?उत्तूर में क्षुल्लक दीक्षा - अमृत माँ जिनवाणी से - २२०
? अमृत माँ जिनवाणी से - २२० ?
"उत्तूर में क्षुल्लक दीक्षा -१"
पूज्य शान्तिसागरजी महराज के क्षुल्लक दीक्षा की संबंधित जानकारी कल के प्रसंग में प्रस्तुत की गई थी, उसी में आगे-
चंपाबाई ने बताया दीक्षा का निश्चय हमारे घर पर हुआ था। दीक्षा का संस्कार घर से लगे छोटे मंदिर में हुआ था। उस गाँव में १३ घर जैनों के हैं।
अप्पा जयप्पा वणकुदरे ने कहा मेरे समक्ष दीक्षा का जलूस निकला था। भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति का अभिषेक भी हुआ था। महराज ने गुरु से कहा था, "मला दीक्षा द्या" (मुझे दीक्षा दीजिए)। गुरु ने दीक्षा दी।
सातगौड़ा क्षुल्लक शान्तिसागर हो गए। उनमें गुरु की अपेक्षा अधिक तेज तथा कांति थी।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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