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?दीक्षा तथा चातुर्मासों का विवरण - अमृत माँ जिनवाणी से - ३१५


Abhishek Jain

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जय जिनेन्द्र बंधुओं,

        आज चारित्र चक्रवर्ती पूज्य शान्तिसागरजी महराज के जीवन पर्यन्त के एक महत्वपूर्ण विवरण को आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह पोस्ट आप संरक्षित रखकर बहुत सारे रोचक प्रसंगों के वास्तविक समय का अनुमान लगा पाएँगे तथा उनके तपश्चरण की भूमि का समय के सापेक्ष में भी अवलोकन कर पाएँगे। विवरण ग्रंथ में उपलब्ध जानकारी के आधार पर ही है।


?   अमृत माँ जिनवाणी से - ३१५   ?

              "चातुर्मास सूची"

पूज्य शान्तिसागर जी महराज की दीक्षा संबंधी जानकारी का विवरण निम्न है-


क्षुल्लक दीक्षा         -  १९१५
ऐलक    दीक्षा        -  १९१९
मुनि      दीक्षा        -   १९२०
आचार्य    पद        -   १९२४
चारित्र चक्रवर्ती पद -   १९३७
आचार्य पद त्याग   -   १९५५
समाधि                -   १९५५ 


               ?चातुर्मास विवरण?


क्र.       सन          स्थान

१.       १९१५       कोगनोली
२.       १९१६       कुम्भोज
३.       १९१७       कोगनोली
४.       १९१८       जैनवाड़ी
५.       १९१९       नसलापुर
६.       १९२०       ऐनापुर
७.       १९२१    नसलापुर
८.       १९२२       ऐनापुर
९.       १९२३       कोंनुर
१०.    १९२४       समडोली

११.    १९२५       कुम्भोज
१२.    १९२६       नांदनी
१३.    १९२७       बाहुबली
१४.    १९२८       कटनी
१५.   १९२९       ललितपुर
१६.   १९३०       मथुरा
१७.   १९३१       दिल्ली
१८.   १९३२       जयपुर
१९.   १९३३       ब्यावर
२०.   १९३४       उदयपुर

२१.   १९३५       गोरल
२२.   १९३६       प्रतापगढ़
२३.   १९३७       गजपंथा
२४.   १९३८       बारामती
२५.   १९३९       पावागढ़
२६.   १९४०       गोरल
२७.   १९४१       अकलुज
२८.   १९४२       कोरोची
२९.   १९४३       डिगरज
३०.   १९४४       कुंथलगिरी

३१.   १९४५       फलटन
३२.   १९४६       कवलाना
३३.   १९४७       सोलापुर
३४.   १९४८       फलटण
३५.   १९४९       कवलाना
३६.   १९५०       गजपंथा
३७.   १९५१       बारामती
३८.   १९५२       लोनंद
३९.   १९५३       कुंथलगिरी
४०.   १९५४       फलटन
४१.   १९५५       कुंथलगिरी


? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
  ?आज की तिथी - वैशाख कृष्ण ११?

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