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?रूढ़ि से बड़ी है आगम की आज्ञा - अमृत माँ जिनवाणी से - २१५


Abhishek Jain

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?   अमृत माँ जिनवाणी से - २१५   ?


    "रूढ़ि से बड़ी है आगम की आज्ञा"


          व्रताचरण के विषय में पूज्य शान्तिसागरजी महराज से किसी ने पूंछा था "महराज ! रुधिवश लोग तरह-२ के प्रतिबंध व्रतों में उपस्थित करते हैं, ऐसी स्थिति में क्या किया जाए?"

        आचार्य महराज ने कहा था, "व्रतों के विषय में शास्त्राज्ञा को देखकर चलो, रूढ़ि को नहीं। शास्त्राज्ञा ही जिनेन्द्र आज्ञा है। लोक आज्ञा रूढ़ि है।

        धर्मात्मा जीव सर्वज्ञ जिनेन्द्र की आज्ञा को बताने वाले शास्त्र को अपना मार्गदर्शक मानेगा, दूसरे शास्त्रों को मोक्ष मार्ग के लिए कैसे पथप्रदर्शक मानेगा?"

           इस विषय में सोमदेवसूरि का यह आदेश भी ध्यान में रखना श्रेयस्कर है कि उन लौकिक विधि विधानों का तुम सादर स्वागत कर सकते हो, जो तुम्हारी पवित्र श्रद्धा तथा व्रताचरण में बाधा नहीं डालते।


? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?

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