?वैराग्य का कारण - अमृत माँ जिनवाणी से - २२१
? अमृत माँ जिनवाणी से - २२१ ?
"वैराग्य का कारण"
एक दिन मैंने पूंछा, "महराज वैराग्य का आपको कोई निमित्त तो मिलता होगा? साधुत्व के लिए आपको प्रेरणा कहाँ से प्राप्त हुई। पुराणों में वर्णन आता है कि आदिनाथ प्रभु को वैराग्य की प्रेरणा देवांगना नीलांजना का अपने समक्ष मरण देखने से प्राप्त हुई थी"
महराज ने कहा, "हमारा वैराग्य नैसर्गिक है। ऐसा लगता है कि जैसे यह हमारा पूर्व जन्म का संस्कार हो। गृह में, कुटुम्ब में, हमारा मन प्रारम्भ से ही नहीं लगा। हमारे मन में सदा वैराग्य का भाव विद्यमान रहता था। ह्रदय बार-बार गृहवास के बंधन को छोड़ दीक्षा धारण के लिए स्वयं उत्कण्ठित होता था।"
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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