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?सर्वप्रियता - अमृत माँ जिनवाणी से - १७६


Abhishek Jain

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☀जय जिनेन्द्र बंधुओं,

           आज का प्रसंग एक रोचक प्रसंग है। सामान्यतः पूज्य शान्तिसागरजी महराज के जीवन चरित्र की जिज्ञासा रखने वाले श्रावकों के मन में उनके विवाह के सम्बन्ध में जिज्ञासा रहती है।

         पहले के समय में बालविवाह की कुप्रथा प्रचलित थी। बाल विवाह की प्रथा के अनुरूप ही नौ वर्ष के बालक सातगौड़ा का विवाह भी कम उम्र में ही कर दिया।

          पूर्व प्रसंग से हम सभी को ज्ञात है कि पूज्य शान्तिसागरजी महराज की प्रेरणा से ही कोल्हापुर राज्य में देश में प्रथम बार बाल विवाह प्रतिबंधक कानून बना। बालक सातगौड़ा के विवाह की जानकारी नीचे प्रसंग को पढ़कर जानें।

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १७६    ?


                    "सर्वप्रियता"

 
           अपने सद्गुणों के कारण चरित्र नायक सात गौड़ा (गृहस्थ अवस्था में शान्तिसागरजी महराज) सर्वप्रिय थे। जब वे नौ वर्ष के हुए, तब माता-पिता ने ६ वर्ष की बालिका के साथ इनका विवाह कर दिया। दैवयोग से उस लड़की का छह माह के बाद मरण हो गया।

          महराज ने बताया था कि हमने उसे अपनी स्त्री के रूप में कभी नही जाना। पहले माता-पिता अपने मनोविनोद को प्रमुख बना घर में पुत्रवधु लाने की ममता, मोह के कारण छोटी सी अवस्था में, जबकि सचमुच दूध के दाँत नही टूटते थे, विवाह कर दिया करते थे।

         गाँधी जी का विवाह तेरह वर्ष की आयु में हो गया था। गाँधीजी लिखते हैं कि तेरह वर्ष की आयु में मेरी शादी हुई थी, यह कहते हुए मुझे बहुत खेद होता है। आज के दिन मेरे समक्ष बारह तेरह वर्ष के जो लड़के मौजूद हैं, उन्हें देखकर और अपने विवाह की बात सोचकर, मुझे अपनी उस अवस्था पर दया आती है और जिन्होंने इस उम्र में शादी नहीं की, उन्हें बधाई देने को जी चाहता है।


?  स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का  ?

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