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?आगम के भक्त - अमृत माँ जिनवाणी से - १९९


Abhishek Jain

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?    अमृत माँ जिनवाणी से - १९९    ?


                   "आगम के भक्त"


            एक बार लेखक ने आचार्य महराज को लिखा कि भगवान भूतबली द्वारा रचित महाधवल ग्रंथ के चार-पाँच हजार श्लोक नष्ट हो गए हैं, उस समय पूज्य शान्तिसागरजी महराज को शास्त्र संरक्षण अकी गहरी चिंता हो गई थी।

         उस समय मैं सांगली में और वर्षाकाल में ही मैं उनकी सेवा में कुंथलगिरी पहुँचा। बम्बई से सेठ गेंदनमलजी, बारामती से चंदूलालजी सराफ तथा नातेपूते से रामचंद्र धनजी दावड़ा वहाँ आये थे।

          उनके समक्ष आचार्य महराज ने अपनी अंतर्वेदना व्यक्त करते हुए कहा - "धवल महाधवल महावीर भगवान की वाणी है। उसके चार-पाँच हजार श्लोक नष्ट हो गए हैं, ऐसा पत्र सुमेरचंद शास्त्री का मिला, इसलिए आगामी उपाय ऐसा करना चाहिए जिससे कि ग्रंथों को बहुत समय तक कोई क्षति प्राप्त ना हो। इसलिए इनको ताम्रपत्र में लिखवाने की योजना करना चाहिए, जिससे हजारों वर्ष पर्यन्त सुरक्षित रहें। इस कार्य में लाख रुपये से भी अधिक लग जाये, तो भी परवाह नहीं करना चाहिए।"


?  स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का  ? 

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