राहुरी में जलप्रलय से रक्षा - अमृत माँ जिनवाणी से - ७२
? अमृत माँ जिनवाणी - ७२ ?
"राहुरी में जलप्रलय से रक्षा"
बारामती के गुरुभक्त सेठ चंदूलाल सराफ ने एक घटना सुनाई।
महाराष्ट्र राज्य के प्रसिद्ध शहर अहमदनगर की तरफ महाराज का विहार हो रहा था। रास्ते में राहुरी स्टेशन मिलता है। संध्या हो चली थी। उस समय हम पास के ग्राम में रहना चाहते थे, किन्तु महाराज ने हम लोगो की प्रार्थना की परवाह नहीं की और वे दूर तक आगे बढ़ गये। लाचार होकर हमको भी उनकी सेवार्थ हमको भी वहाँ पहुँचना पड़ा।
कुछ समय के पश्चात् उस ग्राम के पास ऐसी भीषण वर्षा हुई कि वहाँ कोई घर ना बचा। पूर में सब बह गये।
उस सम्बन्ध में उन्होंने महाराज से पूंछा था, "महाराज ! ऐसे प्रसंग पर आप क्यों उस गाँव के आगे बढ़ गए? क्या आपको वर्षा का ज्ञान हो गया था ?"
महाराज ने कहा, "ऐसे अवसर पर हमारी वहाँ रहने को नहीं बोलती थी। हमारी आत्मा जैसी बोलती है, वैसा हम करते हैं। किसी के कहने से कुछ नहीं करते हैं।"
ऐसी पवित्र आत्मा का शरण लेने वाले को कहाँ विपत्ति होती है?
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.