Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World
  • entries
    335
  • comments
    11
  • views
    31,009

?उत्तर प्रांत में शिथिलाचार सुधारने हेतु प्रतिज्ञा - अमृत माँ जिनवाणी से - २२९


Abhishek Jain

240 views


जय जिनेन्द्र बंधुओं,

      प्रस्तुत प्रसंग को पढ़कर शायद आप सोचें की पहले के समय की बात थी कि अशुद्ध आचरण वालों से जल भरवाना तथा घर के काम करवाये जाते थे, लेकिन मुझे लगता है आज के समय मे स्थिति उससे कहीं भयावह है।

         आचार-विचार का ध्यान रखने वाले कुछ श्रावकों को छोड़कर अधिकांशतः हम सभी में खान-पान का विवेक घट गया है। वर्तमान में ऊपरी स्टेंडर्ड जरूर बढ गया लेकिन खान-पान की सामग्री व तरीके में बहुत परिवर्तन आया है। 

             यह पूर्णतः सत्य है कि जब तक हमारे आहार में शुद्धता नहीं आएगी तब तक सही मायने में हमारे धर्म की ओर कदम बढ ही नही सकते।

?   अमृत माँ जिनवाणी से - २२९   ?


     "उत्तर प्रांत में शिथिलाचार सुधारने 
                       हेतु प्रतिज्ञा"


              अब संयम का सूर्य दक्षिणायन के बदले उत्तरायण होने जा रहा था। उत्तर की ओर जो खान-पान में शिथिलता थी, उसका सुधार किया जाना जरूरी था।

           प्रातः प्रत्येक घर में पानी भरने का कार्य जो व्यक्ति करता था, वह मांसभोजी रहा करता था। उसके घर में और भी अशुद्धताएँ हो जाया करती हैं, जिनका उसे अपने हीन कुल के कारण ध्यान नहीं होता है। 

          जैसे चमढ़े का व्यापार करने वाले के हाथ से ऐसा पानी नहीं मिल सकेगा जिसका चमढ़े से सम्बन्ध न हो।

         मूल बात इतनी है, हीन आचरण व संस्कार वाले वर्ग के हाथ का जल यदि भोजनालय में आता है और उससे आहार बनता है तो वैसा अशुद्ध जल निर्मित आहार महाव्रती साधु की श्रेष्ठ अहिंसा की साधना के अनुकूल कैसे होगा।

          यह बात दूर तक सोचकर महराज ने आगे यह प्रतिज्ञा की थी कि जो शुद्र-जल का त्यागी होगा, उस जैनी के ही हाथ का पानी लेंगे।


? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?

0 Comments


Recommended Comments

There are no comments to display.

Guest
Add a comment...

×   Pasted as rich text.   Paste as plain text instead

  Only 75 emoji are allowed.

×   Your link has been automatically embedded.   Display as a link instead

×   Your previous content has been restored.   Clear editor

×   You cannot paste images directly. Upload or insert images from URL.

  • अपना अकाउंट बनाएं : लॉग इन करें

    • कमेंट करने के लिए लोग इन करें 
    • विद्यासागर.गुरु  वेबसाइट पर अकाउंट हैं तो लॉग इन विथ विद्यासागर.गुरु भी कर सकते हैं 
    • फेसबुक से भी लॉग इन किया जा सकता हैं 

     

×
×
  • Create New...