्रसंग हम सभी को उदारता का एक अच्छा प्रेरणास्पद उदाहरण, एक सच्चे गुरुभक्त श्रावक लक्षणों तथा सोच को व्यक्त करता है। उदारता तथा संतोष एक सच्चे धर्मात्मा की पहचान है।
? अमृत माँ जिनवाणी से - २७४ ?
"शुभ समाचार"
नागपुर धर्म प्रभावना की चंद्रिका प्रकाश दे रही थी, तब एक मधुर शुभ समाचार संघपति सेठ पूनमचंद घासीलाल जी जबेरी को बम्बई के तार से ज्ञात हुआ कि आपको एक लाख रुपये का लाभ हुआ है।
इस समाचार से उनको हर्ष होना स्वाभाविक है। धार्मिक समाज को भी बड़ा आनंद हुआ, क्योंकि ऐसे धर्मात्माओं और परोपकारी पुरुषों का अभ्युदय कौन नहीं चाहता है? यह सन १९२८ की बात है, जब रुपया बहुमूल्य गिना जाता था। आज की स्थिति दूसरी हो गई है।
इस समाचार ने संघपति के चित्त में न अहंकार उत्पन्न किया और न उस द्रव्य के प्रति तृष्णा का भाव ही उनके ह्रदय में जागा। यद्यपि सामान्य मनुष्य के ह्रदय में विकृति आए बिना नहीं रहती है।
जबेरी बंधुओं की पवित्र सोच, उन्होंने सोच गुरुचरण प्रसाद से जो निधि आई है उसे उनके पुण्य चरणों के समीप ही श्रेष्ठ कार्य में लगा देना चाहिए, ऐसे पवित्र भाव उनके चित्त में उदित हुए। उनकी आत्मा में स्वयं के भाव हुए कि इस द्रव्य की शिखरजी में जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव रूप महापूजा में लगा देना अच्छा होगा।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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