?प्रस्थान - अमृत माँ जिनवाणी से - ३०४
? अमृत माँ जिनवाणी से -- ३०४ ?
"प्रस्थान"
मगसिर वदी पंचमी को पूज्य शान्तिसागरजी महराज ससंघ ने ललितपुर से बिहार किया। जब पूज्यश्री ने ललितपुर छोड़ा, तब लगभग चार-पाँच हजार जनता ने दो-तीन मील तक महराज के चरणों को न छोड़ा। अंत मे सबने गुरुचरणों को प्रणाम किया, और अपने ह्रदय में सदा के लिए उनकी पवित्र मूर्ति अंकित कर वे वापिस आ गए। लगभग पाँच सौ व्यक्ति सिरगन ग्राम पर्यन्त गुरुदेव के पीछे-पीछे गए।
पूज्यश्री के ललितपुर से प्रस्थान करने के समय का दृश्य चिरस्मरणीय था। विश्व हितंकर संतो के चिरवियोग की कल्पना से हजारों नेत्रों से आँसू बह रहे थे। चार माह का समय जो आचार्य महराज के चरणों से अवर्णनीय शान्ति से बीता था, अब वह जनता को पुनः दुर्लभ है।
?बुंदेलखंड की वंदना?
इसके अनंतर आचार्यश्री ने बुंदेलखंड के अनेक तीर्थों के दर्शन किए। पपौरा, थूबोन, देवगढ़ आदि अनेक महत्वपूर्ण तथा कलामय तीर्थ बुंदेलखंड के अतीत वैभव, धर्म प्रेम, सुरुचि संस्कृत आध्यात्मिकता पर प्रकाश डालते हैं। सभी पुण्य स्थलों की वंदना द्वारा संघ ने अवर्णनीय आनंद प्राप्त किया।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
?आज की तिथी - चैत्र कृष्ण षष्ठी ?
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