?शांति के बिना त्याग नहीं - अमृत माँ जिनवाणी से - २७२
? अमृत माँ जिनवाणी से - २७२ ?
"शांति के बिना त्यागी नहीं"
पूज्य शान्तिसागरजी महराज ने बताया कि महाव्रतों के पालन से उनकी आत्मा को अवर्णनीय शांति है। एक दिन सन १९५० में एक स्थानकवासी साधु महोदय आचार्य महराज के पास गजपंथा तीर्थ पर आए। उनने कहा- "महराज ! शांति तो है न?
महराज ने उत्तर दिया- "त्यागी को यदि शांति नहीं, तो त्यागी कैसे?"
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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