?शूद्रों पर प्रेमभाव - अमृत माँ जिनवाणी से - १८९
? अमृत माँ जिनवाणी से - १८९ ?
"शुद्रो पर प्रेमभाव"
सातगौड़ा की अस्पृश्य शूद्रों पर बड़ी दया रहती थी। हमारे कुएँ का पानी जब खेत में सीचा जाता था, तब उसमें से शूद्र लोग यदि पानी लेते थे, तब हम उनको धमकाते थे और पानी लेने से रोकते थे, किन्तु सातगौड़ा को उन पर बड़ी दया आती थी। वे हमें समझाते थे और उन गरीबों को पानी लेने देते थे।
खेतों के काम में उनके समान कुशल आदमी हमने दूर-दूर तक नहीं देखा। खेत में गन्ने बोते समय उनका हल पूर्णतः सीधी लाइन में चलता था।
वे सबसे बड़े प्रेम से बोलते थे। पशुओं पर भी उनका बड़ा भारी प्रेम था। उनको ये दिल खोलकर खिलाते-पिलाते थे। इनके बैल हाँथी सरीखे मस्त होते थे।
इनके सामने जो गरीब जाता था, उसको मुक्तहस्त होकर ये अनाज दिया करते थे। बस्ती में छोटे बड़े सभी लोग जरा भी इनके विरुद्ध नहीं थे। वे भगवान के यहाँ से ही साधु बनकर आये थे।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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