?सर सेठ हुकुमचंद और उनका ब्रम्हचर्य व्रत - अमृत माँ जिनवाणी से - ३१६
? अमृत माँ जिनवाणी से - ३१६ ?
"सरसेठ हुकुमचंद और उनका ब्रम्हचर्य प्रेम"
लेखक दिवाकरजी ने लिखा है कि सर सेठ हुकुमचंद जी के विषय में बताया कि आचार्य महराज ने उनके बारे ये शब्द कहे थे, "हमारी अस्सी वर्ष की उम्र हो गई, हिन्दुस्तान के जैन समाज में हुकुमचंद सरीखा वजनदार आदमी देखने में नहीं आया।
राज रजवाड़ों में हुकुमचंद सेठ के वचनों की मान्यता रही है। उनके निमित्त से जैनों का संकट बहुत बार टला है। उनको हमारा आशीर्वाद है, वैसे तो जिन भगवान की आज्ञा से चलने वाले सभी जीवों को हमारा आशीर्वाद है।'
हुकुमचंद के विषय में एक समय आचार्य महराज ने कहा था, "एक बार संघपति गेंदनमल और दाडिमचंद ने हमारे पास से जीवन भर के लिए ब्रम्हचर्य व्रत लिया, तब हुकुमचंद सेठ ने इसकी बहुत प्रसंशा की। उस समय आचार्यश्री ने हुकुमचंद सेठ से कहा 'तुमको भी ब्रम्हचर्य व्रत लेना चाहिए।'
हुकुमचंद ने तुरंत ब्रम्हचर्य व्रत लिया और कहा था, 'महराज ! आगामी भव में भी ब्रम्हचर्य का पालन करूँ।' हुकुमचंद का ब्रम्हचर्य व्रत पर इतना प्रेम है।"
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
?आज की तिथी - वैशाख कृष्ण १२?
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