?निर्वाण भूमि का प्रभाव - अमृत माँ जिनवाणी से - १३८
? अमृत माँ जिनवाणी से - १३८ ?
"निर्वाण-भूमि का प्रभाव"
प्रश्न - "महाराज ! पाँच-२ उपवास करने से तो शरीर को कष्ट होता होगा?"
उत्तर- "हमें यहाँ पाँच उपवास एक उपवास सरीखे लगते हैं। यह निर्वाण भूमि का प्रभाव है। निर्वाण-भूमि में तपस्या का कष्ट नहीं होता है। हम तो शक्ति देखकर ही तप करते हैं।"
?मौन से लाभ?
प्रश्न- "महाराज ! मौन व्रत से आपको क्या लाभ पहुँचता है?"
उत्तर- "मौन करने से संसार से आधा सम्बन्ध छूट जाता है। सैकड़ों लोगों के मध्य घिरे रहने पर भी ऐसा लगता है, मानो हम अपनी कुटी में ही बैठे हों। उससे मन की शांति बहुत बड़ती है। मन आत्मा के ध्यान की ओर जाता है। वचनालाप में कुछ ना कुछ सत्य का अतिक्रमण भी होता ही है, मौन द्वारा सत्य का संरक्षण भी होता है। चित्तवृत्ति बाहरी पदार्थों की ओर नहीं दौड़ती है।"
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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