?पागल द्वारा उपसर्ग - अमृत माँ जिनवाणी से - २२२
? अमृत माँ जिनवाणी से - २२२ ?
"पागल द्वारा उपसर्ग"
कोगनोली चातुर्मास के समय पूज्य शान्तिसागरजी महराज कोगनोली की गुफाओं में ध्यान करते थे। एक रात्रि को ग्राम से एक पागल वहाँ आया। पहले उसने इनसे भोजन माँगा। इनको मौन देखकर वह हल्ला मचाने लगा। पश्चात गुफा के पास रखी ईटो की राशी को फेककर उपद्रव करता रहा, किन्तु शांति के सागर के भावों में विकार की एक लहर भी नहीं आई।
वह दृढ़ता पूर्वक ध्यान करते रहे। अंत में वह पागल उपद्रव करते-२ स्वयं थक गया। इससे वहाँ से चला गया।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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