?शासन का दोष - अमृत माँ जिनवाणी से - १४२
? अमृत माँ जिनवाणी से - १४२ ?
"शासन का दोष"
वर्तमान देश के अनैतिक वार्तावरण पर चर्चा चलने पर पूज्य शान्तिसागरजी महाराज ने कहा था, "इस भ्रष्टाचार में मुख्य दोष प्रजा का नहीं है, शासन सत्ता का है।
गाँधीजी ने मनुष्य पर दया के द्वारा लोक में यश और सफलता प्राप्त की और जगत को चकित कर दिया। इससे तो धर्म गुण दिखाई देता है। यह दया यदि जीवमात्र पर हो जाये तो उसका मधुर फल अमर्यादित हो जायेगा।
आज तो सरकार जीवों के घात में लग रही है यह अमंगल रूप कार्य है, भगवान की वाणी "हिंसा-प्रसुतानि सर्वदुःखानि"-समस्त कष्टों का कारण हिंसात्मक जीवन है।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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