मिट्टी के बर्तन पर नारियल का नियम - अमृत माँ जिनवाणी से - ८३
? अमृत माँ जिनवाणी से - ८३ ?
"मिट्टी के बर्तन पर नारियल का नियम"
आचार्य महाराज ने कोन्नूर में वृत्ति परिसंख्यान तप प्रारम्भ किया था। उनकी प्रतिज्ञा के अनुसार योग न मिलने से महाराज के छह उपवास हो गये। समाज के व्यक्ति सतत चिंतित रहते थे, जिस प्रकार आदिनाथ भगवान को आहार न मिलने पर उस समय का भक्त समाज चिंतातुर रहा था। सातवें दिन लाभांतराय का विशेष क्षयोपशम होने से एक गरीब गृहस्थ भीमप्पा के यहाँ गुरुदेव को अनुकूलता प्राप्त हो गई।
महाराज का नियम था कि यदि मिट्टी के बर्तन पर नारियल रखकर कोई पड़गाहेगा, तो मै आहार लूँगा। गरीब भीमप्पा की दरिद्रता वरदान बन गई। उस बेचारे ने निर्धनतावश मिट्टी का कलश लेकर पड़गाहा और उसने महाराज को आहार देने का उज्जवल सुयोग प्राप्त किया।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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