?बाल ब्रम्हचारी का जीवन - अमृत माँ जिनवाणी से - १७४
? अमृत माँ जिनवाणी से - १७४ ?
"बाल ब्रह्मचारी का जीवन"
जब सातगौड़ा (भविष्य के शान्तिसागरजी महराज) अठारह वर्ष के हुए तब माता पिता ने फिर इनसे विवाह की चर्चा चलाई। इन्होंने अपनी अनिच्छा प्रगट की। इस पर पुनः आग्रह होने लगा, तब इन्होंने कहा, "यदि आपने पुनः हमें गृहजाल में फसने को दबाया, तो हम मुनि दीक्षा ग्रहण कर लेंगे।"
इस भय से पुनः विवाह के लिए आग्रह नहीं किया गया। इस प्रकार पूज्यश्री बाल्य जीवन से ही निर्दोष ब्रम्हचर्य-व्रत का पालन करते चले आ रहे थे, अतः शरीर बड़ा बल संपन्न रहा।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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