?ध्यान सूत्र - अमृत माँ जिनवाणी से - १६३
? अमृत माँ जिनवाणी से - १६३ ?
"ध्यान सूत्र"
प्रश्न - महराज ! कृप्याकर बताइये, क्या आपका मन लगातार आत्मा में स्थिर रहता है या अन्यत्र भी जाता है?"
उत्तर - पूज्य शान्तिसागरजी महराज ने कहा- "हम आत्मचिंतन करते हैं। कुछ समय के बाद जब ध्यान छूटता है, तब मन को फिर आत्मा की ओर लगाते हैं।
कभी-कभी मोक्षगामी त्रेसठ शलाका पुरुषों का चिंतवन करता हूँ।"
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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