?बाल विवाह प्रतिबंधक कानून - अमृत माँ जिनवाणी से - १४९
? अमृत माँ जिनवाणी से - १४९ ?
"बाल विवाह प्रतिबंधक कानून"
कल के प्रसंग में हमने पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागर जी महाराज की पावन प्रेरणा से कोल्हापुर राज्य लागू बाल विवाह प्रतिबंधक कानून के बारे में चर्चा प्रारम्भ की थी।
एक बार कोल्हापुर के शहुपुरी के मंदिर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा हो रही थी। वहाँ पूज्य शान्तिसागरजी महाराज विराजमान थे। दीवान बहादुर श्री लट्ठे प्रतिदिन सायंकाल के समय महाराज के दर्शनार्थ आया करते थे। एक दिन लट्ठे महाशय ने आकर आचार्यश्री के चरणों को प्रणाम किया। महाराज ने आशीर्वाद देते हुए कहा- "तुमने पूर्व में पुण्य किया है, जिससे तुम इस राज्य के दीवान बने हो और दूसरे राज्यों में तुम्हारी बात का मान है। मेरा तुमसे कोई काम नहीं है। एक बात है, जिसके द्वारा तुम लोगों का कल्याण करा सकते हो। कारण, कोल्हापुर के महाराज तुम्हारी बात को नहीं टालते।"
दीवान बहादुर लट्ठे ने कहा- महाराज ! मेरे योग्य सेवा सूचित करने की प्रार्थना है। महराज बोले, छोटे-२ बच्चों की शादी की अनीति चल रही है। अबोध बालक, बालिकाओं का विवाह हो जाता है। लड़के के मरने पर बालिका विधवा कहलाने लगती है। उस बालिका का भाग्य फूट जाता है। इससे तुम बाल विवाह प्रतिबंधक कानून बनाओ। इससे तुम्हारा जन्म सार्थक हो जाएगा। इस काम में तनिक भी देर नहीं हो।"
कानून के श्रेष्ठ पंडित दीवान लट्ठे साहब की आत्मा आचार्य महराज की बात सुनकर अत्यंत हर्षित हुई। मन ही मन उन्होंने महाराज की उज्जवल सूझ की प्रशंसा की। गुरुदेव को उन्होंने यह अभिवचन दिया कि आपकी इच्छानुसार शीघ्र ही कार्य करने का प्रयत्न करूँगा।
आगे का वृत्तांत कल के प्रसंग में....
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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