बिलहरी में चर्मकरों द्वारा मांसाहार त्याग - अमृत माँ जिनवाणी से - ७१
? अमृत माँ जिनवाणी से - ७१ ?
"बिलहरी में चर्मकारों द्वारा माँसाहार त्याग"
सन् १९२८ में शिखरजी की वंदना के उपरांत आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज के पावन चातुर्मास का सौभाग्य मिला कटनी (म.प्र) वासियों को। कटनी चातुर्मास के उपरांत महाराज ने वहाँ से अगहन कृष्णा एकम को बिहार किया। दूसरे दिन आचार्यश्री बिलहरी ग्राम पहुँचे। वहाँ संघ का दो दिन वास्तव्य रहा।
आचार्य महाराज के श्रेष्ट आध्यात्मिक जीवन की प्रसद्धि हो चुकी थी। अतः उस ग्राम में सरकारी अधिकारीयों ने और जनता ने गुरुदेव के निमित्त से बहुत लाभ लिया।
क्या कभी कोई सोच सकता है कि चमार लोग माँसाहार छोड़ सकेंगे? आज तो बड़े उच्च वंश वाले मांसाहार तथा अंडे खाने की ओर बढ रहे हैं, तब आचार्यश्री के उपदेश से चमारों का मांसभक्षण त्याग करना बहुत बड़ी बात है।
सुसंस्कृत और समुन्नत आत्मा का जीवन पर अद्भुत असर पड़ता है और जिसकी स्वप्न में भी आशा नहीं की जा सकती, वह बात सरलता पूर्वक प्रत्यक्षगोचर हो जाती है।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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