?दीवान श्री लट्टे की कार्यकुशलता - अमृत माँ जिनवाणी से - १५०
? अमृत माँ जिनवाणी से - १५० ?
"दीवान श्री लट्ठे की कार्यकुशलता"
पिछले दो प्रसंगों से जोड़कर यह आगे पढ़ें। पूज्य शान्तिसागरजी महाराज के चरणों को प्रणाम कर लट्ठे साहब महराज कोल्हापुर के महल में पहुँचे। महराज साहब उस समय विश्राम कर रहे थे, फिर भी दीवान का आगमन सुनते ही बाहर आ गए।
दीवान साहब ने कहा, "गुरु महराज बाल-विवाह प्रतिबंधक कानून बनाने को कह रहे हैं। राजा ने कहा, तुम कानून बनाओं मै उस पर सही कर दूँगा।" तुरंत लट्ठे ने कानून का मसौदा तैयार किया। कोल्हापुर राज्य का सरकारी विशेष गजट निकाला गया, जिसमें कानून का मसौदा छपा था। प्रातःकाल योग्य समय पर उस मसौदे पर राजा के हस्ताक्षर हो गए। वह कानून बन गया।
दोपहर के पश्चात सरकारी घुड़सवार सुसज्जित हो एक कागज लेकर वहाँ पहुँचा, जहाँ आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज विराजमान थे।
लोग आश्चर्य में थे कि अशांति और उपद्रव के क्षेत्र में विचरण करने वाले वे शस्त्र सज्जित शाही सवार वहाँ शांति के सागर के पास क्यों आए हैं? महाराज के पास पहुँचकर उन शस्त्रालंकृत घुड़सवारों ने उनको प्रणाम किया और उनके हाथ में एक राजमुद्रा अंकित बंद पत्र दिया गया।
लोग आश्चर्य में निमग्न थे कि महराज के पास सरकारी कागज आने का क्या कारण है? क्षण भर में कागज पढ़ने पर ज्ञात हुआ कि उसमे महराज को प्रणाम पूर्वक यह सूचित किया गया था कि उनके पवित्र आदेश को ध्यान में रखकर कोल्हापुर सरकार ने बाल-विवाह-प्रतिबंधक कानून बना दिया है। महाराज के मुख मंडल पर एक अपूर्व आनंद की आभा अंकित हो गई।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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