आत्मबल का प्रभाव - अमृत माँ जिनवाणी से - ११६
? अमृत माँ जिनवाणी से - ११६ ?
"आत्मबल का प्रभाव"
पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागर जी महाराज की शरीर रूपी गाड़ी तो पूर्णतः शक्तिशून्य हो चुकी थी, केवल आत्मा का बल शरीर को खीच रहा था।
यह आत्मा का ही बल था, जो सल्लेखना के २६ वें दिन ८ सितम्बर को सायंकाल के समय उन सधुराज ने २२ मिनिट पर्यन्त लोककल्याण के लिए अपना अमर सन्देश दिया, जिससे विश्व के प्रत्येक शांतिप्रेमी को प्रकाश और प्रेरणा प्राप्त होती है।
? २८ वां दिन - १० सितम्बर १९५५ ?
आज सल्लेखना का २८ वां दिन था। अशक्तता बहुत ज्यादा थी, फिर भी प्रातः अभिषेक के समय आचार्यश्री पधारे और आधे घंटे ठहरे थे।
प्रातः अभिषेक के समय पधारने का यह अंतिम दिन था। इसके बाद अभिषेक के समय आचार्यश्री नहीं पधारे। दोपहर में आचार्यश्री के दर्शनों का लाभ जनता को नहीं मिला।
हालत बहुत ही चिंता जनक रही। आज शीत का असर भी मालूम हुआ।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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