?सतत अभ्यास का महत्व - अमृत माँ जिनवाणी से - १६४
☀जय जिनेन्द्र बंधुओं,
प्रस्तुत प्रसंग में पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महराज ने कितने सरल उदाहरण के माध्यम से बताया है कि लगातार किया जाने वाला इंद्रिय संयम का अभ्यास बेकार नहीं जाता, उसका भी महत्व अवश्य होता है।
? अमृत माँ जिनवाणी से - १६४ ?
"सतत अभ्यास का महत्व"
पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महराज कहते थे-
"जिस प्रकार बार-बार रस्सी की रगड़ से कठोर पाषाण में गड्ढ़ा पड़ जाता है, उसी प्रकार बार-बार अभ्यास द्वारा इंद्रियाँ वसीभूत होकर मन में चंचलता नहीं उत्पन्न करती हैं।"
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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